सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नाग वशीकरण मंत्र साधना

नाग वशीकरण मंत्र साधना

नाग वशीकरण साधना, शेष नाग साधना, नाग कड़ा साधना, नाग कन्या साधना- सर्प सरीसृप प्रजाति का प्राणी है| इसकी कई प्रजातियाँ होती है| इनमे सबसे महत्वपूर्ण नाग माना जाता है| इसे भारतीय कोबरा के नाम से जाना जाता है| भारतीय धर्म ग्रन्थों में नाग को दैवीय शक्ति से सम्पन्न माना गया है| भगवान विष्णु शेषनाग पर विराजित वर्णित हैं| दूसरी तरफ शिव के गले में सर्प माला की अनेक व्याख्याएँ हैं| इसके अलावा विशहरा नामक पंच सर्प कन्याएँ शिव की पुत्री के रूप में पूजित हैं| अनेक प्राचीन कथाओं में बताया गया है कि नाग देवता खजाने की रक्षा करते हैं| स्वप्न में नाग देव के दर्शन का अर्थ धन लाभ से जोड़ा जाता है|  यही वजह है कि भारत में नाग पंचमी विशिष्ट त्योहारों में से गिना जाता है| तंत्र विद्या में इन दैवी शक्ति से युक्त नाग को सिद्ध करने की अनेक विधि बताई गई है| निसंदेह यह विधियाँ उन वैज्ञानिक तथ्यों से सर्वथा भिन्न हैं जिसके अनुसार नाग मात्र एक रेपटाइल है| सामान्य जीवन में विशेष तांत्रिक साधना न करते हुए भी कुछ उपाय के द्वारा नाग देवता को प्रसन्न किया जा सकता है| जिनके आशीर्वाद से सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है|जैसे –
  • नाग पंचमी के अवसर में शिव तथा नाग दोनों की पूजा करें|
  • काल सर्प दोष हो तो नागपंचमी के अवसर पर नाग-नागिन का जोड़ा तांबे में गढ़वा कर शिव मंदिर मे अर्पित करें|
  • चाँदी की डिब्बी में नाग केसर रखें|
  • पूजा स्थल पर चांदी का सर्प रखें|
शेष नाग साधना
भगवान विष्णु के शैया के रूप में वर्णित शेष नाग की शक्तियाँ असीम हैं| इन्हे सिद्ध कर लेने के उपरांत साधक अखंड सुख का स्वामी बन जाता है| इस साधना के लिए सामग्री पहले एकत्र कर लें| जैसे – चन्दन की लकड़ी का छोटा सा टुकड़ा, श्वेत और नीला धागा, जटायुक्त नारियल, लाल और सफेद कपड़ा, पंच मेवा, फल, हवन सामग्री, आटा, मिठाई
यह साधना रविवार को संध्या काल सात बजे से दस बजे के मध्य करें| सबसे पहले काष्ठ पीठिका पर पूर्व दिशा की ओर श्वेत वस्त्र बिछा दें, उस पर एक फैला हुआ तांबे का पात्र(प्लेटनुमा) रखें| उस पात्र पर चन्दन के टुकड़े को छोटे-छोटे टुकड़े कर बिछा दें| अब आटे से सात फन वाले सर्प की आकृति बनाएँ तथा उसे चन्दन के टुकड़ो के ऊपर स्थापित करें दें| उस पत्र के निकट शिव तथा विष्णु का विग्रह अथवा चित्र रखें| शिव के चित्र के स्थान पर शिवलिंग भी स्थापित किया जा सकता है| परंतु इनकी पूजा के बाद पंचामृत से अभिषेक अवश्य करें| ईशान कोण पर मनसा देवी को स्थापित करें| कलश के ऊपर नारियल स्थापित कर दें|
भारतीय पूजा पद्धति एक नियम के अनुसार होती है जिसमे आवाहन के पश्चात प्राण-प्रतिशठा होती है| तत्पश्चात पंचोपचार तथा षोडशोपचार विधि का वर्णन है| तथा नियमतः सबसे पहले गणेश जी को पूजा अर्पित की जाती है| इसलए पंचोपचार विधि से गणेश जी की पूजा करें, तत्पश्चात, शिव तथा विष्णु देव, मनसा देवी की पूजा करें| मनसा देवी को लाल वस्त्र अर्पित करें|  पुनः पंचोपचार पूजन शेषनाग देव को अर्पित करें| धूप, दीप नेवेध्य अर्पित करने के बाद शेषनाग देवता को पूंछ की ओर से दोनों रंगो का धागा अर्पित करें| अब निम्नलिखित मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें –
ओम शं-शं-शं शेषनाग देवतायै नमः
जाप समाप्त होने के उपरांत रुद्राक्ष गले में धारण कर लें| दूसरे दिन प्रातः काल स्नान के बाद पुनः सभी का धूप दीप दिखाकर पूजन करें| अंत में सभी सामाग्री काष्ठ पीठिका पर बिची श्वेत कपड़े में बांधकर किसी नदी में प्रवाहित कर दें| कलश का जल पूरे घर में सिक्त कर दें| शेष नाग साधना से आर्थिक संकट दूर होता है तथा कर्ज से मुक्ति होती है| परंतु यह साधना योग्य गुरु की देख रेख में करना ही श्रेयस्कर है|
नाग कड़ा मंत्र
ऐसा मंत्र जिसकी सहायता से नागों को पकड़ा जाता है अथवा उनका जहर उतारा जाता है  नाग कडा कहा जाता है| इस साधना के द्वारा मांत्रिक किसी भी सर्प को अपने वश में कर सकता है| नाग तंत्र साधना में इनकी संख्या एक सौ एक बताई गई है|
यह साधना किसी नदी के तट पर करें| अपने सम्मुख तांबे के लोटे में जल तथा कच्चा दूध मिलाकर रखें| धूप दीप लगाएँ| अब काली हकीक या रुद्राक्ष की माला पर निम्नलिखित नाग कीलन मंत्र का जाप करें
जहां बिराजौ बालू कालू/कीलें तेरे दंत, ओष्ठ, मुख तालु/कीलूँ तेरी माई बाबा जिनका है तू जाया रे
कीलूँ तोरी दादी-नानी जिनने गोदी खिलाया रे, कीलूँ तोरी भाई-बंधु जिनने लाड़ जताया रे!
कीलूँ तेरी कुल बिरदरी जिन संग तू फिरे है रे
उक्त मंत्र में सबोधित नाग तथा उसके परिजनो के कीलन की बात कही गई| निरंतर चालीस दिनो तक इस मंत्र का जाप एक सौ आठ बार करें| प्रति दिन लोटे का जल किसी सर्प की बांबी में डाल दें| चालीसवे दिन यह मात्र सिद्ध हो जाता है| यदि किसी को साँप डस ले तो इस मंत्र को सात बार पढ़ कर झाड दें| उसे आराम मिलेगा|
चाटी चलाना
यह विधि बिहार के मधुबनी क्षेत्र में प्रचीलित है| यहाँ के अनेक ग्रामो की भूमि नाग डीह मानी जाती है| साधारणतया यहाँ साँपो को मारा नहीं जाता है| अक्सर दिखने वाले सर्पों से एक प्रकार की मैत्री स्थापित हो जाती है| फिर भी यदि सर्प किसी को डस ले तो इसके लिए चाटी चलाकर सर्प को वश में करने की प्रक्रिया की जाती है| यह विधि विद्वान पंडितों के मध्य ही प्रचलित है| यदि किसी को साँप काट ले तो सर्व प्रथम प्राथमिक उपचार के तहत उस स्थान को कसकर बांध दे| इसके बाद निंलिखित  मंत्र ज़ोर –ज़ोर से पढ़ें
कौन देस से आया है रे कौन देस है डेरा
आवो अपना बिक्ख  उतारो शिव सप्पत  है तोरा
हाक डाक नेबों फांक फेंकब फन थाकुच तोरा
उक्त मंत्र को दो तीन की सख्या में पुरुषों की मंडली बनाकर ज़ोर-ज़ोर से पढ़ें| मंत्र पाठ के कुछ ही देर बाद वह सर्प वापस लौटता है अपना जहर उस व्यक्ति से शरीर से चूसकर वापस चला जाता है| यदि नहीं आए तो इसी मंत्र को पढ़ते हुए मांत्रिक कुछ अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए उस सर्प को संबोधित करटे हैं| अपने पूरी हथेली उसके जख्म के स्थान पर रखते हैं| इसके बाद वह हथेली बिना मांत्रिक के प्रयास के खुद ब खुद चलने लगती है और ठीक उस सर्प की बांबी के पास आकर रुकती है| वहाँ उस सर्प को कीलित कर दिया जाता है| वह वशीभूत होकर वापस आता है तथा पीड़ित के शरीर से जहर चूस लेता है|

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

स्तंभन तंत्र प्रयोग:

स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....

गुप्त नवरात्रि के दिनों में तांत्रिक साधना

 जाने कैसे किये जाते है गुप्त नवरात्रि के दिनों में तांत्रिक साधना जिससे कोई भी किसी भी कार्य को सफल बना सकता है| अधिकतर लोग वर्ष में आने वाली चैत्र नवरात्रा और आश्विन या शारदीय, दो ही नवरात्रों के बारे में जानते हैं। लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि इसके अतिरिक्त और भी दो नवरात्रा होती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रा कहा जाता है। इन दिनों देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन्न साधनाए भी उन्हें प्रसन्न करने के लिए की जाती है। तंत्र साधना के अनुसार गुप्त नवरात्रा में अपनाए गए प्रयोग विशेष फलदायक होते हैं और उनका फल भी जल्दी ही प्राप्त किया जा सकता है। जैसा कि गुप्त शब्द से ही विदित होता है कि यह नवरात्रा गुप्त होती है, अतः इस समय किए गए सभी उपाय भी गुप्त ही होने चाहिए।गुप्त एंव काली शक्तियों को प्राप्त करने हेतु यह श्रेष्ठ समय है और इस समय के सदुपयोग के लिए आपके लिए पेश है गुप्त नवरात्रि के तांत्रिक उपाय टोटके–१) तंत्र-मंत्र आरम्भ करने के पहले आप एक कलश की स्थापना करे मां देवी का नाम लेते हुए। देवी मां की मूर्ति को सिंदूर चढ़ाएं, धूप दीप करे, लाल फूल अ...

बगलामुखी शत्रु विनाशक मारण मंत्र

शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १)  “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और ...