लाजवंती से वशीकरण कैसे किया जाता है? ‘लाजवंती’ अर्थात ‘छुई-मुई,। जैसा कि नाम से ही जाहिर है यह एक ऐसा पौधा है जिसे कोई भी व्यक्ति अगर छू देता है तो यह अपने आप ही अपनी पत्नियों को सिकुड़ कर बंद कर लेता है और कुछ समय बाद यह पत्तियां अपने आप ही खुल जाती है। यह पौधा साल भर उगता है और इसके फूलों के रंग लाल होते हैं। अधिकतर इस पौधे का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। परंतु, वशीकरण के तांत्रिक प्रयोग में भी लाजवंती का उपयोग किया जाता है और आज हम आपको यहां पर लाजवंती से वशीकरण तांत्रिक प्रयोग के बारे में बताने जा रहे हैं तथा आशा है कि यह प्रयोग आपको जरूर लाभ पहुंच जाएंगे।लाजवंती से वशीकरण कैसे किया जाता हैकृष्ण पक्ष की चतुर्थी और उस दिन रविवार हो ऐसे दिन का चयन करें और लाजवंती के पौधे को नमस्कार कर अपने घर आने का न्योता देकर आए। दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ होने के पश्चात उस पौधे को वापस नमस्कार कर घर में ले आए। ध्यान रखें, इन क्रियाओं के मध्य कोई भी आप को ना देखें। अब घर में पौधा को लाकर उसे छाया में सुखा लें तथा इसकी पत्तियों का पाउडर बना लें। इसे आप किसी डिब्बी में भर कर पूजा स्थल में रख दे। जब भी आपको किसी को वश में करना है तब इष्ट देव से प्रार्थना कर थोड़ा सा यह पाउडर ले और उसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना ले। अब जिसे अपने वश में करना है उस व्यक्ति का नाम लेकर तिलक लगाए। तिलक लगाने के पश्चात उस व्यक्ति के सम्मुख जाए। वह व्यक्ति अवश्य ही आपके वश में हो जाएगा।किसी भी शुक्रवार अथवा पूर्णिमा के दिन इस पौधे का धूप और दीप से पूजन करें। तत्पश्चात इसे जड़ से उखाड़ ले। इसे घर में ले आए तथा गौ माता के दूध (दूध कच्चा होना चाहिए) से धोकर इसे रख दे अपने पूजा स्थान पर। अब जिस व्यक्ति को अपने वश में करना है उसके पास जाते समय भगवान से प्रार्थना करते हुए यह जड़ अपने पास रखकर उसके सामने जाए। इससे वह आप के वश में हो जाएगा।लाजवंती के तांत्रिक प्रयोग इसकी जड़ को आप अपने कमर में बांध कर रख सकते हैं। ऐसा करने से आपके दुश्मन भी आपके वश में हो जाएंगें।ओम नमो दिगंबराय अमुकस्य स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा। एकलक्षजपामंत्र: सिद्धो भगति नान्यथा। अष्टोत्तरशतजपात् प्रयोगे सिद्धिरुत्तमा।।” इस मंत्र का एक लाख बार जाप कर इसे सिद्ध करें। जब आपको इसका प्रयोग करना है तब लाजवंती पौधे की जोड़ को लाकर उसे साफ कर कर ले। इसके बाद उसे पीस कर पेस्ट बना लें। इसे तिलक के रूप में प्रयोग करें व १०८ बार वापस फिर से ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें। जिसे वश में करना है उसके सम्मुख जाए। लाजवंती से वशीकरण तांत्रिक प्रयोग का एक अनूठा प्रयोग जिसको आजमाने से बहुत जल्दी ही असर होता है।लाजवंती से वशीकरण तांत्रिक प्रयोग के उपायों के अलावा इसके अन्य कई भी लाभदायक प्रयोग हैं जो निम्नलिखित हैं-लाजवंती पौधे की जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाए। अब इस चूर्ण को दही के साथ मिलाकर खाएं। इस प्रयोग से डायरिया से ग्रसित व्यक्ति लाभान्वित होगा।इस पौधे के पत्ते को तोड़ कर ले। इन्हे साफ करें और पानी डालकर पीस से और पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बवासीर से ग्रसित व्यक्ति के घाव वाले स्थान पर लगाने से खून का बहाना रुक जाता है।प्रतिदिन इस पौधे के पत्तों का रस पिया जाए तो व्यक्ति की हड्डियां मजबूत हो जाती है।इसके पत्तों का रस प्रतिदिन लगभग ४० मिलीलीटर रोज पिया जाए तो यह तपेदिक जैसे रोगों से निजात पाने के लिए रामबाण औषधि सिद्ध होगा।लाजवंती के वशीकरण टोटकेलाजवंती पौधे की जड़ को ले आए। अब एक पतीले में पानी गर्म करें और इसे डाल दे। जब यह अच्छी तरह खौल जाए तो इसी पानी से गरारे करें। इससे दांत दर्द से तुरंत निजात पाया जा सकता है।इसके पत्तों का लगभग २० से ४० मिलीलीटर रस प्रत्येक दिन खाली पेट लेने से पीलिया से ग्रसित व्यक्ति लाभान्वित होगा। यह ३ सप्ताह तक नियमित ले।इस पौधे की जड़ को ले। इसमें पानी मिलाकर पीसकर उसका पेस्ट बना लें। इसका लेप ब्रेस्ट कैंसर के लिए रामबाण औषधि है।लाजवंती के जड़ का काढ़ा बनाएं। इसे दिन में तीन बार पथरी से ग्रसित रोगी को दे। यह प्रयोग व्यक्ति के शरीर के अंदर मौजूद पत्थरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर उसे उसके मूत्र मार्ग के द्वारा बाहर निकाल देगा।लगभग ३० मिलीग्राम लाजवंती के पत्तों का रस अपच के रोगी को दिया जाए तो उसके रोग में कमी आती है।लाजवंती के पत्तों के पेस्ट को अगर गले में लगाया जाए तो खांसी में अथवा गले की खराश में आराम मिलता है। इसके अलावा शहद के साथ इसकी जड़ को पीसने कर उस पेस्ट को खाने से भी लाभान्वित हुआ जा सकता है।इसके पत्तों का रस का सेवन मधुमेह की बीमारी को दूर भगाता है।लाजवंती से वशीकरण के उपाय-इस पौधे के पत्तों का ६ चम्मच रस ले। इसमें शहद मिलाएं २ चम्मच। प्रतिदिन तीन बार दिन में इसका नियमित रूप से सेवन करने से मासिक धर्म में होने वाले कष्ट से निजात पाया जा सकता है।इसकी जड़ को पीसकर उसमें शहद के साथ काली मिर्ची मिला ले। ५ मिलीमीटर करके इसकी खुराक बनाकर दिन में चार बार लेने से महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलाता है।इसके पौधे के पत्तियों के रस बनाए। इसमें शहद मिलाकर दिन में एक बार लिया जाए तो यह पेट के कीड़ों की मारने की दवा साबित होगी।
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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