माँ काली शत्रु शमन नाशक मारण कर्म उच्चाटन तंत्र प्रयोग मंत्र उपाय टोटके- हमें अपने जीवन में कभी न कभी शत्रुओं से सामना करना ही पड़ता है. अगर आपका शत्रु शक्तिशाली है तो आपको बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा. किसी भी तरह का शत्रु आपकी जीवन को दुभर कर सकता है. इसलिए आपको शत्रु शमन शमन के उपाय टोटके का प्रयोग कर अपने शत्रु से निजात पाना चाहिए| आप शत्रु उच्चाटन तंत्र प्रयोग विधि से अपने शत्रु को परास्त कर सकते हैं. जब भी आप शत्रु शमन के उपाय टोटके करें आप पूरे आत्मविश्वास के साथ करें. पूरे आत्मविश्वास से ये टोटके करने पर आपको अपने शत्रु पर विजय प्राप्त होगी. जब आप शत्रु मारण कर्म का प्रयोग करते हैं तो आपके मन से दुश्मन का भय समाप्त हो जाता है और आपका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है|इसके अंतर्गत गोमती चक्र का प्रयोग भी किया जा सकता है, अगर आपके शत्रु ने आपके ऊपर कोई जादू टोना अथवा टोटका कर दिया है तो आप शुक्ल पक्ष में बुधवार के दिन ख़ुद के सिर पर गोमती चक्र को घुमाएँ और फेंक दें. इस प्रयोग से आपके शत्रु के द्वारा आपको नुकसान पहुँचाने के सारे प्रयास निष्फल हो जायेंगे| आप अगर चाहते हैं कोई भी आपका शत्रु न रहे और हर कोई मित्रवत आपसे व्यवहार करने लगे तो आपको बैजयंति माला को आपने गले में पहनना चाहिए. इसमें अद्भुत शत्रु वशीकरण शक्ति होती है. इसके प्रयोग से आपका शत्रु मित्र बनके आपके साथ व्यवहार करने लगेगा. इस माला के प्रभाव से आपके शत्रुओं किस संख्या बड़ी तेजी से कम हो जाएगी. इस माला का प्रभाव ये है कि स्वयं भगवान कृष्ण भी इसे धारण करते थे|
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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