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विद्वेषण तंत्र प्रयोग

विद्वेषण तंत्र प्रयोग:
‘ द्वेष’ का अर्थ है दूसरों के लाभ में अवरोध उत्पन्न करना है इसी द्वेष भावना का क्रियात्मक रूप ‘विद्वेषण’ कहलाता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है किन्हीं दो लोगों के बीच फूट, विद्रोह, उपद्रव, अविश्वास और शत्रुता के भाव उत्पन्न करके विघटन की उत्पत्ति करना।
ऊँ नमो नारदाय अमुकस्याकेन सहविद्वेषणम् कुरु-कुरु स्वाहा। इस मंत्र का एक लाख जप करने से यह सिद्ध हो जाता है और जब कोई तंत्र प्रयोग करना हो तो पहले मंत्र का एक सौ आठ बार जप करके सिद्धि प्राप्त कर लेनी चाहिए। मंत्र में अमुक के स्थान पर जिस पर प्रयोग करना हो उसके नाम का उच्चारण करें।
प्रयोग:
1. शेर और हाथी के दांतों को गाय के मक्खन के साथ पीसकर जिनके नामों से आग में हवन किया जाएगा, वे विद्वेषण के प्रभाव में आ जाएंगे।
2. कुत्ते के बाल तथा बिल्ली का नाखून मिलाकर जहां जलाया जाएगा वहां के लोगों में विद्वेषण उत्पन्न हो जाएगा।
3. साही का कांटा जिसके मकान के मुख्य द्वार पर गाड़ दिया जाएगा, उस उपर्युक्त मंत्र के एक लाख जप से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है और प्रयोग के समय एक सौ आठ बार जप करके प्रयोग करने से सैन्य स्तंभन होता है।
4. जब कभी भी दो व्यक्तियों के बीच द्वेष उत्पन्न करना हो, तो उनके पैरों की मिट्टी को सान एवं गूंधकर उससे एक पुतली बनाएं और श्मशान में ले जाकर उसे भूमि में गाड़ दें। इस क्रिया को करने से उनके बीच द्वेष उत्पन्न हो जाएगा।
5. कोई भाषण या समारोह चल रहा हो, तो भैंसे और घोड़े के बालों को परस्पर मिलाकर जलाएं। इससे सभा या समारोह में भगदड़ मच जाएगी।
6. एक हाथ में कव्वे का पंख और दूसरे हाथ में उल्लू का पंख लेकर विद्वेषण के मंत्र से अभिमंत्रित करें और उन दोनों पंखों को फिर काले सूत से बांधकर जिस घर में गाड़ दिया जाएगा, उस घर में रहने वालों का आपस में झगड़ा हो जाएगा।

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