आक वीर सिद्धि--यह साधना कृतिका नक्षत्र के प्रारम्भ से शुरू करके उसी दिन सिद्ध की जाती है।साधक को यह सिद्धि मात्र 21 माला जप करने से प्राप्त हो जाती है।यह एक दिन की साधना होती है।साधक को अपने माथे पर सफेद तिलक लगाना चाहिये। सफेद वस्त्र ,आसन ग्रहण करने चाहिये।आक के पेड़ के नीचे साधक शांत मन से बैठे।देशी घी का दिया जलाये,उद की धूप करे।मीठा रोट का भोग लगाय।मन्त्र जाप करे। प्रत्येक माला पर बेरी के कांटे से खरोंच लगाय आक के पेड़ पर । सम्पूर्ण कार्य होने पर शांत मन से बैठे रहे।मन्त्र जाप के समय या बाद में वीर साधक को आवाज देता है,डरे नही ,निर्भय होकर वीर से वचन ले।पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन, संकल्प,सुरक्षा रेखा,गुरुमन्त्र अनिवार्य है।जब वीर सिद्ध होता है तो सभी कार्य सम्पन्न करता है। यह वीर बन्द आँखो में ही दर्शन देते है।सिद्धि के समय भयानक दृश्य दिख जाने पर साधक को डरना नही चाहिये। मन्त्र -ॐ नमो आदेश गुरु का वीर कम्बली, वीर घात करे,चेते हनुमान वीर नही तो शिव की दुहाई।।
शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १) “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और ...
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