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कौन बनता है भूत, कैसे रहें भूतों से सुरक्षित

हिन्दू धर्म में भूतों से बचने के अनेकों उपाय बताए गए हैं। पहला धार्मिक उपाय यह कि गले में ॐ या रुद्राक्ष का लाकेट पहने, सदा हनुमानजी का स्मरण करें। चतुर्थी, तेरस, चौदस और अमावस्य को पवि‍त्रता का पालन करें। शराब न पीएं और न ही मांस का सेवन करें। सिर पर चंदन का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांधकर रखें।घर में रात्रि को भोजन पश्चात सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान पर कपूर र लौंग जला दें। इससे आकस्मिक, दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों से मुक्त मिलती है।प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में धतूरे का पौधा जड़ सहित उखाड़कर उसे ऐसा धरती में दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाए। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहतप्रेत बाधा निवारक हनुमत मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा। इस हनुमान मंत्र का पांच बार जाप करने सेभूत कभी भी निकट नहीं आ सकते।हनुमान जी के बाद मां कालका के स्मरण मात्र से किसी भी प्रकार की भूतबाधा है तो तत्काल ही हट जाती है। मां काली के कालिका पुराण में कई मंत्रों का उल्लेख मिलता हैसरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। ये काजल लगाने से भूत, प्रेत, पिशाच आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी रक्षा होती है।
चरक संहिता में प्रेत बाधा से पीड़ित रोगी के निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं। ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों- प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृदोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं। अथर्ववेद में दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है।सावधानी : नदी, पूल या सड़क पार करते समय भगवान का स्मरण जरूर करें। एकांत में शयन या यात्रा करते समय पवित्रता का ध्यान रखें। पेशाब करने के बाद धेला अवश्य लें और जगह देखकर ही पेशाब करें। रात्रि में सोने से पूर्व भूत-प्रेत पर चर्चा न करें। किसी भी प्राकार के टोने-टोटकों से बच कर रहें।ऐसे स्थान पर न जाएं जहां पर तांत्रिक अनुष्ठान होता हो, जहां पर किसी पशु की बलि दी जाती हो या जहां भी लोबान आदि धुंवे से भूत भगाने का दावा किया जाता हो। भूत भागाने वाले सभी स्थानों से बच कर रहें, क्योंकि यह धर्म और पवित्रता के विरुद्ध है।जो लोग भूत, प्रेत या पितरों की उपासना करते हैं वह राक्षसी कर्म के होते हैं ऐसे लोगों का संपूर्ण जीवन ही भूतों के अधिन रहता है। भूत-प्रेत से बचने के लिए ऐसे कोई से भी टोने-टोटके न करें जो धर्म विरुद्ध हो। हो सकता है आपको इससे तात्कालिक लाभ मिल जाए, लेकिन अंतत: जीवन भर आपको परेशान ही रहना पड़ेगा।अन्य उपाय :यदि बच्चा बाहर से आए और थका, घबराया या परेशान सा लगे तो यह नजर लगने की पहचान है। ऐसे में उसके सर से 7 लाल मिर्च और एक चम्मच राई के दाने 7 बार घूमाकर उतारा कर लें और फिर आग में जला दें। यदि डरावने सपने आते हों, तो हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमानजी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं अशोक वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रख कर पूजा करें। उनके सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। यह क्रिया नियमित रूप से करें, घर भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा।भूतादि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान उसके स्वभाव एवं क्रिया में आए बदलाव से की जाती है। अगल-अलग स्वाभाव परिवर्तन अनुसार जाना जाता है कि व्यक्ति कौन से भूत से पीड़ित है।भूत पीड़ा : यदि किसी व्यक्ति को भूत लग गया है तो वह पागल की तरह बात करने लगता है। मूढ़ होने पर भी वह किसी बुद्धिमान पुरुष जैसा व्यवहार भी करता है। गुस्सा आने पर वह कई व्यक्तियों को एक साथ पछाड़ सकता है। उसकी आंखें लाल हो जाती हैं और देह में सदा कंपन बना रहता है।पिशाच पीड़ा : पिशाच प्रभावित व्यक्ति सदा खराब कर्म करना है जैसे नग्न हो जाना, नाली का पानी पीना, दूषित भोजन करना, कटु वचन कहना आदि। वह सदा गंदा रहता है और उसकी देह से बदबू आती है। वह एकांत चाहता है। इससे वह कमजोर होता जाता है।प्रेत पीड़ा : प्रेत से पीड़ित व्यक्ति चिल्लाता और इधर-उधर भागता रहता है। वह किसी का कहना नहीं सुनता। वह हर समय बुरा बोलता रहता है। वह खाता-पीता नही हैं और जोर-जोर से श्वास लेता रहता है।शाकिनी पीड़ा : शाकिनी से ज्यादातर महिलाएं ही पीड़ित रहती हैं। ऐसी महिला को पूरे बदन में दर्द बना रहता है और उसकी आंखों में भी दर्द रहता है। वह अक्सर बेहोश भी हो जाती है। कांपते रहना, रोना और चिल्लाना उसकी आदत बन जाती है।चुडैल पीड़ा : चुडैल भी ज्यादातर किसी माहिला को ही लगती है। ऐसी महिला यदि शाकाहारी भी है तो मांस खाने लग जाएगी। वह कम बोलती, लेकिन मुस्कुराती रहती है। ऐसी महिला कब क्या कर देगी कोई भरोसा नहीं।यक्ष पीड़ा : यक्ष से पीड़ित व्यक्ति लाल रंग में रुचि लेने लगता है। उसकी आवाज धीमी और चाल तेज हो जाती है। वह ज्यादातर आंखों से इशारे कहता रहता है। इसकी आंखें तांबे जैसी और गोल दिखने लगती हैं।ब्रह्मराक्षस पीड़ा : जब किसी व्यक्ति को ब्रह्मराक्षस लग जाता है तो ऐसा व्यक्ति बहुत ही शक्तिशाली बन जाता है। वह हमेशा खामोश रहकर अनुशासन में जीवन यापन करता है। इसे ही जिन्न कहते हैं। यह बहुत सारा खाना खाते हैं और घंटों तक एक जैसे ही अवस्था में बैठे या खड़े रहते हैं। जिन्न से ग्रस्त व्यक्ति का जीवन सामान्य होता है ये घर के किसी सदस्य को परेशान भी नहीं करते हैं बस अपनी ही मस्ती में मस्त रहते हैं। जिन्नों को किसी के शरीर से निकालना अत्यंत ही कठीन होता है

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