पान को हिंदू धार्मिक शास्त्रों में पवित्र माना जाता है। किसी भी तरह के शुभ कामों में पान के पत्तों को प्रयोग किया जाता है। पूजा व पाठ में पान के पत्तों को बहुत अधिक महत्व होता है। शनिवार या मंगलवार के दिन आप एक पान जिसमें गुलकंद, सौंफ और कत्था डला हुआ हो इसे हनुमान जी को चढ़ाएं।और अपने मन में अपनी सफलता की कामना करें। एैसा करने से आपकी जीवन की मुख्य समस्या खत्म हो जाएगी।होलिका दहन के समय में घर के हर इंसान को देसी घी में भिगोया हुआ बताशा औरलौंग और एक पान का पत्ता चढ़ाएं। और इसके बाद होलीका की 11 परिक्रमा करके इसमें एक सूखा हुआ नारियल चढ़ा दें।इस उपाय से घर पर कभी किसी के पास पैसों की कमी नहीं रहती है। और घर का माहौलशांति में रहता है।तांत्रिक असर खत्म करने के लिएयदि किसी ने आपके घर या कार्यस्थल पर किसी भी तरह का कोई काला जादू या तंत्र किया है तो आप साबुत डंडीदार आठ पान के पत्ते और पांच पीपल के पत्तों को एक धागे से बांध दें और अपने घर या दुकान पर पूर्व दिशा में इसे बांध दें।इस उपाय को कम से कम 5 शनिवार तक लगातार करना है। सुखे हुए पत्तों को बहते हुए जल में प्रभावित कर दें।रूके हुए कामयदि आपके बनते बनते हुए काम बिगड़ जाते हों तो आप एक पान का पत्ता अपने जेब में डालकर घर से जांए। एैसा करने से आपके बिगड़े हुए काम बनने लगेगेंविवाह पक्का करने के लिएयदि आपको घर में लड़के वाले देखने आते हैं और आप रिश्ता पक्का करना चाहते हैं तो लड़की पान के पत्ते की ढंडी को घिस लें और उसका तिलक लगाएं। एैसा करने से विवाह हेतु आए लोग आपकी तरफ आकर्षित हो जाएगें।पति को आकर्षित करने के लिएयदि पति को अपने वश में करना चाहते हैं तो एक पान के पत्ते में केसर औश्र चंदन का पाउडर मिला लें और देवी दुर्गा के सामने चंडी स्त्रोत का 43 दिन तक पाठ करें इस उपाय से आप अपने पति को अपने वश में कर सकती हो।
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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