क्या आप पर किसी ने कुछ किया कराया है ?क्या आप के ऊपर किसी ने कोई भूत या जिन्न छोड़ा है ??क्या आप काले जादू का शिकार हो गए है ?क्या आप काली शक्तियों से छुटकारा पाना चाहते हैं ?इस मन्त्र का उपयोग करके आप किसी भी तरह की बुरी शक्ति, भूत, प्रेत, जिन्न, काल जादू, टोना और हर तरह का किया कराया ख़तम कर सकते है | यह एक बहुत शक्तिशाली मन्त्र है और यह कभी अचूक नहीं जाता |इस मन्त्र की विधि के लिए जरुरी सामग्री:उस इंसान का कोई इस्तेमाल किया हुआ कपडा जिस के ऊपर से काली शक्ति ख़तम करनी है |थोड़ी सी शमशानघाट की राख |एक शराब को बोतल |पांच लाल मिर्च |एक निम्बू |काला कपडा |जलाने के लिए कुछ लकड़ियां |एक कपडे का बना पुतला |मिटटी की हांड़ी |इस विधि को करने का पूरा तरीका :सबसे पहले काले कपडे के ऊपर पुतला रख दें |फिर निम्बू को दो हिस्सो में काट लें |उनके दोनों अंदर के हिस्सों में थोड़ी थोड़ी शमशानघाट की रख लगा दें |फिर दोनों हिस्सो को पुतले के पास रख दें |अब उसके साइड में लकडियो से आग जल लें|अब हांड़ी में उस इंसान का इस्तेमाल किया हुआ कपडा दाल दें|फिर पांच काली मिर्च हाथ में लेकर नीचे दिए गए मन्त्र का 111 बार जाप करें |मन्त्र :ओम ह्रीम दम उत्तिष्ठ पुरुष,किम स्वपिषि, भयं में समुपस्थितं,यदि शाक्य मशक्यम वा,तन्मे भगवती सहमे स्वाहा ॥फिर उन पांचो मिर्चो को उस इंसान के सर के ऊपर से सात बार घुमाएं |उनको मिट्टी की हांड़ी में डाल दें |फिर शराब को मिट्टी को हांड़ी में डाल दें ||पुतले को मिट्टी की हांड़ी में डाल दें |फिर उसको काले कपडे से बंद कर दें |हांड़ी को शमशानघाट में जाकर छोड़ आएं |इस मन्त्र को इस्तेमाल करने के लिए कुछ सावधानियां :इस मन्त्र का इस्तेमाल शनिवार की रात को ही करें ||मन्त्र का उचारण सही होना चाहिए ||विधि के दिन किसी नशे का इस्तेमाल न करें |हांड़ी शमशानघाट में छोड़कर पीछे मुड़कर न देखें ||
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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