दुश्मन को पीडा पहुचाने----
मंत्र--ओम ह्री श्री क्लीं भैरववीर मम दुश्मन मुकस्य पीडा कुरु स्वाहा
DUSHMAN MARND PRYOG विधी- दुश्मन के पैर की मिट्टी को लेकर करेलीयो मे भर कर कालीमां के फोटो के सामने रखकर धुपबत्ती जलाऐ फिर मंत्र का जाप करे रात्रि के समय करेली लोचन नागजिव्हा मगरैल साजू इस सब को चौरास्ते पर रखआवे
यदि आप को इस प्रयोग को करने मे कोई परेशानी आती है तो मु्झे फोन करे
09602178959
07737934285
दुश्मन को पीडा पहुचाने----
मंत्र--ओम ह्री श्री क्लीं भैरववीर मम दुश्मन मुकस्य पीडा कुरु स्वाहा
विधी- दुश्मन के पैर की मिट्टी को लेकर करेलीयो मे भर कर कालीमां के फोटो के सामने रखकर धुपबत्ती जलाऐ फिर मंत्र का जाप करे रात्रि के समय करेली लोचन नागजिव्हा मगरैल साजू इस सब को चौरास्ते पर रखआवे
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07737934285दुश्मन को पीडा पहुचाने----
मंत्र--ओम ह्री श्री क्लीं भैरववीर मम दुश्मन मुकस्य पीडा कुरु स्वाहा
विधी- दुश्मन के पैर की मिट्टी को लेकर करेलीयो मे भर कर कालीमां के फोटो के सामने रखकर धुपबत्ती जलाऐ फिर मंत्र का जाप करे रात्रि के समय करेली लोचन नागजिव्हा मगरैल साजू इस सब को चौरास्ते पर रखआवे
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09602178959
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मंत्र--ओम ह्री श्री क्लीं भैरववीर मम दुश्मन मुकस्य पीडा कुरु स्वाहा
विधी- दुश्मन के पैर की मिट्टी को लेकर करेलीयो मे भर कर कालीमां के फोटो के सामने रखकर धुपबत्ती जलाऐ फिर मंत्र का जाप करे रात्रि के समय करेली लोचन नागजिव्हा मगरैल साजू इस सब को चौरास्ते पर रखआवे
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स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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