शोकापीर सिद्धि- यह साधना 31 दिन की है। इस साधना में साधक सफेद वस्त्र धारण करे।भगवान श्रीराम को मानने वाले साधक जो मन से साफ ,पवित्र हो साधना सिद्ध करे।दूसरो की निंदा न करे।सिद्धि प्राप्त होने पर साधक किसी भी भूत प्रेत पिशाच ब्रह्मबेताल आदि को पल भर में पकड़ कर पीर से दंडित अथवा बंधन करवा कर अथवा मारण करवा कर रोगी को रोगमुक्त कर सकता है। आत्माओ से बातचीत कर सकता है।यह साधना 2 घण्टे प्रतिदिन करनी होती है। दिशा उत्तर होती है।साधक सफेद वस्त्र धारण कर माथे पर सिंदूर का तिलक लगाकर सफेद आसन पर बैठकर हाथ मे रुद्राक्ष की माला तांत्रोक्त विधि से सिद्ध करके जप करे। अपने कमरे में गुलाब,चमेली, मोगरा का सेंट या इत्र सभी जगह छिड़क दें।अपने कपड़ों पर भी छिड़क ले।अपने सामने भगवान श्रीराम का फोटो काँसे की थाली में स्थापित करे।थाली में गेंदा के फूल रखे और एक माला फ़ोटो पर चढाए।मन्त्र जाप दाहिने हाथ के अंगूठे और मध्यमा उंगली से करें। साधक इस साधना से बड़े बड़े चमत्कार करता है।रात में यह साधना 12 बजे से शुरू करे।कमरे में शयन करे।पवित्रता से रहे।भोजन में फल,मिठाई,हरी सब्जियां ,दालें गृहण करे। पूजा में रात को फल फूल मिठाई का भोग लगाएं।देशी घी का बड़ा चिराग जलाये।लोबान की अगरबत्ती साधना काल मे जलाये।मोगरा ,चमेली,गुलाब की धूपबत्ती भी जलाये। साधना की सामग्री सुबह को किसी पीपल के पेड़ या मंदिर में चढाए।तांबे के लोटे का जल तुलसी या सूर्यदेव को अर्घ्य दे। दिन में रामायण का अध्ययन करे।धार्मिक कामो में व्यस्त रखे अपने आपको। साधना में पहले दिन साधक को एक मोटा आदमी दाढ़ी वाला दिखाई देगा ।दूसरे दिन साधक कोएक युवक दिखाई देगा।तीसरे दिन साधक को स्त्री दिखाई देगी।चौथे दिन एक मुल्ला के दर्शन होंगे।पांचवे दिन एक बूढ़ा आदमी नमाज पढ़ता दिखाई देगा। 16वे दिन आदमी बैठा हुआ दिखाई देगा।17वे दिन साधक की तरफ यह आदमी अर्थात पीर सुई या डंडा मारेगा साधक को महसूस होगा किन्तु डरे नही।18वे दिन किसी को हाथ से इशारा करते हुए दिखाई देगा।19वे दिन पीर मुकुट धारण करके बैठा हुआ दिखाई देगा।20 वे दिन नवयुवक रूप में एक राजकुमार बिना मूंछ दाढ़ी का दिखाई देगा।21वे दिन राजकुमार भयंकर राक्षस जैसा हो जाएगा किंतु साधक डारे नही यदि डर कर भाग गया तो पागल हो जाएगा।22वे दिन सामान्य रूप में दर्शन देगा पीर।23वे दिन कुछ घोड़े सवार दिखेंगे।24 वे दिन भी सवारी करते हुये दिखेंगे।25 वे दिन अकेला घोड़ा दिखेगा।26वे दिन लालवस्त्र धारण करके पीर दिखाई देंगे।27वे दिन किसी से बातचीत करेंगे ध्यान से सुने।28वे दिन घोड़े पर सफर होगा।29वे दिन बड़ी आँखे और भोजन की दावत में अनेक लोग दिखेंगे।30 वे दिन पीर किसी स्त्री से बात करता है और साधक की और देखकर मुस्कुराता है।31वे दिन पीर किसी भीड़ में से निकलकर साधक के सिर पर हाथ रख देते है और सिद्धि प्रदान करते है।ये दाढ़ी मूंछ धारण किये हुये पठानी कपड़े पहनकर आते है।इनको माँस मदिरा से सख्त नफरत है।साधक को हमेशा सात्विक होना चाहिए। ये हमेशा जायज काम करते है।नाजायज काम नही करेंगे।सिद्धि से पहले हनुमान जी की पूजा मंदिर में देकर आये।सिद्धि के बाद बंदरो को चने गुड़ खिलाए।खीर का वर्तन चौराहे पर रखे। साधना मे मन्त्र जाप रोज करे। 32वे दिन हवन करें।
शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १) “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और ...
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