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खून की उल्टी करके मरेंगे सभी शत्रु, करें ये मारण प्रयोग

प्रत्यक्ष शत्रु से निपटना आसान होता है किन्तु हमारे कई अप्रत्यक्ष शत्रु होते हैं जो सामने मित्रता पूर्ण व्यवहार रखते हैं किन्तु हमारे पीठ पीछे हमे नुकसान पहुंचाते हैं व हमारी छवि बिगाड़ते रहते हैं, और हमारे परिवार के सदस्यो पर अपनी शत्रुता निकालते हैं। ऐंसे शत्रुओं पर यह मारण प्रयोग करने पर सिर्फ शत्रु ही नहीं बल्कि उसके परिवार के सदस्य पर भी प्रभाव होता है। शत्रु को हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, कैंसर, क्षय रोग, लकवा, पागलपन, विक्षिप्त बनाने, आपसी विवाद कराने, वाहन दुर्घटना, सूखी लगाना, धन हानि, व्यापार मे नुकसान पहुंचाकर बदला लेने के लिए इन तांत्रिक प्रयोगो को करें।

प्रयोग विधि 
विनियोग मंत्र:- ॐ अस्य श्री आर्द्रपटिमहाविद्यामंत्रस्य दुर्वासा ऋषिर्गायात्री छंद: हुं वीजं स्वाहा शक्ति: मम अमुकशत्रुनिग्रहर्थे जपे विनियोग:
अपने शत्रु के पैर की मिट्टी लेकर उसका एक पुतला वनाएं। फिर कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर चतुर्दशी तक प्रतिदिन 108 बार शत्रु का नाम (अमुक की जगह) लेकर ऊपर दिया गया मंत्र का जाप करें। इसके बाद चतुर्दशी को जो आपने शत्रु का पुतला बनाया था उसको सामने रखें फिर एक बकरे की बलि (नोट: बलि देना एक असामाजिक, अधार्मिक कार्य है) दें उस बकरे के रक्त मे पुतले को नहला दें व एक सूती वस्त्र बकरे के रक्त मे भिगो दें, फिर उस वस्त्र से उस पुतले को ढक कर रख दें जैसे जैसे वो वस्त्र सूखेगा आप देखेंगे आपका शत्रु बीमार होता जाएगा एवं खून की उल्टियाँ करने लगेगा फिर इसके एक से दो माह के बीच आपके उस शत्रु की निश्चित रूप से मृत्यु हो जाएगी। ये एक प्रचंड मारण प्रयोग है।


[ चेतावनी: सभी प्रयोग, टोटके, तांत्रिक साधनाएं एवं क्रियाएँ सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से दी गई हैं, किसी के ऊपर दुरुपयोग न करें एवं साधना मे त्रुटि से होने वाले किसी भी नुकसान के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे, mantrashakti.in इसके लिए जबाबदार नहीं होगा। विधि साबधानीपूर्वक पढ़कर ही उपयोग मे लाएँ एवं गुरु के मार्गदर्शन के बिना कोई भी प्रयोग न करें अन्यथा आप पागल हो सकते हैं या आपकी मृत्यु भी हो सकती है यदि गलती हुई तो उसका उल्टा परिणाम होता है। इसलिए किसी भी मंत्र को मज़ाक मे भी न पड़ें और सभी मारण प्रयोग को गुरु के मार्गदर्शन मे ही करें। किसी पर गलत प्रयोग न करें। जिस प्रकार बंदूक चलाते समय पीछे की ओर चलाने वाले को भी झटका लगता है, ठीक उसी प्रकार तांत्रिक साधनाओं का कुछ असर करने वाले पर भी पड़ता है जिससे बचाव के लिए अन्य कवच मंत्र प्रयोग मे लाये जाते हैं। इसलिए कोई भी क्रिया स्वयं न करें गुरु के मार्गदर्शन मे ही करें। ]

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