पति के गुस्से को दूर कैसे करें , ” यदि आपके पति से आपके प्रतिदिन लड़ाई झगडे होते रहते है और यह झगडे दिन प्रतिदिन बढ़ रहे है और आपके नियन्त्र से बाहर होते जा रहे है तो आपको चिंता करने की कोई भी जरुरत नहीं है क्यूंकि आज हम आपको ऐसे टोटके के बारे में बताने जा रहे है जिनकी सहायता से न सिर्फ पति पत्नी में होने वाले लड़ाई झगडे को रोक पायेगी बल्कि अपने पति को भी अपने वश में कर पायेगी तो आइये जानते है टोटकों के बारे में1. पति पत्नी के झगड़े दूर करने के उपाय घर में सीताराम की मूर्ति को किसी ऐसे स्थान पर स्थापित करें जहाँ पति पत्नी और घर की सभी सदस्यों की नजरें उस मूर्ति या चित्र पर पड़े ! इससे न सिर्फ पति पत्नी में होने वाला लड़ाई झगड़ा समाप्त होता है बल्कि पारिवारिक क्लेश समाप्त होकर घर में सभी सदस्यों के बीच प्रेम और विश्वास का वातावरण बन जाता है !2. पति पत्नी में अनबन दूर करने के उपाय पति पत्नी के जिन जोड़ों में यदि अधिक लड़ाई झगड़ा होता है तो ऐसे में पत्नी को शनिवार के दिन सवा किलो इमरती भिखारियों और विकलांगों में वितरित कर दें ! दाम्पत्य जीवन की मधुरता बनाये रखने में यह प्रयोग महत्वपूर्ण माना गया है !3. यदि आपके पति दूसरी स्त्रियों के सम्पर्क में है तो ऐसे में आपको उल्लू की विष्ठा और चन्दन पाउडर को गंगाजल में मिलकर पति के मस्तक पर शनिवार की सुबह तिलक कर दें ! आपके पति उस दूसरी लड़की से दूर हो जायेगें !4. पति को वापिस पाने के लिए आप सोमवार के दिन अपने घर में पारद शिवलिंग को स्थापित करें और एकमुखी रुद्राक्ष धारण करें ! आपके पति आपके पास शीघ्र ही लौट आएंगे
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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