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मई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पत्नी को मायके से वापिस लाने के उपाय

शादी के बाद दाम्पत्य जीवन में प्यार और सुख शांति बनाए रखने के लिए पति और पत्नी को मिलकर कोशिश करनी होती है। परिवार एक ऐसी गाड़ी की तरह है जिसमें पति-पत्नी के रूप में पहिए होते हैं जिसे दोनों को मिलकर खींचना होता है। इन दोनों पहियों में से अगर एक भी खराब होता है तो गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है। परिवार को समृद्ध और खुशहाल बनाने के लिए पत्नियों की तरह पतियों की भी बहुत खास भूमिका होती है। अगर दोनों मिलकर कोशिश करते हैं तभी परिवार में सुख-शांति बनी रह सकती है और जहां सुख-शांति है वहीं धन और खुशहाली का निवास होता है। पति या पत्नी में से कोई भी परिवार में अपनी भूमिका से पीछे नहीं हट सकता है क्योंकि दोनों का कार्य क्षेत्र अलग-अलग है। पत्नी का क्षेत्र परिवार के अंदर आता है तो पति का परिवार के बाहर लेकिन सामूहिक रूप से अपने-अपने क्षेत्रों में दिए गए सहयोग का फल मिलकर सामने आता है। पति को परिवार के अंदर भी अपनी कुछ जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है। इसलिए पति और पत्नी दोनों को ही मिलकर अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए काम करते रहना चाहिए। परिवार में संतुलन- शादी के बाद पत्नी का जो सवसे ब

वशीकरण या सम्मोहन को खत्म करने का उपाय

वशीकरण या सम्मोहन को खत्म करने का उपाय ,” वशीकरण अथवा सम्मोहन विद्या ऐसा हथियार है जिसका सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिणाम इस्तेमाल करने वाले की नीयत पर निर्भर करता है|  तंत्र-मंत्र विज्ञान में वर्णित सम्मोहन अथवा वशीकरण विद्या भी लोक कल्याण हेतु ही विकसित किया गया था परंतु इसके गलत इस्तेमाल के कारण लोग वशीकरण ही नहीं तंत्र-मंत्र को भी गलत समझने लगे हैं| छोटी-छोटी समस्याओं के हल के लिए भी लोग वशीकरण का इस्तेमाल कर बैठते हैं जिसका सही उपयोग नहीं है| यदि बहुत ही जरुरी हो तभी वशीकरण मंत्र का प्रयोग करना चाइए| यदि किसी ने आपको वशीभूत कर रखा है और वो आपकी बात नहीं सुन रहा है तो हो सकता है की प्रभावशाली वशीकरण का प्रयोग उस पर हो रखा हो | यदि कोई भी साधक वशीकरण या सम्मोहन को खत्म करना चाहता है तो हमसे सलाह करे और अपने जीवन को सुखद बनाये | एक वशीभूत व्यक्ति क्या सोचता है यह बताना तो कठिन है तथापि कुछ लोगों के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि इस अवस्था में मनुष्य को पता होता है कि वह अपनी मर्जी के विरुद्ध कार्य कर रहा है, परंतु उस पर उसका ज़ोर नहीं है| वशीभूत व्यक्ति को कुछ लक्षणो के आधार पर पह

प्रेमिका या पत्नी को मानाने का वशीकरण मंत्र

प्रेमिका या पत्नी को मानाने का वशीकरण मंत्र  ,” मोहिनी माता, भूत पिता, भूत सिर वेताल। उड़ ऐं काली ‘नागिन’ को जा लाग। ऐसी जा के लाग कि ‘नागिन’ को लग जावै हमारी मुहब्बत की आग। न खड़े सुख, न लेटे सुख, न सोते सुख। सिन्दूर चढ़ाऊँ मंगलवार, कभी न छोड़े हमारा ख्याल। जब तक न देखे हमारा मुख, काया तड़प तड़प मर जाए। चलो मन्त्र, फुरो वाचा। दिखाओ रे शब्द, अपने गुरु के इल्म का तमाशा।” विधि-  मन्त्र में ‘नागिन’ शब्द के स्थान पर स्त्री का नाम जोड़े। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से 8 दिन पहले साधना प्रारम्भ करे। एक शान्त एकान्त कमरे में रात्रि मे १० बजे शुद्ध वस्त्र धारण कर कम्बल के आसन पर बैठे। अपने पास जल भरा एक पात्र रखे तथा ‘दीपक’ व धूपबत्ती आदि से कमरे को सुवासित कर मन्त्र का जप करे। ‘जप के समय अपना मुँह स्त्री के रहने की स्थान / दिशा की ओर रखे। एकाग्र होकर घड़ी देखकर ठीक दो घण्टे तक जप करे। जिस समय मन्त्र का जप करे, उस समय स्त्री का स्मरण करता रहे। स्त्री का चित्र हो, तो कार्य अधिक सुगमता से होगा। साथ ही, मन्त्र को कण्ठस्थ कर जपने से ध्यान केन्द्रित होगा। इस प्रयोग में मन्त्र जप की गिनती आवश्यक नह

पति को वश में करने के प्रभावशाली टोटके व् उपाय

पति को वश में करने के प्रभावशाली टोटके व् उपाय ,” पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ही पवित्र और अटूट होता है, लेकिन यह एक ऐसा रिश्ता भी है जहां कलह-क्लेश की सबसे ज्यादा गुंजाइश होती है। कभी-कभी यह क्लेश काफी बढ़ जाता है, जो जिंदगी को तबाह करने पर भी तुल जाता है। इस आपसी सामंजस्य को बेहतर बनाने के लिए कुछ ऐसे मंत्र भी हैं, जिनका जाप आपके इस कलह-क्लेश को आपसे दूर कर सकता है। आइए, जानें वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने और आपसी अनबन को दूर भगाने के लिए किन मंत्रों का जाप करना उचित है। “ॐ नमो भगवते श्रीसूर्याय ह्रीं सहस्त्र-किरणाय ऐं अतुल-बल-पराक्रमाय नव-ग्रह-दश-दिक्-पाल-लक्ष्मी-देव-वाय, धर्म-कर्म-सहितायै ‘अमुक’ नाथय नाथय, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, दासानुदासं कुरु-कुरु, वश कुरु-कुरु स्वाहा।”

मनचाहा प्रेम विवाह करने के उपाय व मंत्र

मनचाहा प्रेम विवाह करने के उपाय व मंत्र ,” भगवान श्री कृष्ण के राधा जी के साथ प्रेममय स्वरुप का ध्यान करें. भगवान के ऐसे चित्र या मूर्ती को लाल / गुलाबी रंग के गोटेदार वस्त्र पर स्थापित करके धूप, दीप, पुष्प, इत्र मीठा अर्पित करके गुलाबी रंग के आसन पर बैठ कर चन्दन की माला से नित्य एक माला इस मंत्र का जाप करें. मंत्र ॐ कामेश्वर [प्रेमी का नाम] आनय वश्यनां क्लीं ll

नाराज़ पत्नी को मानाने का टोटका व् उपाय

मोहिनी माता, भूत पिता, भूत सिर वेताल। उड़ ऐं काली ‘नागिन’ को जा लाग। ऐसी जा के लाग कि ‘नागिन’ को लग जावै हमारी मुहब्बत की आग। न खड़े सुख, न लेटे सुख, न सोते सुख। सिन्दूर चढ़ाऊँ मंगलवार, कभी न छोड़े हमारा ख्याल। जब तक न देखे हमारा मुख, काया तड़प तड़प मर जाए। चलो मन्त्र, फुरो वाचा। दिखाओ रे शब्द, अपने गुरु के इल्म का तमाशा।” विधि –  मन्त्र में  “नागिन”  शब्द के स्थान पर स्त्री का नाम जोड़े। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से 8 दिन पहले साधना प्रारम्भ करे। एक शान्त एकान्त कमरे में रात्रि मे १० बजे शुद्ध वस्त्र धारण कर कम्बल के आसन पर बैठे। अपने पास जल भरा एक पात्र रखे तथा ‘दीपक’ व धूपबत्ती आदि से कमरे को सुवासित कर मन्त्र का जप करे। ‘जप के समय अपना मुँह स्त्री के रहने की स्थान / दिशा की ओर रखे। एकाग्र होकर घड़ी देखकर ठीक दो घण्टे तक जप करे। जिस समय मन्त्र का जप करे, उस समय स्त्री का स्मरण करता रहे। स्त्री का चित्र हो, तो कार्य अधिक सुगमता से होगा। साथ ही, मन्त्र को कण्ठस्थ कर जपने से ध्यान केन्द्रित होगा। इस प्रयोग में मन्त्र जप की गिनती आवश्यक नहीं है। उत्साह-पूर्वक पूर्ण संकल्प के साथ जप करे

अपना बिछड़ा प्यार वापिस पाने टोटके

अपना बिछड़ा प्यार वापिस पाने टोटके ,” जीवन में कई बार ऐसा लगने लगता है कि आपके साथी की रूचि प्यार में और आप में कम हो गई है। ऐसे समय में निराश होने की बजाय कुछ सामान्य टोटके भी आजमा सकते हैं। यह ऐसे टोटके हैं जिन्हें प्राचीन काल से आजमाया जाता रहा है। केला में गोरोचन मिलाकर लेप बनाएं। इस लेप को सिर पर लगाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति में आकर्षण शक्ति आ जाती है। नारियल, धतूरे के बीज, कपूर को पीस लें। इसमें शहद मिलाएं। नियमित इसका तिलक करने से जिसे आप प्यार करते हैं वह आपको छोड़कर नहीं जाता है। पति की रूचि पत्नी में कम हो गयी हो तो दोनों साथ भोजन करें और भोजन के समय चुपके से पत्नी पति के खाने में अपनी थाली से थोड़ा भोजन रख दे। इससे पति फिर से पत्नी में रूचि लेने लगता है। ज्योतिषशास्त्र का सिद्धान्त है कि जो ग्रह शुभ फल नहीं दे रहे हैं उनका शुभ फल पाने के लिए उन्हें आकर्षित करके अपने लिए शुभ बनाना चाहिए। इसके लिए ज्योतिषशास्त्र में कई उपाय बताए गये हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार प्रेम और सेक्स का कारक शुक्र ग्रह है और प्रेम के देवता कामदेव हैं। बहुत से ज्योतिषी बताते हैं

मारण प्रयोग से ऱक्षा का अचूक विधान

मित्रों आजकल अभिचार करने का या मारण करने का क्रेज काफी बढ़ गया है । हर दुधमुहा साधक अभिचार करने की धमकी देता है तो एक ऐसा अचूक प्रयोग जिससे अभिचार, करने वाले पर खुद पलट जाता है। और लौटा हुआ अभिचार कहीं ज्यादा खतरनाक भी हो जाता है। मंत्र- ॥ॐ नमो आदेश गुरु का, एक ठो सरसों सोला राई, मोरो पठवल कोरो जाई। खाय खाय पड़ै मार, जे करै ते मरै। उलट विद्या ताही पर पड़ै। शब्द साँचा पिण्ड काँचा तो हनुमान का मंत्र साँचा फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा दुहाई माता अँजनी की॥ हथेली में एक दाना पीला सरसो, 16 दाना राई और 3 डली नमक लेकर मुट्ठी बंद करके ये मंत्र 7 बार पढ़ें और हर बार एक फूँक मारें फिर पीड़ित (या स्वयं) के सर से 7 बार उल्टा उबारकर जलती आग में डाल दें। इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं स्वयं सिद्ध है फिर भी चाहें तो किसी ग्रहण पर 1 माला गुग्गुल की धूप जलाकर कर सकते हैं।

शास्त्रों के अनुसार मंत्र जप के समय मंत्र उच्चारण की विधियाँ

मंत्र जप के समय मंत्र का उच्चारण किस प्रकार किया जाये ? यह प्रश्न सभी साधकों के मन में अकस्मात ही उठने लगता है | शास्त्रों के अनुसार मंत्र जप चाहे वह सिद्धि प्राप्त करने के उद्देश्य से किये गये हो या फिर देव आराधना के उद्देश्य से, जिसमें मन्त्रों का उच्चारण किस स्वर में किया जाये यह बहुत महतवपूर्ण है | आरती , भजन , चालीसा , और अष्टक आदि का तो गायन किया जाता है परन्तु मन्त्रों का स्तवन | किसी भी मंत्र के मन ही मन लगातार स्तवन का नाम ही जप है , गायन तो दूर मंत्र के स्पष्ट उच्चारण की आज्ञा भी शास्त्र नहीं देते | मंत्रो के जप के समय होठों के हिलने और स्वांस तथा स्वर के निस्सरण के आधार पर शास्त्रों ने मंत्र जप को तीन वर्गों में विभाजित किया है जो की इस प्रकार से है : वाचिक जप :- भजन -कीर्तन और आरतियों के समान उच्च स्वरों में तो मंत्र जप का निषेध है ही , दुसरे के कानों तक आपकी ध्वनि पहुंचे इसकी भी शास्त्र आज्ञा नहीं देते | जब जप करते समय मंत्रों का उच्चारण इतने तीव्र स्वरों में होता है की ध्वनि जप करने वाले के कानों में पड़ती रहे , तब वह वाचिक जप कहलाता है | उपांशु जप :- मंत्र जप की

मंत्र साधना के आवश्यक नियम

शास्त्रों में मंत्र साधना द्वारा द्वारा ईष्ट देव से सिद्धि प्राप्त करने का वर्णन मिलता है | अनादि काल से हमारे ऋषि-मुनियों ने विभिन्न साधनाओं में सफलता प्राप्त कर मानव कल्याण किया है | शास्त्रों में वर्णित सभी मंत्र अपने अन्दर असीमित शक्तियों को समाये हुए है | इन शक्तियों का अहसास केवल वे जातक कर पाते है जो विधिवत साधना द्वारा इनमें सिद्धि अर्जित करते है | साधना के समय शास्त्रों में वर्णित नियमों का पालन करना अति अनिवार्य है अन्यथा कभी-कभी साधना से फल की प्राप्ति होना तो दूर, विपरीत परिणाम भी सामने आने लगते है | आइये जानते है साधना के समय किन-किन नियमों का पालन करना जरुरी है साधना के लिए स्थान का चुनाव : – साधना के लिए एकांत स्थान का चुनाव करना चाहिए जिससे कि आपकी पूजा अथवा साधना में किसी प्रकार का व्यवधान न उपस्थित हो | केवल मंत्र जप संख्या पूर्ण करना ही आवश्यक नहीं बल्कि एकाग्र होकर पूजन संपन्न हो , यह आवश्यक है | जप का स्थान शुद्ध हो, शांतिमय हो | शास्त्रों में पवित्र नदियों के तट, पर्वत , जंगल , तीर्थ स्थल , गुफाओं आदि की प्राथमिकता दी है | क्योंकि ऐसे स्थाओं पर मन स्वतः ही एक

मंत्र, यंत्र और तंत्र साधनाएं | मंत्र-यंत्र व तन्त्र साधनाओं के विषय में सम्पुर्ण जानकारी

तंत्रशास्त्र, यंत्र-मन्त्र-तंत्र की साधनाओं  एवं तांत्रिकों के विषय में जन सामान्य बड़ी-बड़ी भ्रांतियों के शिकार है | अधिकांश व्यक्ति तो तंत्र-साधना ,तंत्र शास्त्र और तांत्रिकों के बारे में बातें करना तो दूर, इनका नाम सुनते ही भड़क उठते है | क्योंकि वे समझते है कि दूसरों को हानि पहुँचाने की द्रष्टि से की गयी साधना, यंत्र सम्मुख रखकर मन्त्रों की सिद्धि करना और फिर उस शक्ति के बल पर दूसरों का अहित करना जैसी क्रियाएं ही तंत्र के अंतर्गत आती है | यदि आप भी इस मिथ्या धारण के शिकार है तो यही कहना उचित होगा कि आप पूर्णतया भ्रम में है | वास्तव में तंत्र साधना अर्थात यन्त्र सम्मुख रखकर मंत्रो के जप और हवन आदि – आत्म कल्याण , आत्म बल की प्राप्ति और अपने आराध्य देव की विशेष कृपाओं की प्राप्ति का सबसे सुगम मार्ग है | तन्त्र साधक को वे दैवीय शाक्तियाँ सजह जी मिल जाती है जिनका सफल सम्पादन करने के बाद व्यक्ति देव पुरुष बन सकता है | परन्तु दुर्भाग्य का विषय है कि अनेक तंत्र साधक इन शक्तियों का दुरूपयोग भी करते है और इसी कारण आम व्यक्ति तांत्रिकों और तन्त्र साधना से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझता है |

यक्षिणी साधना क्या है ? यक्षिणी साधना के प्रकार व मंत्र

यक्षिणी साधना भी देव साधना के समान ही सकारात्मक शक्ति प्रदान करने वाली है | आज के समय में बहुत ले लोग यक्षिणी साधना को किसी चुड़ैल साधना या दैत्य प्रकर्ति की साधना के रूप में देखते है | किन्तु यह पूर्णरूप रूप से असत्य है | जिस प्रकार हमारे शास्त्रों में 33 देवता होते है उसी प्रकार 8 यक्ष और यक्षिणीयाँ भी होते है | गन्धर्व और यक्ष जाति को देवताओं के समान ही माना गया है जबकि राक्षस और दानव को दैत्य कहा गया है | इसलिए जब कभी भी आप किसी यक्ष या यक्षिणी की साधना  करते है तो ये देवताओं की तरह ही प्रसन्न होकर आपको फल प्रदान करती है | यक्षिणी साधना के समय, यक्षिणी साधक के समक्ष एक सुंदर, सौम्य स्त्री के रूप में प्रकट होती है | जिस रूप में व जिस भाव से साधक यक्षिणी की उपासना करता है, उसी रूप में यक्षिणी उसे दर्शन देती है | एक स्त्री के रूप में यक्षिणी साधना – एक माँ के रूप में , प्रेमिका के रूप में , बहन के रूप में  और पुत्री के रूप में की जाती है | उच्च कोटि के बड़े साधक यक्षिणी साधना को एक माँ के रूप में या पुत्री के रूप में करने की सलाह देते है | यक्षिणी साधना के प्रकार :- शास्त्रों में म

मंगला चमारी साधना विधि

इस धरा पर जैसे सभी मनुष्य एक जैसे नहीं है उसी अनुसार धर्म में भी भिन्नता है | लेकिन सभी धर्म मनुष्य को एक ही रास्ता दिखाते है वह है सद्मार्ग पर चलने का | आज हम आपको इस्लाम धरम से जुडी एक ऐसी साधना के विषय में जानकारी देने वाले है जिसके सिद्ध करने पर वह एक स्त्री के रूप में आपके साथ पत्नी रूप में राठी है | मंगला चमारी साधना    एक ऐसी ही साधना है जिसके सिद्ध करने पर जातक मंगला चमारी को पत्नी स्वरुप पाकर सम्पूर्ण सुख की प्राप्ति करता है | मंगला चमारी साधना में ध्यान देने योग्य :- मंगला चमारी साधना ऐसे व्यक्ति ही करें जिसकी अभी तक शादी न हुई हो या जिसकी पत्नी का देहांत हो चुका हो या तलाक हो चुका हो | मंगला चमारी साधना सिद्ध होने पर वह पत्नी रूप में जातक के रहती है | मंगला चमारी साधना विधि :- पश्चिम दिशा की तरफ एक हरा या सफ़ेद आसन बिछाकर उस पर स्नान आदि करके बैठ जाये | मंत्र जप में काले हकीक की माला का प्रयोग करें | इस साधना का समय 21 दिन माना गया है | इस साधना का समय रात्रि के 10 बजे के बाद का माना गया है | इसलिए रात्रि 10 बजे के बाद का एक समय सुनिश्चित करें | साधना के प्रथम दि

घर में पूजा स्थान से जुड़े जरुरी नियम | पूजा स्थल पर ये स्थापना अवश्य करें

घर में पाठ-पूजा करना भारतीय संस्कृति में अनादि काल से चला आ रहा है | यूं तो भक्तजन मंदिर में जाकर देव आराधना करते है किन्तु समय के अभाव के रहते , मंदिर जाने का समय निकाल पाना थोडा मुश्किल हो जाता है , इसीलिए घर पर पाठ -पूजा करना भी फलदायी माना गया है | हिन्दू धरम में प्रत्येक परिवार में पूजा करने का एक स्थान होता है, जहाँ वे अपने आराध्य देव या देवी की प्रतिमा स्थापित करते है | और सुबह -शाम दूप-दीप भी प्रज्वलित करते है | आमतौर घर में पाठ-पूजा का कार्य घर की गृहणी करती है | घर में पूजा करने का स्थान कैसा होना चाहिए ? पूजा का स्थान घर में कहाँ स्थापित होना चाहिए ? पूजा स्थल में कौन-कौन सी वस्तुएं रखना शुभ है और कौन सी अशुभ ? पूजा करने की विधि आदि के विषय में अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं होती | इसीलिए घर में पूजा स्थान पर होने वाली गलतियाँ आपको इससे मिलने वाले फल से वंचित रख सकती है | घर में की जाने वाली पाठ -पूजाका सम्पूर्ण फल पाने के लिए आप इस post में पूजा स्थान से जुड़ीं जानकारियों को अच्छे से समझकर उनको प्रयोग में लाये | घर में पूजा स्थान कहाँ होना चाहिए : – शास्त्रों के अनुसा