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शत्रु बाधा निवारण मंत्र उपाय टोटके

हर कोई आज शत्रु बाधा से पीड़ित है और इसके निवारण यंत्र मंत्र उपाय टोटके प्राप्त करना चाहता है|हर कोई आज शत्रु बाधा से पीड़ित है और इसके निवारण मंत्र उपाय टोटके प्राप्त करना चाहता है|व्यक्ति की प्रगति-शीलता से उत्पन्न जलन की भावना उस व्यक्ति के कई शत्रु को जन्म दे देती है। शत्रु कोई बाहर का भी हो सकता है या व्यक्ति का अपना भी और ऐसे मित्र रूपी शत्रु को पहचान कर उससे निपटना आसान नहीं होता है। अतः ऐसे शत्रु पर विजय प्राप्त करने हेतु शत्रु बाधा निवारण मंत्र उपाय टोटके अपनाया जाए तो बाधा से निवारण पाया जा सकता है।इसी वस्तु-स्थिति को ध्यान में रखते हुए आज इस स्तंभ में आपके लिए पेश है शत्रु बाधा निवारण मंत्र उपाय टोटके और यह हैं-
१)  “ओम् ह्वीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भ्य जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशाय ह्वीं ओम् स्वाहा”। जाप शुक्ल पक्ष में प्रारंभ करें, अगर नवरात्रि के दिनों का चयन करें तो अति उत्तम। इस मंत्र को प्रारंभ करने के लिए सबसे पहले एक पीले रंग का आसन ले व उसके ऊपर उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं। अपने सामने बगलामुखी माता का चित्र तथा बगलामुखी यंत्र एक लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें, साथ में अखंड दीपक एवं कलश की भी स्थापना करें। मंत्र जाप प्रारंभ करने के पहले महामृत्युंजय की एक माला का जाप तथा बगुला कवच का पाठ करें। अब माता का ध्यान कर साधना आरंभ करें। इस वक्त ध्यान देने योग्य बात है कि सब चीज पीले रंग की ही हो। साधक को भी पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए तथा पूजा की प्रत्येक सामग्री का रंग भी पीला ही रखे। अब आप अपने शत्रु रूपी बाधा को निवारण के लिए ऊपर दिए गए मंत्र का एक लाख बार जप करें। यह साधना बिल्कुल एकांत में करें और ब्रह्मचर्य का पुर्णत: का पालन करे।
२) अपने शत्रु द्वारा दी गई बाधा के निवारण के लिए आप यह एक आसान उपाय भी आजमा सकते हैं। सूर्योदय के पूर्व उठे और एक हरा निंबू ले। अब अपने दुश्मन का नाम लेते हुए इसे बराबर-बराबर चार भागों में विभाजित कर दें। तत्पश्चात गायत्री मंत्र का १०८  बार जाप करें। इसके बाद किसी चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में एक-एक टुकड़ा उछाल दे। मंत्र है– “ओम् भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्”।
३) “ह्वीं क्रां क्रीं क्रों क्र: नमः” मंत्र का जाप करें। इसके लिए सबसे पहले आप एक एकान्त स्थान का चयन करें। कुश का आसन बिछाकर बैठ जाए। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर मां भद्रकाली की मूर्ति की स्थापना करें। उन्हें लाल रंग के वस्त्र, लाल गुलाब, लाल फूल, लाल सिंदूर, केसर चंदन तथा सुहाग के सभी समान अर्पण करें। मिठाई का भोग लगाएं। घी का दीपक तथा धूपबत्ती जलाए। तत्पश्चात रुद्राक्ष की एक माला लेकर दिए गए मंत्र का जाप करे। इस मंत्र के जाप का प्रारंभ आप अमावस्या वाले दिन रात को ग्यारह बजे से करे और इसे २१ दिनों करे। प्रतिदिन जाप संख्या रखें एक ग्यारह माला।
४) “क्रीं क्रीं शत्रु नाशिनी क्रीम क्रीम फट्”। इस मंत्र को प्रारंभ करने के लिए आप रविवार या अमावस्या के दिन का चयन करें। इस मध्य रात्रि को एक काले रंग का आसन बिछाकर दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाए। अपने सामने एक लकड़ी की चौकी रखें और इसके ऊपर भी काला कपड़ा ही बिछाए। अब इसके ऊपर काली मां की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा करें और सिंदूर व लाल पुष्प चढ़ाएं, दीपक करे। अब कुछ बूंद सरसों के तेल में थोड़ा सिंदूर अच्छी तरह से मिलाए और इससे एक नींबू के ऊपर अपने शत्रु का नाम लिखें। ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें रुद्राक्ष की माला की सहायता से और जाप संख्या हो ११ माला। प्रत्येक माला के समाप्ति पर एक उड़द का दाना लेकर नींबू के ऊपर डालें और साथ ही साथ आप यह विचार करें कि शत्रु ने जो आप पर बाधा डालने की कोशिश की है उसे काली मां खत्म कर रही है। जप की पूर्णता के बाद निंबू को किसी तांबे के लोटे या मिट्टी की मटकी में डाल दे। इसके पश्चात जिस काले कपड़े के ऊपर माता की मूर्ति की स्थापना की गई थी उस कपड़े से मटकी अथवा लोटे का मुँह बांध दे और मां से बाधा निवारण हेतु प्रार्थना करें। अब आप इस मटकी को मिट्टी खोदकर जमीन में दबा दें रात को ही। तक तत्पश्चात घर चले आए बिना पीछे देखे व घर आकर स्नान कर ले।
५) आपका कोई शत्रु कर बुद कदर आप के पीछे पड़ा है और आपको परेशान कर रहा है तो आप यह उपाय भी अपना सकते हैं। शनिवार के दिन रात के समय सात साबुत लवंग ले इसके बाद उस अपने शत्रु का नाम लेकर इसमें फूंक मारे। ऐसा २१ बार करे। अब दूसरे दिन अर्थात रविवार को इन्हें आग में जला दे। इस उपाय को आपको लगातार सात शनिवार-रविवार तक करना है। इससे आपका शत्रु शांत हो जाएगा। यह शत्रु बाधा निवारण मंत्र उपाय टोटके का एक सरल और आजमाया हुआ टोटका है।
६) एक मोर का पंख बाजार से खरीद कर लेकर आए। अब मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाकर उनके मस्तिष्क का सिंदूर लेकर मोर पंख पर अपने शत्रु का नाम लिखे और उसी दिन अपने घर के मंदिर पर इसे रख दे। अब दूसरे दिन बिना नहाए प्रातः काल इसे मंदिर से उठाकर किसी बहते हुए पानी में बहा दे।
७) जब आप शौच करने जाएं तब उस वक्त वहीं पर बैठे बैठे वहीं के पानी से अपने शत्रु का नाम लिख ले अपनी उंगली की सहायता से। इसके बाद जब आप वहां से बाहर निकले तो शत्रु के नाम लिखे हुए स्थान को तीन बार ठोकर मारे अपने बाएं पैर पर और उसे लांघ कर बाहर निकल जाए।

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