स्थापना और गुरु नमन – हमारे यहाँ से जो श्री चक्र भेजा जाता है; वह पंचगव्य और नारियल पानी से शास्त्रानुसार अभिषेक करके गुरु पादुका यन्त्रों से पूजित और 540 श्री मंत्र से सिद्ध किया होता है; इसलिए इसकी विशेष सिद्धि या शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती। इसे ताम्बाविद्युत के तारो से बना यह विद्युतीय कमरबंद शनि दोष, मंगली दोष, कमर-दर्द, काम दुर्बलता, उदासी , तनाव को दूर करने वाला। पहनते ही प्रभाव शुरू हो जाता है। यह कमर बंद हल्की विद्युतीय बैटरी से चलती है। यह बना बनाया नहीं मिलता। मांगने पर बनाकर दिया जाता हैचाँदी, सोने और ताम्बे के क्वाय्लों द्वारा बना ये यंत्र बैटरी और कंप्यूटर से जुड़ कर मानसिक , रक्त सम्बन्धी, धातु सम्बन्धी विकार को अत्यन्त अल्प समय में दूर कर सकता है। बेसिक सूत्र बिजली के विशेष प्रवाह से विशेष प्रकार की ऊर्जा तरंगों से शारीरक – मानसिक रोगों के उपचारचाँदी, सोने और ताम्बे के क्वाय्लों द्वारा बना ये यंत्र बैटरी और कंप्यूटर से जुड़ कर मानसिक , रक्त सम्बन्धी, धातु सम्बन्धी विकार को अत्यन्त अल्प समय में दूर कर सकता है। बेसिक सूत्र बिजली के विशेष प्रवाह से विशेष प्रकार की ऊर्जा तरंगों से शारीरक – मानसिक रोगों के उपचारये सभी यंत्र प्राचीन गुप्त नुस्खो पर गुरूजी द्वारा बनाये गये ब्लूप्रिंट से सम्बंधित है। भारत – सरकार अपने राष्ट्र के प्राचीन ज्ञान – विज्ञान से मतलब नहीं है।इसलिए इन्हें अति गुप्त रखा गया है। (इन यंत्रों की भौतिक रूप में बनाने हेतु धन लगाने वाले पार्टनर आमंत्रित है। )काले धतूरे के फूल, खुरासानी अजवाईन, भांग, पोस्त के ढोढ़े, अपामार्ग, सौंफ – बराबर मात्र में लेकर कूट लें।इसके बराबर अंकोल के बीज कूट लें। इसमें सिलेटी रंग वाले गोबर छत्ते के रस डालकर भिंगोकर छाया में सुखा लें। इस चूर्ण को 2 गुना तिल-जैतून का तेल बराबर मिलाकर उसमे
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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