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अप्रैल, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मृत आत्मा आह्वान सिद्धि-

मृत आत्मा आह्वान सिद्धि- यह साधना 3 दिन की होती है। इसमे साधक को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को श्मशान जाकर साधना सिद्ध करनी होती है और अमावस्या को पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है। इस साधना में साधक एक आत्मा को सिद्ध करता है। आत्मा किसी भी योनि में हो सकती है जैसे प्रेत ,भूत,चुडेल,डायन आदि। रात को 12 बजे श्मशान में नहा धोकर जाये। किसी चिता की तलाश कर जो जली हो। अगर एक्सीडेंट की जली चिता मिल जाय तो बहुत अच्छा होता है। साधक माथे पर सिंदूर का तिलक लगाए। चिता के चारो तरफ 5 परिक्रमा करें, उसके बाद चिता को प्रणाम करके दोनों हाथ जोड़कर बोले-★【"हे आलौकिक शक्ति तुम मेरे वश में हो 】★ इतना कहकर साधक चिता की एक अधजली एक अंगुल की लकड़ी उठा ले और उसे उत्तर दिशा में भगवान शिव का नाम लेकर 2 फ़ीट गहरे गड्ढे में दबा दे। इस क्रिया के बाद साधक वापस घर आ जाय। अगले दिन पुनः साधक रात्रि 12 बजे जाए,लकड़ी को खोदकर निकाले । पंचोपचार पूजन करके वापस बंद कर दे। तीसरे दिन अमावस्या को जाकर साधक लकड़ी ले आये। यह क्रिया भी अर्धरात्रि को करनी चाहिए। 3 दिन की क्रिया में यदि श्मशान  में कोई आवाज,दृश्य आदि की अ

शव साधन(वीर साधन)

शव साधन(वीर साधन)- यह साधन 1 दिन से लेकर 40 दिन तक होता है।यह साधक के ऊपर निर्भर करता है कि साधक कितने दिनों की साधना सिद्ध करना चाहता है। यह सिद्धि कृष्ण पक्ष की अष्टमी या शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी से शुरू की जाती है। सबसे पहले साधक को श्मशान में जाकर अपने पूजा की सामग्री जमा लेनी चाहिए उसके बाद शव की स्थापना करनी चाहिए। शव की स्थापना (यदि साधक अनेक सिद्धियों से पूर्ण है तो आटे का शव बनाकर उसमें किसी भी आत्मा को मन्त्र शक्ति के बल से प्राण प्रतिष्ठा करके पुतले में प्राण फूंके) यदि ऐसा न हो तो अप्राकृतिक तरीके से मृत शव को भी प्रयोग कर सकते है।साधन में केवल मेल शव ही मान्य होता है,फीमेल शव नही। शव को किसी भी तरह से बीमारीमुक्त होना चाहिये। साधक को सबसे पहले श्मशान में संकल्प लेना चाहिये ॐ अध्येत्यादी अमुक गोत्र श्री अमुक देवशर्मा अमुक मन्त्र सिद्धि काम ह श्मशान साधन महम करिष्ये। उसके बाद साधक को गुरु पूजन,गणेश,योगिनी,बटुक,मार्तगन पूजन करना चाहिये। इसके बाद पूर्व में श्मसानाधिपति,दक्षिण में भैरव,पश्चिम में कालभैरव,उत्तर में महाकाल भैरव की पूजा बलि देनी चाहिये। सभी बलि सामिष अन्न की होनी च

लाल परी साधना

लाल परी साधना-- यह साधना 21 दिन की है। 21 माला रोज जप किया जाता है। साधक यह साधना किसी भी शुक्रवार से या ग्रहण काल या त्योहार से शुरू कर सकते है। इस साधना का समय रात्रि 10 बजे से रहता है। साधना सामग्री ---- 4 गुलाब के लाल फूल, पंखुड़ियां 50 ग्राम, देशी घी का दिया, गुलाब की धूपबत्ती मोगरा,चन्दन,चमेली की धूपबत्ती । 2 फल ,2 मावे की मिठाई लाल रंग की होनी चाहिये। मन्त्र जाप के समय साधक के वस्त्र लाल,कमरे का रंग लाल ,आसन लाल और माला रुद्राक्ष की होनी चाहिए। साधना सिद्ध होने पर अंतिम दिन परी साधक को वचन देकर सिद्ध हो जाती है। मन्त्र---बिस्मिल्ला सुलेमान लाल परी हाथ पर धरी,खिलावे चुरी,निलावे कुञ्ज हरि।। यह साधना साधक को तभी सिद्धि प्रदान करेगी जब साधक का आज्ञा चक्र विकसित हो और बन्द आँखो से साधक आत्माओ को देखने और उनसे बात करने की मानसिक शक्ति प्राप्त हो।यह शक्ति माता विंध्यवासिनी साधना से साधक प्राप्त कर सकते है। उसके बाद ही साधक लाल परी साधना सिद्ध करे । यह परी साधक को साधना के समय अनेक तरह से डराती है। इसको सिद्ध करके साधक सभी तरह के कार्य करने में समर्थ हो जाता है। परी का भोग हानिकारक है।स

श्मशान भैरवी

श्मशान भैरवी - वापसी आटे का पुतला,मुर्गे की बलि,सब्जी की बलि,नारियल की बलि से मारण प्रयोग की वापसी (पलटवार) करने का माँ विंध्यवासिनी तंत्र,मन्त्र,शक्ति विधान अगर आपके ऊपर किसी तांत्रिक ने मारणप्रयोग कर दिया है आपके शत्रुओं के कहने पर और जब आपको लगे की आप कोमा में जाने लगे अथवा आपके अंदर कोई प्रेत,मसान आदि कोई भी अदृश्य शक्ति हो जो आपको परेशान कर रही हो कई सालो से तब यह प्रयोग करे इस प्रयोग से आप अपने प्राण भी बचाएंगे,डॉक्टरों का खर्चा और जिन्होंने यह तांत्रिक प्रयोग किया है उनका ही उल्टा मारण प्रयोग हो जाता है। सबसे पहले माँ विंध्यवासिनी मंदिर में रोगी का हाथ लगवाकर 16 श्रंगार,फल, फूल,मिठाई,चावल ,कुमकुम,अगरवत्ती,घी का दिया करे और सवा मीटर पीला कपडा,पानी का नारियल चढाये। उसके बाद शाम को घर आकर सबसे पहले रोगी के कमरे में माँ विंध्यवासिनी का पूजन अगरबत्ती,पीली मिठाई, लाल गुलाब के फूल,कुमकुम चावल,हल्दी ,देशी घी के दिये से करे। उसके बाद सबसे पहले टोकरी में काला कपडा सवा मीटर बिछाये, उसके ऊपर सात तरह के अनाज की एक रोटी रखे।उसकेउपर  मिटटी का चौढे मुह का बर्तन रखे,उस बर्तन में 100 ग्राम नमकी

खून की उल्टी करके मरेंगे सभी शत्रु, करें ये मारण प्रयोग

प्रत्यक्ष शत्रु से निपटना आसान होता है किन्तु हमारे कई अप्रत्यक्ष शत्रु होते हैं जो सामने मित्रता पूर्ण व्यवहार रखते हैं किन्तु हमारे पीठ पीछे हमे नुकसान पहुंचाते हैं व हमारी छवि बिगाड़ते रहते हैं, और हमारे परिवार के सदस्यो पर अपनी शत्रुता निकालते हैं। ऐंसे शत्रुओं पर यह मारण प्रयोग करने पर सिर्फ शत्रु ही नहीं बल्कि उसके परिवार के सदस्य पर भी प्रभाव होता है। शत्रु को हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, कैंसर, क्षय रोग, लकवा, पागलपन, विक्षिप्त बनाने, आपसी विवाद कराने, वाहन दुर्घटना, सूखी लगाना, धन हानि, व्यापार मे नुकसान पहुंचाकर बदला लेने के लिए इन तांत्रिक प्रयोगो को करें प्रयोग विधि   विनियोग मंत्र:- ॐ अस्य श्री आर्द्रपटिमहाविद्यामंत्रस्य दुर्वासा ऋषिर्गायात्री छंद: हुं वीजं स्वाहा शक्ति: मम अमुकशत्रुनिग्रहर्थे जपे विनियोग: अपने शत्रु के पैर की मिट्टी लेकर उसका एक पुतला वनाएं। फिर कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर चतुर्दशी तक प्रतिदिन 108 बार शत्रु का नाम (अमुक की जगह) लेकर ऊपर दिया गया मंत्र का जाप करें। इसके बाद चतुर्दशी को जो आपने शत्रु का पुतला बनाया था उसको सामने रखें फिर एक बकरे की बलि (न
मंत्र : "आगुन रूपे मारी धाम सुरजो मुखी मारी यार, पांच जीव पांच पुराण राम बोलो लोखन ए मुख जीया नाहीं यार,मोर मंत्रो हेल्बू सेल्वु शिवशंकर कार्तिक गोनेशेर मूठ फुटक दुहाई महाकाल दुहाई महाकाल." ये बंगला शाबर मंत्र है, अशुभ मुहूर्त मे शुरू करते हुए ७ दिन तक ११ मंत्र रोजाना जप कर सिद्ध कर ले. फिर एक मोम का पुतला बनायें. पुतला निम्नलिखित सामग्री के मिश्रण से बनायें : २१ तोला मोम १ तोला सिन्दूर १ तोला पीला संखिया १ तोला शमशान भूमि का कोयला उपरोक्त सामग्री को एकत्रित करके एक पुतला बनायें. उस पुतले पर एक हज़ार उपरोक्त मंत्र का जप करें और उस के अंदर ७ सुई खोंस दें और दुश्मन का नाम उस पुतले पर लिख दें. अब उस पुतले के सामने एक जलता हुआ दीपक रख दें और २१ बार उपरोक्त मंत्र पढ़े. फिर शमशान भूमि मे उस पुतले को रख कर और ठीक पुतले के सामने ३ अंगुल पर वह जलता हुआ दीपक रख कर घर आकर मुह हाथ धो लें तो बहुत जल्द ही दुश्मन की मृत्यु हो जायेगी. विशेष : पाठकों से विनम्र निवेदन है कि आप किसी के प्राण लेने, हानि पहुँचाने की दृष्टि से मंत्रों का उपयोग न करें

काला भैरव हांडी भेजने की विधि

काला भैरव हांडी भेजने की विधि यहाँ काला भैरव हांडी भेजकर शत्रु मारण की विधि बताई जा रही है। पूरी विधि साबधानीपूर्वक पढ़कर ही उपयोग मे लाएँ एवं गुरु के मार्गदर्शन के बिना कोई भी प्रयोग न करें अन्यथा आप पागल हो सकते हैं या आपकी मृत्यु भी हो सकती है यदि गलती हुई तो उसका उल्टा परिणाम होता है। इसलिए किसी भी मंत्र को मज़ाक मे भी न पड़ें और सभी मारण प्रयोग को गुरु के मार्गदर्शन मे ही करें। किसी पर गलत प्रयोग न करें। प्रयोग विधि:  सबसे पहले मुर्दे की हांडी ले लो फिर यह भी ध्यान रखो की वो कहाँ जलाया जा रहा है। अब रात को वहां जाना है और उड़द की दाल उस चिता की आग में और उसी हांडी में भूनने है। ध्यान रहे इस प्रक्रिया में मंत्र जप चालु रहे। अब हांडी उतार लो और उसमे से भुने हुए और जले हुए उड़द अलग कर लो। केवल जले हुए उड़द लेकर २१ बार मंत्र से अभिमंत्रित करके अपने शत्रु को फेंककर मारो। बस अब आगे क्या होगा खुद देख लेना। कुछ ही समय मे आपके शत्रु का खेल खत्म हो जाएगा। ये सब प्रक्रिया गुरु के देखरेख में होनी चाहिए और सूर्योदय से पहले ही होना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है:- “ॐ नमो काला भैरो मसान वाला। चौ