विधि: शनिवार रात्रि को जलती हुई चिता के समक्ष नंगे होकर ७ घंटे इस मंत्र का जप करना है। फिर इस चिता को प्रणामकरके इसकी कुछ राख और कोयला लेकर आ जाओ सूर्योदय से पहले।
अब अपने शत्रु के पाँव के नीचे की मिटटी लेकर आओ और उसमे वही शमशान राख और पीली मिटटी मिलाकर एक प्रतिमाबना लो। अब कोयलों पर प्रतिमा को लिटा दो और उसके छाती पर शमशान का कोयला रख दो। इसको चारों तरफ से कोयलोंसे ढक दो। और अग्नि में तपा दो। अब जैसे जैसे प्रतिमा तपे गी वैसे वैसे शत्रु भी ताप में तपे गा। जैसे ही ताप से प्रतिमा चटकेगई वैसे ही शत्रु की लीला खत्म।॥ मंत्र ॥
खंग मारै कालिका।
भुजंग मारै भैरव।
झपट के मारै दुर्गा।
कहे अलमस्त।
वो ही पस्त।
जो मुझको सताएगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें