मनपसंद जीवनसाथी पाने के लिए युवा प्रयासरत रहते हैं। कुछ अपनी पसंद का जीवनसाथी पाने में सफल रहते हैं और कुछ अपनी पसंद का जीवनसाथी पाने में नाकामयाब रहते हैं। नए जमाने में जहां लड़की-लड़कों को एक साथ मिलने-जुलने की आज़ादी है, वहां उनके बीच संबंध जुड़ जाना बेहद सामान्य है। इसमें अक्सर उनके बीच प्रेम पनप ही जाता है जिसके आखिरकार शादी में परिणत होने की संभावना बलवती होती है। इस आलेख में आज हम इन्हीं सवालों के साथ उन उपायों पर चर्चा करेंगे, जिसके माध्यम से प्रेम को विवाह में आसानी से तब्दील किया जा सके।केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता, रूद्र रूपा रूद्र मूर्ति: रूद्राणी रूद्र देवता।——— कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने से प्रेम-विवाह में अवश्य सफलता मिलती है। सप्ताह में शुक्रवार के दिन राधा-कृष्ण की मूर्ति के सम्मुख उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप करें। 3 महीने के अन्दर ही प्रेम-विवाह में आ रही सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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