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श्मशान काली सिद्धि साधना :

श्मशान काली सिद्धि साधना :
परम पूजनीय आदिगुरु शंकराचार्य जी ने श्मशान काली जी की स्तुति पूर्ण चैतन्ययुक्त शब्दो मे कियी है जिसका नाम है “काली श्मशानालयवासिनीम स्तोत्र”मे किया है,इस स्तोत्र का पाठ करने से माँ भक्तो को जहा दर्शन देती है वही सभी समस्याओ से मुक्त भी करती है.
आज यहा मै सौम्य श्मशान काली साधना दे रहा जिसके माध्यम से बहोत सारे भौतिक और आध्यात्मिक सफलताये प्राप्त होती है,इस साधना से हर समस्या का समाधान प्राप्त होता है इसीलिये मुजे लगता है के ज्यादा कुछ लिखने का आवश्यकता नहीं है..
विनियोग:-
अस्य श्मशानकाली मंत्रस्य भृगुऋषी: । त्रिवृच्छन्द: । श्मशानकाली देवता । ऐं बीजम । ह्रीं शक्ति: । क्लीं किलकम । मम सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोग: ।
ध्यान:-
अन्जनाद्रिनिभां देवी श्मशानालय वासीनीं ।
रक्तनेत्रां मुक्तकेशीं शुष्कमांसातिभैरवां ॥
पिंगलाक्षीं वामहस्तेन मद्दपूर्णा समांसकाम ।
सद्द: कृ तं शिरो दक्ष हस्तेनदधतीं शिवाम ॥
स्मितवक्त्रां सदा चाम मांसचर्वणतत्पराम ।
नानालंकार भूशांगीनग्नाम मत्तां सदा शवै: ॥
माँ को हृदय मे स्थापित करना है इसलिये यहा सिर्फ हृदयादि षडंगन्यास दे रहा हु।
 
हृदयादि षडंगन्यास:-
ऐं हृदयाय नम: ।
ह्रीं शिरसे स्वाहा: ।
श्रीं शिखायै वषट ।
क्लीं कवचाय हुं ।
कालिके नेत्रत्रयाय वौषट ।
ऐं श्रीं क्लीं कालिके ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं अस्त्राय फट ।
इति हृदयादि षडंगन्यास: ॥
मंत्र:-॥ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं ॥
 
यह साधना 3 दिन का है और इसमे रुद्राक्ष माला से 11 माला मंत्र जाप करना आवश्यक है,तीसरे दिन साधना समाप्ती के बाद हवन मे काले तिल से 374 बार मंत्र मे स्वाहा लगाकर आहूती दीजिये मंत्र इस प्रकार होगा “ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं स्वाहा”,आहुती के बाद नींबू का बलि देना है और नींबू का थोड़ा सा रस हवनकुंड मे निचौड दीजिये,समय रात्री मे 10 बजे के बाद,दिशा दक्षिण,आसन-वस्त्र लाल/काले,भोग मे तिल और गुड के लड्डू जो मार्केट मे आसानी से मिलते है परंतु प्रयत्न कीजिये घर पर लड्डू बनाने का,महाकाली जी के चित्र पर रोज लाल रंग का पुष्प चढ़ाना मत भूलीयेगा॰यह साधना विधि पूर्ण प्रामाणिक है और शीघ्र फलदायी भी है……………इस साधना का असर साधक को एक वर्ष तक प्राप्त होता रहता है..
किसी भी टोने-टोटके, मंत्र एंव तांत्रिक साधना अथवा अन्य प्रयोग करने से पहले कुशल गुरू या अनुभवी व्यक्ति से मश्विरा कर लें। केवल पढ़कर इस क्षेत्र में कदम रखना घातक हो सकता है। यहां यह बात स्पष्ट रूप से बता देना अपना नैतिक कर्तव्य समझते हैं कि किसी भी प्रयोग में आपकी सफलता आपके विश्वास और प्रयासों पर ही निर्भर करेगी। यदि आप किसी प्रयोग में असफल हो जाते हैं, या किसी प्रकार की हानि होती है तो उसके लिए  भी जिम्मेदार नहीं होगे।

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