1. बगलामुखी साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्याधिक आवश्यक है. 2. इस क्रम में स्त्री का स्पर्श, उसके साथ किसी भी प्रकार की चर्चा या सपने में भी उसका आना पूर्णत: निषेध है. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपकी साधना खण्डित हो जाती है. 3. किसी डरपोक व्यक्ति या बच्चे के साथ यह साधना नहीं करनी चाहिए. बगलामुखी साधना के दौरान साधक को डराती भी है. साधना के समय विचित्र आवाजें और खौफनाक आभास भी हो सकते हैं इसीलिए जिन्हें काले अंधेरों और पारलौकिक ताकतों से डर लगता है, उन्हें यह साधना नहीं करनी चाहिए. 4. साधना से पहले आपको अपने गुरू का ध्यान जरूर करना चाहिए. 5. मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में ही करें. बगलामुखी साधना के लिए नवरात्रि सबसे उपयुक्त है. 6. उत्तर की ओर देखते हुए ही साधना आरंभ करें. 7. मंत्र जाप करते समय अगर आपकी आवाज अपने आप तेज हो जाए तो चिंता ना करें. 8. जब तक आप साधना कर रहे हैं तब तक इस बात की चर्चा किसी से भी ना करें. 9. साधना करते समय अपने आसपास घी और तेल के दिये जलाएं. 10. साधना करते समय आपके वस्त्र और आसन पीले रंग का होना चाहिए. और पढ़े
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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