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गुप्त नवरात्रि के दिनों में तांत्रिक साधना

 जाने कैसे किये जाते है गुप्त नवरात्रि के दिनों में तांत्रिक साधना जिससे कोई भी किसी भी कार्य को सफल बना सकता है| अधिकतर लोग वर्ष में आने वाली चैत्र नवरात्रा और आश्विन या शारदीय, दो ही नवरात्रों के बारे में जानते हैं। लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि इसके अतिरिक्त और भी दो नवरात्रा होती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रा कहा जाता है। इन दिनों देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन्न साधनाए भी उन्हें प्रसन्न करने के लिए की जाती है। तंत्र साधना के अनुसार गुप्त नवरात्रा में अपनाए गए प्रयोग विशेष फलदायक होते हैं और उनका फल भी जल्दी ही प्राप्त किया जा सकता है। जैसा कि गुप्त शब्द से ही विदित होता है कि यह नवरात्रा गुप्त होती है, अतः इस समय किए गए सभी उपाय भी गुप्त ही होने चाहिए।गुप्त एंव काली शक्तियों को प्राप्त करने हेतु यह श्रेष्ठ समय है और इस समय के सदुपयोग के लिए आपके लिए पेश है गुप्त नवरात्रि के तांत्रिक उपाय टोटके–१) तंत्र-मंत्र आरम्भ करने के पहले आप एक कलश की स्थापना करे मां देवी का नाम लेते हुए। देवी मां की मूर्ति को सिंदूर चढ़ाएं, धूप दीप करे, लाल फूल अर्पण करे
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भूत प्रेत पिशाच वशीकरण साधना मंत्र

भूत प्रेत पिशाच वशीकरण साधना मंत्र, आधुनिकता के इस दौर में भी भूत प्रेत, पिशाच, जिन्न और बेताल की अदृश्य शक्तियों के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता। यह सदियों से इंसान के जीवन में किसी न किसी रूप में बना रहा है। इसका उपयोग वशीकरण के लिए होता आया है। चाहे वह वशीकरण स्त्री-पुरुष के निजी संबंधों में सुधार को लेकर हो, या फिर दूसरे किस्म की बाधाओं को दूर करने के लिए हो। भूत प्रेत पिशाच वशीकरण साधना मंत्र हिदूं और मुस्लिम तंत्र विद्या में इसके मंत्र साधना के कई उपाए बताए गए हैं। वैदिक अनुष्ठान हों या फिर तंत्र-मंत्र की कठिन साधनाएं, उनके जरिए भूत प्रेत या पिशाच की सम्मोहन शक्ति हासिल की जाती है। विभिन्न तरह की साधनाओं में परी साधना, कर्ण पिशाचिनी साधना, किंकरी साधना, बेताल साधना, वीर साधना, डाकिनी साधना मुख्य हैं, जिनके बताए गए आवश्यक विधान-विधान इस प्रकार हैं साधना का विशेष स्थान एकांत और साफ-सुथरा होना चाहिए। गुरु के बगैर साधना अर्थहीन समझा जाता है, इसलिए उनके दिशा-निर्देशें का पालन करते हुए साधना किया जाना चाहिए। साधना में ब्रह्मचर्य का पालन बहुत जरूरी है, तथा

त्राटक साधना सिद्धि

त्राटक साधना सिद्धि: भटकता हुआ या कहें विचलित मन मानसिक एकाग्रता को भंग कर देता है। यह न केवल व्यक्ति के बोध की अवस्था को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी चेतना में अस्थिरता आने से आंतरिक शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं। आध्यात्म और धार्मिक अनुष्ठान के जरिए महत्वपूर्ण तरीका ‘त्राटक’ की सिद्धि और साधना के द्वारा इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि कुछ नियमों का पालन करते हुए शास्त्रों में बताए गए प्रयोग किए जाएं तो इसकी सिद्धि संभव है। त्राटक क्या है? ‘त्रि’ और ‘टकटकी बंधने’ से मिलकर बना शब्द त्राटक वास्तव में त्र्याटक है, जिसके विश्लेषण में कहा गया है कि जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु पर अपनी नजर और मन को बांध लेता है, तो वह क्रिया त्राटक कहलाती है। उस वस्तु को कुछ समय तक देखने पर द्वाटक और उसे लगातार लंबे समय तक देखते रहना ही त्राटक है। इसके लिए दृष्टि की शक्ति को जाग्रत करते हुए मजबूत बनानी होती है। यह क्रिया हठ योग के अंतरगत आती है। यह कहें कि त्राटक से किसी वस्तु को अपलक देखते रहने की अद्भुत शक्ति हासिल होती है। ऐसी स्थिति में एकाग्रता आती है और मन का भटकाव नहीं होने पाता है। त्राटक साधन

अमावस्या वाली रात तंत्र साधना

अमावस्या वाली रात तंत्र साधना में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है | इस दिन तांत्रिक क्रियाओं के सिद्ध योगी विभिन्न क्रियाओं का लाभ उठाते हैं | इसके अलावा इस दिन कई तरह के टोटके भी किए जाते हैं  जो विभिन्न समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होते हैं | चलिए.. आप भी जाने हमारे साथ अमावस्या की रात तंत्र साधना/टोटक/उपाय| अमावस्या की रात तंत्र साधना टोटके अमावस्या की रात तंत्र साधना तांत्रिक क्रिया-कलापों के क्षेत्र में अमावस्या  विशेष महत्वपूर्ण है | यह अमावस्या अगर शनिवार या किसी ग्रहण वाले दिन पड़ती है तो तंत्र क्रियाओं के लिए सोने में सुहागा | नीचे दिए गए प्रयोग को किसी भी अमावस्या वाले दिन करें और अपनी हर प्रकार की समस्या से निदान पाएं | विधि– किसी भी अमावस्या वाले दिन अर्ध रात्रि को श्मशान में जाए निम्नलिखित सामग्री लेकर — लाल सिंदूर एक छोटी शराब की बोतल मोमबत्ती ५ की संख्या में एकदम ताजा नींबू ५ नग तेज धार वाला चाकू एक बड़ा दीपक सरसों का तेल श्मशान घाट में जाकर सबसे पहसे श्मशान भूमि को प्रणाम करें | अब किसी भी स्थान पर बैठ जाए तथा दीपक में सरसों का तेल डालकर जलाएं और पां

भुत-प्रेत सिद्धी

भुत-प्रेत सिद्धी (प्रत्यक्षिकरण) जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है.अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है.जीवन न अतीत है और न भविष्य.वह सदा वर्तमान है.जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है. आत्मा के तीन स्वरुप माने गए हैं जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं. भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है.इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी,डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि कहा जाता है. भूत प्रेत कैसे बनते हैं:- इस सृष्टि में जो उत्पन्न हुआ है उसका नाश भी होना है व दोबारा उत्पन्न होकर फिर से नाश होना है यह क्रम नियमित रूप से चलता रहता है. सृष्टि के इस चक्र से मनुष्य भी बंधा है. इस चक्र की प्रक्रिया से अलग कुछ भी होने से भूत-प्रेत की योनी उत्पन्न होती है.जैसे अकाल मृत्यु का होना एक ऐसा कारण है जिसे तर्क के

मां कामाख्या देवी वशीकरण मंत्र अघोरी बाबा

  जाने करे किसी को वश में कामाख्या वशीकरण मंत्र साधना टोटके का प्रयोग करके| सबसे पहले तो हम आपको माँ कामाख्या के बारे मे जरा बता दे। देवी सती के बारे मे तो आप सब जानते ही होगे। यह कहाँ जाता है कि जब भगवान शिव देवी सती के आत्मदाह के बाद उनके मृत शरीर को लेकर भटक रहें थे, तो भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उनके शरीर को काटना शुरू कर दिया था। जिसके कारण देवी सती के शरीर के हिस्से पूरे देश के अलग –अलग जगहों मे गिर गए और वो जहां भी गिरे वहाँ उनका एक शक्ति पीठ तैयार हो गया। भगवान विष्णु के चक्र से उनके शरीर के कुल 51 हिस्से हुए थे। तो इस प्रकार उन 51 शक्ति पीठ मे से यह भी एक शक्ति पीठ है, जहां उनकी योनि गिरी थी। यह जगह आसाम राज्य मे स्थित है। जब देवी सती रजस्वला होती है, उस मौके पर यहाँ अंबुवाची पर्व मनाया जाता है। जिसमे हिस्सा लेने के लिए देश के कोने-कोने से साधू, भक्त व आम लोग आते है। इन 3 दिनों मे जल के जगह रक्त बहता है। इस रक्त को सफ़ेद रंग के कपड़े से ढक दिया जाता है व बाद मे भक्तों को इसी कपड़े का टुकड़े प्रसाद के रूप मे दिया जाता है। साथ मे यह दिन तांत्रिक साधना के लिए भी बड़े महत्वपूर्ण माने

गुप्त नवरात्रि के तांत्रिक उपाय टोटके साधना

  जाने कैसे किये जाते है गुप्त नवरात्रि के दिनों में तांत्रिक साधना जिससे कोई भी किसी भी कार्य को सफल बना सकता है|  अधिकतर लोग वर्ष में आने वाली चैत्र नवरात्रा और आश्विन या शारदीय, दो ही नवरात्रों के बारे में जानते हैं। लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि इसके अतिरिक्त और भी दो नवरात्रा होती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रा कहा जाता है। इन दिनों देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन्न साधनाए भी उन्हें प्रसन्न करने के लिए की जाती है। तंत्र साधना के अनुसार गुप्त नवरात्रा में अपनाए गए प्रयोग विशेष फलदायक होते हैं और उनका फल भी जल्दी ही प्राप्त किया जा सकता है। जैसा कि गुप्त शब्द से ही विदित होता है कि यह नवरात्रा गुप्त होती है, अतः इस समय किए गए सभी उपाय भी गुप्त ही होने चाहिए। गुप्त एंव काली शक्तियों को प्राप्त करने हेतु यह श्रेष्ठ समय है और इस समय के सदुपयोग के लिए आपके लिए पेश है गुप्त नवरात्रि के तांत्रिक उपाय टोटके– १) तंत्र-मंत्र आरम्भ करने के पहले आप एक कलश की स्थापना करे मां देवी का नाम लेते हुए। देवी मां की मूर्ति को सिंदूर चढ़ाएं, धूप दीप करे, लाल फूल अर्पण