- जीवन में धन अर्जित करने की चाह सभी में होती है | मानव जीवन में धन उनकी भौतिक जरूरतों को ही पूरा नहीं करता अपितु उन्हें समाज में मान-सम्मान भी दिलाता है | जीवन में सुख-दुःख तो आते ही रहते है दुःख के समय में यदि आर्थिक संकट भी आ जाये तो दुखों से संघर्ष करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है | मानव जीवन में धन का महत्व इतना अधिक है कि बिना धन के अपने सगे-संबधी भी साथ छोड़ने लगते है | धन अर्जित करने के लिए सभी प्रयत्नशील रहते है | किन्तु धन अर्जितकरना सभी के भाग्य में नहीं होता | आज हम आपको धन प्राप्ति का एक ऐसा उपाय बताने जा रहे है जिसके प्रयोग से आप शीघ्र ही धनवान हो जायेगें | आपके अनायास ही होने वाले खर्चे भी कम होने लगेंगे |
धन प्राप्ति का उपाय :-
2 पान के पत्ते लेकर, पहले इन्हें अच्छे से धो ले | अब इन दोनों पत्तों पर चन्दन द्वारा स्वास्तिक बनाये व शुभ-लाभ लिखे | अब दोनों पत्तों को अपने घर में पूर्व दिशा की तरफ दिवार पर थोड़ी थोड़ी दूरी पर चिपका दे | शाम के समय इस स्थान पर चौकी की स्थापना कर लाल रंग का कपडा बिछाए व एक घी का दीपक प्रज्वलित करें और माँ लक्ष्मी जी का ध्यान करें साथ ही नीचे दिए गये मंत्र के यथासंभव जप करें | यह प्रयोग मंगलवार या शनिवार के दिन से शुरू करें और लगातार 21 दिन तक करें |मंत्र :-
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ धन प्राप्ति का यह बहुत ही पुराना और सबसे अधिक प्रभावशाली उपाय) है | इस उपाय के करने से माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसने लगेगी और शीघ्र ही आपकी आर्थिक स्थिति ठीक होने लगेगी | जो व्यक्ति धन कमाने के बाद भी धन संचय करने में असफल रहते है उन्हें भी इस उपाय को अवश्य करना चाहिए | इस उपाय को करने के साथ-साथ धन अर्जितकरने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे | क्योंकि भगवान भी उनकी सहायता करते है जो आलस्य का त्याग करते है और कभी भी मेहनत करना नहीं छोड़ते |
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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