हमारे बीच में से कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रभावित करती है। जिन्हें नकारात्मक शक्तियों का अहसास जल्दी हो जाता है और उन्हीं में से कुछ उनकी गिरफ्त में भी आ जाते है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनका नकारात्मक शक्तियां बाल भी बाकां नहीं कर पाती है, लेकिन ऐसा क्यों? जानिए इसके पीछे का रहस्य जिन लोगों की कुंडली के दशम भाव का स्वामी अष्टम भाव में या एकादश भाव में हो तो और संबंधित भाव के स्वामी से नजर भी हो तो ऐसे लोग नकारात्मक शक्तियों की गिरफ्त में जल्दी आते हैं।व्यक्ति की कुंडली के पहले भाव में चंद्र के साथ राहु हो या फिर पंचम भाव और नवम भाव में क्रूर ग्रह हो तो नकारात्मक शक्तियां इन्हें अधिक परेशान करती है।अगर कुंडली में शनि, राहु, केतु या मंगल की दशा खराब होती हैं तो नकारात्मक शक्तियां आपको परेशान करने लगती है।जो इन शक्तियों के बारे में अधिक सोचता है और उसे मन में इनको लेकर हमेशा एक डर रहता है। ऐसे लोगों पर ये शक्तियां जल्दी हावी होती है।
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें