दस महाविद्यायों में पहली शक्ति का नाम है मां काली। मां काली के बहुत से रूप हैं जिनमें महाकाली, शमसान काली, गुहय काली, भद्र काली, काम काली, दक्षिण काली मुख्य हैं। माता सती ने जब भगवान शिव को रोकने के लिए अपने रुप का विस्तार किया तो पहला रूप मां काली का था इसलिए इन्हें आद्य शक्ति कहा जाता है। शनिवार के दिन मां काली को प्रसन्न करने के लिए जातक तंत्र-मंत्र को अपना कर शत्रुओं पर विजय पाने, गृह शांति बढ़ाने तथा जीवन में आ रही कई तरह की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए विचित्र टोने-टोटके करते हैं। जातक को मां काली असीम आशीष , सुख-संपन्नता, वैभव व श्रेष्ठता प्रदान करती है एवं उनके राग, द्वेष, विघ्न आदि भस्म कर देती हैं।शनिवार की सुबह शुद्ध होने के पश्चात सात, ग्यारह या इक्कीस नींबूओं की माला अपने हाथों से बना कर मां काली के मंदिर में ले जाएं और अपने हाथों से देवी मां को पहनाएं। माला पहनाने के बाद मां के मस्तक पर गुलाब के फूल बरसाएं और लाल गुलाब की माला पहनाएं। मां काली को गुड़ बहुत प्रिय है। अत प्रशाद के रूप में गुड़ का भोग लगाने के पश्चात प्रशाद को वहां उपस्थित भक्तों में बांट दें। अगर इतना करना आप के लिए संभव न हो तो रोजाना या सप्ताह में अथवा माह में कम से कम एक बार मां काली को गुड़ का भोग लगाने के बाद बांट दें। गरीबों की जहां तक संभव हो मदद करें। जिस जातक के मन में अहम्, माया, ममता और भेद-बुद्धि का नाश न हुआ हो वह मां काली की उपासना करने में कदापि सफल नहीं हो पाते।
शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १) “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और ...
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