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हर युवक-युवती , माँ-बाप के लिए अमृत कलश (डिप्रेशन सलूशन)

डिप्रेशन सलूशन

यह आज विश्व की एक बड़ी समस्या है। प्रतिवर्ष जीवन से निराश होकर आत्महत्या(Suicide) करने वालों की संख्या तेजो से बढ़ती जा रही है। यह विश्व भर के चिकित्सकों, मनोरोग विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय है; पर वे विश्व मानवता को इसका कोई निदान देने में सक्षम नहीं हैं। केवल नैतिक उपदेशों की झड़ी है।
धर्मालय आज आपको इसका सरल निदान प्रस्तुत कर रहा है। करके देखिये। 100 प्रतिशत लाभ होगा। आप जिन समस्याओं के कारण डिप्रेशन में है, उनका हल भी मिल जायेगा।
डिप्रेशन के कारण –
  1. दुनियां की आधुनिक रफ्तार इसका सबसे बड़ा कारण है। आवश्यकताओं , मह्त्त्वकान्क्षाएं(Key Features) अपनी सामर्थ्य से बड़ी ऊंचीं हो गयी है। इनमें सफलता न मिलने से मस्तिष्क तनाव ग्रस्त होता है। तब गुणात्मक प्रतिक्रिया होने लगती है। तनावग्रस्त मस्तिष्क ठीक से निर्णय नहीं ले पाता और बार-बार असफलताओं का मुंह देखना पड़ता है। निराश इतनी गहरी हो जाती है कि लोग आत्महत्या करने लगते हैं।
  2. परिस्थितियों का दबाब भी इस निराश का एक बहुत बड़ा कारण है। बच्चे और युवक – युवती इसके अधिक शिकार हो रहे हैं। माता-पिता – समाज उससे कुछ अधिक ही अपेक्षाएं पाल लेते हैं और उन पर दबाब बनने लगते हैं। ये बहुत परिश्रम करते हैं ; पर जो इनकी सामर्थ्य से बाहर है, जो इनका विषय नहीं ; जिनमें इनकी रूचि नहीं; उस क्षेत्र में लगातार धकेले जाने और बढ़ न पाने से पिसने के बीच ये डिप्रेशन के शिकार होकर जान दे देते है।
  3. लकीर का फकीरी सोच । ….. इसके शिकार अधिकतर वे लोग है, जो रोजगार और धन सम्बन्धी परेशानियों से जूझ रहे हैं, माता-पिता, पत्नी का दबाब , समाज का अपमानित उपेक्षित व्यवहार , जरूरतों का दबाब और रास्ते का न मिलना इनके डिप्रेशन का कारण होता है।
  4. शादीशुदा जिन्दगी की असफलता(Failure of married life) । यह आज की बड़ी समस्या है। पति-पत्नी की परस्पर असंतुष्टि(Mutual dissatisfaction with husband and wife) , कलह(Discord), अपनी अपनी दुनियां , अपनी-अपनी महत्त्वकांक्षाओं का तकरार। जीवनसाथी का अमर्यादित दबाब(Unlimited Spouse)। अपने कष्ट को किसी को बता न पाना, आपसी समस्याओं को सुलझाने का रास्ता न मिलना।
  5. प्रेम की भावुकता में पागलपन(Madness in love’s sentimentality) । आजकल यह भी जोरो पर हैं। सिनेमा-सीरियल – पत्र-पत्रिकाओं ने मर्यादा और आचरण की सीमाओं को तोड़ दिया है। हर युवक-युवती को अपने आस-पास की क्रीम अच्छी लगती है और उसे पाने के लिए पागल हो जाते है।
  6. दाम्पत्य जीवन में सेक्स करने की शक्ति का आभाव(Lack of power to have sex in a married life) या जीवन साथी के प्रति विरक्त क्षुब्धता।
ये प्रमुख रूप से डिप्रेशन के कारण हैं; पर मुख्य कारण एक ही है; मन लायक सब कुछ न होना और स्वयं के प्रति क्षुब्धता।

डिप्रेशन: फिजिकल एंड स्प्रितुअल सलूशन
सामान्य क्रियाएं –
  1. पेट साफ़ रखें (देखें कब्ज)
  2. रात के समय सर में जैतून या बादाम का तेल पचायें और कान में घी गर्म करके डालें । तेल नाभि एवं गुदामार्ग और योनि में भी पचाएं।
  3. हथेली- तलवें साफ रखें।
  4. पेट में गर्मी न होने दें। ठंडी चीजें हरी सब्जी, खीर, ककड़ी, दही, दूध आदि लेते रहें।
  5. अधिक गर्म या ठंडे पानी से स्नान न करें। हमेशा सिर से स्नान करें।
विशेष – यह प्रत्येक स्त्री – पुरुष बच्चे बूढ़े को करना चाहिए, चाहे कोई भी रोग हो या न हो। इससे आयु बढती है और भाग्य सुधरता है।
दवा-
  1. पेठे के बीज 25 ग्राम, 100 ग्राम पानी में पत्थर या मिट्टी के बर्तन में रात में डालें । सुबह इसे निकाल कर पीस लें और 6 ग्राम शहद डालकर उसी पानी में घोलकर पी जाए।
इसे कम से कम 15 दिन करें। अधिक से भी हानि नहीं है।
  1. ब्राह्मी, शंखाहुलि और बच – इनमें से किसी के 6 ग्राम चूर्ण को 6 ग्राम शहद के साथ लेते रहने से मानसिक तनाव, तन्द्रा, अनिद्रा, सामान्य उन्माद(Mental stress, sleepiness, insomnia, general frenzy) तक ठीक हो जाता है।
  2. बच का 6 ग्राम चूर्ण प्रातः सायं घी और दूध के साथ लेने से तनाव , सामान्य उन्माद, मिर्गी(Epilepsy) तक ठीक हो जाता है।

ब्रह्मघृत
ब्राह्मी के पत्तों का रस चार किलो या ब्राह्मी के चार किलो पत्ते का पानी में रात भर भिन्गों कर पिसा कल्क,बच- कूट और शंखा हुलि का चूर्ण आधा-आधा किलो , गौमूत्र 15 किलो । घी 3 किलो , इसे बड़ी स्टील की या ताम्बे की कडाही में मंदे आंच पर पकाएं। जब घी बच जाये ठंडा करके छानकर रख लें। इस घी का 6 ग्राम सुबह 6 ग्राम शाम खाली पेट दूध के साथ लेने पर तनाव, अनिद्रा, मिर्गी , उन्माद , जोड़ो का दर्द , चर्म रोग(Stress, insomnia, epilepsy, mania, joint pain, skin diseases) – सब ठीक हो जाता है। 45 दिन का कोर्स निश्चित करें । यह टॉनिक है। लगातार भी लिया जा सकता है।
विशेष – ब्राह्मी की मात्रा डबल करने से यह घी और शक्ति शाली  होता है। पर गौ मूत्र तब 20 लीटर लेना चाहिए।

आध्यात्मिक उपचार (spiritual healing)
योग मुद्रा – प्रातः सायं या रात में सुखासन पर बैठकर कानो के अगले भाग में ऊपर तर्जनियों से हल्का दबा दें। श्वांस खुल जाती है। साथ स्वर में ‘ॐ’ का जाप करें ।
सुखासन में इसी तरह प्रातः सायं बैठकर पहले बायीं , फिर उसपर दायीं हथेली सिर के चाँद पर रखकर हल्का दबाएँ और ॐ का साथ स्वर में जप करें

तन्त्र मुद्रा – शौच के समय और रात में सोते समय करवट होकर दायें हाथ की मध्यम ऊँगली के सिरे को गुदामार्ग पर दबाएँ छोड़े। यह क्रिया जल्दी जल्दी करें और ‘अं’ से श्वाँस खींचे , ‘ह:’ से छोडें।
उपर्युक्त उपचार से 15 दिन में तनाव नष्ट हो जाता है। 45 दिन में नया उत्साह भर जाता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि मस्तिष्क un कणों का भी निदान ढूंढ लेता है, जो तनाव उत्पन्न कर रहा है।

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