बंगाली मंत्र साधना, बंगाली वशीकरण मंत्र, बंगाली जादू मंत्र- हर प्रांत की अपनी अलग विशेषता होती है| बंगाल प्रारम्भ से ही आद्यात्मिक क्षेत्र में अग्रणी रहा है|यह रामकृष्ण परमहंस तथा उनके शिष्य विवेकानंद की धरती है| परंतु जिस प्रकार प्रत्येक विचार की दो धाराएँ होतीं है उसी प्रकार आध्यात्म के क्षेत्र में भी बंगाल दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है| पहले क्षेत्र में कृष्णानन्द आगमबागीश जैसे बड़े-बड़े योगी तथा भक्ति मार्ग के सिद्ध पुरुष हुए| इनकी इष्ट देवी काली हैं| दूसरे क्षेत्र में बड़े-बड़े अघोड़पंथी हुए| ये भी देवी काली के ही आराधक हैं परंतु तंत्र के वाममार्ग का प्रतिनिधितव करते हैं|बंगाल राज्य में एक जिला है वीरभूम| यहाँ की तांत्रिक साधना अत्यंत प्रसिद्ध है| यहीं 51 शक्तिपीठों में से के तारापीठ स्थित है| मंदिर से कुछ कदम आगे विशाल श्मशान है जहां वर्ष भर औघड़ों का डेरा लगा रहता है| बंगाल क्षेत्र को राजिनीतिक अथवा भौगोलिक रूप से राज्य के रूप में विचारित करने की बजाय इसमे एकसमान संस्कृति वाले उड़ीसा, आसाम तथा बिहार के कुछ हिस्से को भी शामिल करना पड़ेगा| इन क्षेत्रों में आध्यात्मिक उत्थान के साथ-साथ जादू टोने का प्रचलन इतना अधिक बढ़ गया बाकी सभी बातें गौण होकर रह गई| इनमे भी कलकत्ते का काला जादू तथा कामरूप कामाख्या के जादू – टोने का डंका दुनिया भर में बजने लगा| 19वीं शताब्दी के मध्य तक लोग अपने युवा पुत्रों को इन क्षेत्रो में भेजने से डरते थे| मान्यता है कि वहाँ की जादूगरनियाँ पुरुषों को भेड़ा बनाकर रख लेती हैं| एक प्रसिद्ध कहानी है जिसके अनुसार महान गुरु मछेन्द्र नाथ भी एक बार कामरूप कामाख्या की जादूगरनी के वश में हो गए| उनके शिष्य गोरखनाथ ने ध्यान लगाया तो उन्हें अपनी गुरु की स्थिति का बोध हुआ| वह भेष बदलकर वहाँ पहुंचे और भेड़ा बने मछेन्द्र नाथ से कहा-जाग मछेन्दर! गोरख आया!! दो से तीन बार ऐसा कहते ही उनके गुरु वास्तविक स्वरूप में आ गए| तब से इस उक्ति का शाबर मंत्र के मंत्र के रूप में प्रयोग होने लगा है| यदि किसी पर वशीकरण का प्रभाव दिखे, उसके कानो में प्रतिदिन तीन बार कहें—जाग —-! गोरख आया!! गुरु गोरखनाथ का नाम लेते ही जादू प्रभाव खत्म हो जाता है|बंगाली वशीकरण मंत्र बंगाली तंत्रिकों के लिए कामरूप कामाख्या तंत्र सिद्धि का विशेष स्थान है| इसलिए अनेक मंत्रो में कामाख्या देवी को ही संबोधित किया जाता है| मान्यता है कि कामख्या देवी अत्यंत उग्र है| यदि इनकी साधना निष्ठापूर्वक किया जाए तो प्रयास निष्फल नहीं जाता| बंगाली तांत्रिक वशीकरण के लिए भी कामख्या देवी की आराधना ही श्रेष्ठ मानते हैं –ओम नमो कामाख्या देव्यै अमुक मां वश्य कुरु स्वाहा:उक्त मंत्र का जाप एकांत में रात्रि के समय प्रारम्भ करें| इसे शुरू करने से पूर्व अपने सम्मुख कामाख्या देवी का विग्रह अथवा चित्र रखें| पंचोपचार पूजन करें| हाथ में जल लेकर अपना नाम गोत्र आदि बोलते हुए तथा अपनी मनोकामना व्यक्त करते हुए सवा लाख जाप का संकल्प करें| दिशा शोधन, कर न्यास, अंग न्यास, कवच आदि पाठ करने के बाद देवी के मनोरम रूप का ध्यान करे| तत्पश्चात प्रतिदिन जाप करें तथा सवा महीने में पूर्ण कर लें| जप के दौरान जिसका वशीकरण करना है उसका चित्र रखें| चित्र न हो तो लाल कलाम से उसका नाम लिखकर गोला बनाकर घेर दें| यदि प्रतिदिन ऐसा करना संभव न हो तो प्रथम दिन तथा जाप समाप्ति दिन अवश्य करें| बीच के दिनों में दुर्गा सप्तशती में वर्णित कवच पाठ कर लें| सवा लाख जाप पूर्ण होने के उपरांत 108 आहुतियाँ डालें| इसके बाद यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा| पूजा में उपयोग किए गए प्रसाद, पुष्प, जल आदि को संभाल कर रखें| जिसका वशीकरण करना हो उसका नाम लेते हुए 11 बार इस मंत्र का जाप करें तथा प्रसाद खिला दें, अथवा जल उसके ऊपर छिड़क दें अथवा फूल उसके किताब में छुपाकर रख दें| वह वशीभूत हो जाएगा/जाएगी|बंगाली जादू मंत्र कहते हैं बंगाल की हर लड़की को पुराने जमाने में परवरिश के दौरान गृहकार्य के साथ-साथ वशीकरण का कुछ तरीका या टोटका बताया जाता है| दरअसल बंगाल के अधिकांश लोग दक्षिण काली की आराधना करते हैं| इनमे स्त्री-पुरुष दोनो शामिल होते हैं| परंतु स्त्रियाँ कुशल गृहणी होने के अलावा पति को वश में रखने का उपाय भी जानती थी| जबकि यहाँ स्त्री-पुरुष दोनों को वश में रखने का मंत्र तथा टोने-टोटके प्रचलित हैं|दक्षिण काली की आराधना के लिए प्रसिद्ध मंत्र है –ओम क्रीं क्री दक्षिण कालियै नमः जो स्त्री-पुरुष नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करते हैं तथा काली की आराधना करते हैं उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है| परंतु यहाँ स्त्रियॉं को वश में करने के लिए भी कुछ शाबर मंत्र प्रचिलित हैं| इनका प्रारम्भ बंगाल से ही हुआ, परंतु देश के अलग-अलग प्रान्तों में पहुँचते ही इसका स्वरूप बदल गया|वह मंत्र है –काली घाटे देवी काली/पतित-पावनी देवी काली/जावा फूले स्थूरी जले।सयी जवा फूल में सीया बेड़ाय/देवीर अनूरबल। ओहि होत करिवजा होयबे ।काली धर्मेर/ बले कहार आज्ञे राठे। कालिका चण्डीर आशे|यह एक चमत्कारी शाबर मंत्र है| मनोकामना मन में रखकर तीन बार इस मंत्र का जाप करें तथा फूँक मारे| इससे हर अभीष्ट की सिद्धि होती है| इस मंत्र की सहायता धन लाभ, से लेकर वशीकरण तक किया जा सकता है| बंगाली टोटके दीपावली, होली या ग्रहण के मौके पर पीपल के पाँच या सात पत्ते तोड़कर लाएँ| लक्ष्मी पूजन के बाद उन पत्तों पर प्रसाद रखकर पीपल के वृक्ष को अर्पित कर दें| इससे घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है|यदि किसी को नज़र लग गई हो तो एक रोटी बनाए जो एक तरफ से कच्ची दूसरी तरफ से पक्की हो| अब उस पर घी चुपड़ दें तथा ऊपर से थोड़ा सा नमक और तीन सूखी मिर्च रख दें| अब उसे पीड़ित के ऊपर से सात बार उसार कर बहते हुए पानी में फेंक दें अथवा सुनसान क्षेत्र में जाकर रख दें| शादी के तुरंत बाद मियां-बीबी में झगड़ा होने लगे तो हरी मेंहदी में काली उड़द मिलाकर जिस दिशा में उनका घर हो उस दिशा में फेंक दें| दशहरे के अवसर पर जहां देवी प्रतिमा बैठती हो| वहाँ पूजा करने हेतु जाएँ| पूजन सामग्री के साथ अपनी मनोकामना भी एक कागज पर लिख दें| पूजन सामग्री अर्पित करते समय निरंतर अपनी कामना बोलते रहें| लौटते समय पंडित से अनुरोध करें कि वह उस कागज में आपको सिंदूर दे दे| वह सिंदूर सवा महीने तक लगाएँ| इससे पति का वशीकरण होता है| स्वाभाविक रूप से यह विधि सिर्फ स्त्रियॉं के लिए है|
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