सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शक्तिपात दीक्षा

शक्तिपात दीक्षा (अमृत कुंडलिनी )साधना= इस शक्ति के माध्यम से मनुष्य के शरीर के सभी चक्रों में अपार ऊर्जा का संचार होता है सबसे पहले मूलाधार चक्र से अमृत को उठाकर सहस्त्र धार चक्र की ओर ले जाया जाता है इसके बाद अमृत अर्थात वीर्य सहस्रार चक्र में पहुंचकर अमृत रूपी रसायन में बदल जाता है इसके बाद अमृत रूपी रसायन इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी में प्रवाहित होता है इन तीनों नाडि यो से 12 नाडियो में प्रवाहित होता है इसके बाद 108 नाड़ियों में अमृत रूपी रसायन प्रवाहित होता है! 108 नाड़ीयो में प्रवाहित होने के बाद इसको 72000 नाड़ीयो में पहुंचाया जाता है इसी तरह मूलाधार से विशुद्ध चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से अनाहत चक्र हृदय चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से मणिपुर चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से स्वाधिष्ठान चक्र में प्रवाहित किया जाता है इन सभी चक्रों का संबंध इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी ओं से होता है सभी चक्रों द्वारा अमृत स्त्राव 72000 नाडियो के माध्यम से संपूर्ण शरीर में पहुंच जाता है इसके द्वारा शरीर में उत्पन्न सभी बीमारियां समाप्त हो जाती हैं

शोकापीर सिद्धि

शोकापीर सिद्धि- यह साधना 31 दिन की है। इस साधना में साधक सफेद वस्त्र धारण करे।भगवान श्रीराम को मानने वाले साधक जो मन से साफ ,पवित्र हो साधना सिद्ध करे।दूसरो की निंदा न करे।सिद्धि प्राप्त होने पर साधक किसी भी भूत प्रेत पिशाच ब्रह्मबेताल आदि को पल भर में पकड़ कर पीर से दंडित अथवा बंधन करवा कर अथवा मारण करवा कर रोगी को रोगमुक्त कर सकता है। आत्माओ से बातचीत कर सकता है।यह साधना 2 घण्टे प्रतिदिन करनी होती है। दिशा उत्तर होती है।साधक सफेद वस्त्र धारण कर माथे पर सिंदूर का तिलक लगाकर सफेद आसन पर बैठकर हाथ मे रुद्राक्ष की माला तांत्रोक्त विधि से सिद्ध करके जप करे। अपने कमरे में गुलाब,चमेली, मोगरा का सेंट या इत्र सभी जगह छिड़क दें।अपने कपड़ों पर भी छिड़क ले।अपने सामने भगवान श्रीराम का फोटो काँसे की थाली में स्थापित करे।थाली में गेंदा के फूल रखे और एक माला फ़ोटो पर चढाए।मन्त्र जाप दाहिने हाथ के अंगूठे और मध्यमा उंगली से करें। साधक इस साधना से बड़े बड़े चमत्कार करता है।रात में यह साधना 12 बजे से शुरू करे।कमरे में शयन करे।पवित्रता से रहे।भोजन में फल,मिठाई,हरी सब्जियां ,दालें गृहण करे। पूजा में रात को फल फू

आक वीर साधना

आक वीर सिद्धि--यह साधना कृतिका नक्षत्र के प्रारम्भ से शुरू करके उसी दिन सिद्ध की जाती है।साधक को यह सिद्धि मात्र 21 माला जप करने से प्राप्त हो जाती है।यह एक दिन की साधना होती है।साधक को अपने माथे पर सफेद तिलक लगाना चाहिये। सफेद वस्त्र ,आसन ग्रहण करने चाहिये।आक के पेड़ के नीचे साधक शांत मन से बैठे।देशी घी का दिया जलाये,उद की धूप करे।मीठा रोट का भोग लगाय।मन्त्र जाप करे। प्रत्येक माला पर बेरी के कांटे से खरोंच लगाय आक के पेड़ पर । सम्पूर्ण कार्य होने पर शांत मन से बैठे रहे।मन्त्र जाप के समय या बाद में वीर साधक को आवाज देता है,डरे नही ,निर्भय होकर वीर से वचन ले।पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन, संकल्प,सुरक्षा रेखा,गुरुमन्त्र अनिवार्य है।जब वीर सिद्ध होता है तो सभी कार्य सम्पन्न करता है। यह वीर बन्द आँखो में ही दर्शन देते है।सिद्धि के समय भयानक दृश्य दिख जाने पर साधक को डरना नही चाहिये। मन्त्र -ॐ नमो आदेश गुरु का वीर कम्बली, वीर घात करे,चेते हनुमान वीर नही तो शिव की दुहाई।। 

श्रुत देवी साधना

नवरात्रि सिद्धि माता श्रुत देवी साधना- यह साधना नवरात्रों में संपन्न की जाती है इस साधना के द्वारा साधक के यहां धन का बाहुल्य हो जाता है । इसके बाद साधक के सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं ।साधक के धन आगमन का मार्ग खुलता है ,स्वास्थ्य परिवार का अच्छा और बाहरी शत्रुओं से निजात मिल जाती है । यह साधना नवरात्रि के प्रथम रात्रि को 10:00 बजे के बाद शुरू की जाती है और अंतिम नवरात्रि की रात्रि तक यह साधना की जाती है। मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद नवे नवरात्रि में साधना का दशांश हवन किया जाता है अर्थात नवरात्रि में मंत्र जाप के बाद उसी समय दशांश हवन किया जाता है साधक को माता सपने के माध्यम से या आज्ञा चक्र के माध्यम से दर्शन देती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं यह साधना बंद कमरे में की जाती है ।कमरे में नया रंग होना चाहिए यह रंग लाल पीला या गुलाबी हो सकता है या सफेद रंग भी इसमें कर सकते हैं ।कमरे में फर्श होना चाहिए अथवा टाइल्स हो सकती हैं और कमरे में सब जगह परफ्यूम चंदन का ,गुलाब का ,चमेली का, मोगरा का, का छिड़काव करना चाहिए इस साधना के लिए साधक को बंद कमरे में रात्रि 10:00 बजे प्रवेश करना चाहिए और म

जिन्न सिद्धि साधना मंत्र

जिन्न सिद्धि साधना मंत्र कोई भी साधक यहां पर जिन्न को बुलाने भगाने जिन्न सिद्धि साधना मंत्र जिन्न वशीकरण मंत्र इत्यादि को प्राप्त कर कोई भी कार्य को सफल किया जा सकता है| आत्मा अजर अमर है। इसे सभी मानते हैं और हितकारी समझते हैं। जिन्न के साथ भी कुछ ऐसी ही भावना जुड़ी है। एक अटूट विश्वास भी है कि किसी को वशीकरण करने या दुर्लभ व मुश्किल के कार्य की संपन्नता के लिए तांत्रिक साधनाओं में जिन्न सिद्धि एक बहुत ही शक्तिशाली और लाभकारी उपाय है। इसके लिए विभिन्न तरह की समस्याओं को दूर करने संबंधी विविध मंत्र विभिन्न ग्रंथों में वर्णित हैं, जिनकी सिद्धि-साधना संबंधी तमाम प्रयोग रात्री में ही किए जाते हैं। कुछ साधनाओं में जिन्न को सपने में आवाहन किया जाता है। जब वे सपने में आ जाते हैं तब वे समस्याओं के बारे में न केवल पूछते हैं या बातें करते हैं, बल्कि उसका समाधान भी करते हैं, या कहें कि सटीक दिशा-निर्देश देते हैं। जिन्न सिद्धि साधना मंत्र जिन्न सिद्धि क्या है? एक सामान्य मान्यता या कहें अवधारणा के अनुसार जिन्न का अस्तित्व उस काल्पनिक पुरुष प्राणी से है, जो अपनी इच्छा से जीवन के हर उस कार्य को क

रम्भा अप्सरा साधना

यह साधना 21 दिन की है। 22वे दिन साधक या साधिका को हवन करना होता है। साधक को साधना कक्ष में गुलाबी रंग का कलर करना चाहिये। साधक को यह साधना रात्रि 11 बजे से आरम्भ करनी चाहिये। साधक को माथे पर चन्दन का सुगन्धित तिलक लाल ,गुलाबी वस्त्र,गुलाबी आसन, बाजोट पर गुलाबी कपड़ा प्रयोग करना चाहिये। यह साधना पूर्ण परीक्षित और वर्तमान में सिद्ध प्रयोग है। इस साधना में साधक को प्रारम्भ में स्नान करके पश्चिम दिशा की ओर मुख करके 21 माला मन्त्र जाप करना होता है। जाप की माला लाल मूंगे की होनी चाहिये नही तो रुद्राक्ष की माला से भी इस अप्सरा को सिद्ध किया जा सकता है। यह साधना किसी भी होली दीपावली,नवरात्रों,ग्रहण काल,शिवरात्रि अथवा शुक्रवार से प्रारम्भ की जा सकती है।  गुलाबी वस्त्र पहनकर माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाकर ,गुलाबी आसन पर बैठकर अपने सामने बाजोट अर्थात लकड़ी की चौकी पर गुलाबी वस्त्र डालकर उसके ऊपर एक काँसे की थाली में लाल गुलाब की पंखुड़ियां डाले। अप्सरा रम्भा की फ़ोटो फ्रेम सहित रखे।फल फूल मिठाई चढ़ाए।अप्सरा को तिलक लगाएं। प्रथम दिन से लेकर 21वे दिन तक एक माला अप्सरा के फोटो पर चढाए या टांग

श्मशान भैरवी साधना

श्मशान भैरवी - वापसी आटे का पुतला,मुर्गे की बलि,सब्जी की बलि,नारियल की बलि से मारण प्रयोग की वापसी (पलटवार) करने का माँ विंध्यवासिनी तंत्र,मन्त्र,शक्ति विधान अगर आपके ऊपर किसी तांत्रिक ने मारणप्रयोग कर दिया है आपके शत्रुओं के कहने पर और जब आपको लगे की आप कोमा में जाने लगे अथवा आपके अंदर कोई प्रेत,मसान आदि कोई भी अदृश्य शक्ति हो जो आपको परेशान कर रही हो कई सालो से तब यह प्रयोग करे इस प्रयोग से आप अपने प्राण भी बचाएंगे,डॉक्टरों का खर्चा और जिन्होंने यह तांत्रिक प्रयोग किया है उनका ही उल्टा मारण प्रयोग हो जाता है। सबसे पहले माँ विंध्यवासिनी मंदिर में रोगी का हाथ लगवाकर 16 श्रंगार,फल, फूल,मिठाई,चावल ,कुमकुम,अगरवत्ती,घी का दिया करे और सवा मीटर पीला कपडा,पानी का नारियल चढाये। उसके बाद शाम को घर आकर सबसे पहले रोगी के कमरे में माँ विंध्यवासिनी का पूजन अगरबत्ती,पीली मिठाई, लाल गुलाब के फूल,कुमकुम चावल,हल्दी ,देशी घी के दिये से करे। उसके बाद सबसे पहले टोकरी में काला कपडा सवा मीटर बिछाये, उसके ऊपर सात तरह के अनाज की एक रोटी रखे।उसकेउपर  मिटटी का चौढे मुह का बर्तन रखे,उस बर्तन में 100 ग्राम

गुल्फ़ाम परी मन्त्र साधना

गुल्फ़ाम परी मन्त्र साधना यह सिद्धि 7 दिन की है । 786 माला 7 दिन में पूरी करनी होती है। इस सिद्धि में गुल्फ़ाम परी साधक की पत्नी बनकर रहती है। यह सिद्धि बट वृक्ष के नीचे बैठकर सिद्ध की जाती है। सिद्धि सामग्री- सफ़ेद वस्त्र सफ़ेद आसन सफ़ेद हकीक माला दिशा पूर्व मन्त्र जाप दाहिने हाथ के अंगूठे और मध्यमा ऊँगली से समय रात्रि 11 बजे से  चमेली का इत्र चमेली की अगरबत्ती चमेली के फूल शुद्ध देशी घी का सफ़ेद हलवा पेड़ की दाढ़ी होनी चाहिये। सिर पर सफ़ेद कपडा धारण करे। यह सिद्धि शुक्रवार से प्रारम्भ करके शुक्रवार को ही समाप्त करे। मन्त्र  गुल्लू गुल्लू गुल्ल,गुल्लू में गुलशन,गुलशन में गुल्फ़ाम परी आगच्छ फट् । जब यह परी सिद्ध हो जाती है तब साधक के सामने प्रकट होती है तो साधक को तुरंत चमेली के फूलो की माला परी के गले डाल देनी चाहिये और वचन ले लेने चाहिए। साधक के सभी कार्य करते है। यह परी सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुये कमर पर पंख लगाये हुये ,हाथ में एक छडी धारण किये होती है।

डाकिनी वरदान सिद्धि

ग्रहण कालीन डाकिनी वरदान सिद्धि-- यह साधना ग्रहण के समय मे ही सिद्ध की जाती है। ग्रहण के समय मे डाकिनी देवी साधक को बंद आँखो में दर्शन देकर वचन करके वरदान या आशीर्वाद प्रदान करती है। यह साधना एकांत कमरे में सिध्द की जाती है। यह साधना मात्र 1 घण्टे की होती है,जब भी ग्रहण हो 1 घण्टे से ज्यादा तो साधना पूर्ण सिद्ध होती है।यह साधना पूर्ण प्रमाणिक और सिद्ध है ग्रहण से एक घण्टे पहले साधक स्नान करके बंद कमरे मोगरा ,चमेली का सेंट दीवारों ,फर्श,छत पर छिड़क दें।सफेद कपड़े को धारण करे।सफेद आसन बिछाये। सामने बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाये।देशी घी का अखण्ड दिया त्रिभुजाकार अर्थात त्रिकोण में जलाये। सरसो की ढेरी बनाए।फल फूल मिठाई रखे।सुगन्धित अगरबत्ती जलाये।इतर रखे।माथे पर काला रंग का तिलक लगाएं। डाकिनी मन्त्र को 1 माला जपे। डाकिनी दिए कि लौ से प्रकट होकर सामग्री साधक से मांगेगी।साधक डरे नही और शांत मन से सभी सामग्री डाकिनी को अर्पण करें। अंत मे डाकिनी साधक से खाने के लिये भोग मांगेगी तब साधक को ''डाकिनी भोग'' जो गुरु निर्देश में तैयार किया जाता है ,डाकिनी को दिया जाता है तब डाकिनी प्रसन्

कलवा महान वीर साधना

कलुआ मसान सिद्धि कलुआ मसान (कालिया मसान,कालूवीर,काला वीर,काला कलवा) तंत्र मंत्र सिद्धि विधि---- यह साधना रात्रिकालीन 12 बजे से श्मशान में शुरू की जाती है। साधक डरपोक नही होना चाहिये।भीरु कायर भी नही होना चाहिये। किसी भयानक चेहरे अथवा किसी भयानक आवाज को सुनकर डर कर भागना नही चाहिए। सामग्री--साधक को यह सभी सामग्री बाजार से लेनी चाहिये,, एक मुर्गी का देशी अंडा एक दारू देशी की बोतल 5 नींबू 50 ग्राम काले तिल 50 ग्राम राई  250 ग्राम सरसो का तेल  5 लौंग 1.25मीटर लाल कपड़ा दिया रुई की बाती  माचिस चमेली या मोगरे का 50 ग्राम इतर (अत्तर, इत्र, अतर) शमशान में गुरु को साथ ले जाये।। जिनके गुरु नही है वो न करे। यह सिद्धि शनिवार ,अमावस्या को सिद्ध की जाती है। साधक चिता के चरणों मे बैठकर मध्य में कपड़ा विछाकर सभी सामग्री लगाय फिर 108 बार महाकाली -महाकाली का नाम लेकर प्रत्येक नाम पर अंडे पर एक एक फूंक मारता जाए।इसके बाद अंडा (देशी) दोनों हाथ से उठाकर चिता के सिर पर रख दे और फिर मदिरा की धार दे। तब साधक को भयंकर आँधी जैसा लगेगा और चिता के सिर के तरफ एक बबूला दिखेगा साधक को उसमे 7 लौंग

लाल परि की साधना

लाल पारी साधना ......आज में आपको बताने वाला हूँ लाल पारी की साधना जो 1  दिन में भी सिद्ध होती है और 31 दिन में भी सिद्ध होती है | यह दोनों प्रकार से सिद्ध किया जाता है | यदि आपको इस शक्ति को एक दिन में सिद्ध करना है तो कुछ सिद्ध स्थान और शुभ मुहूर्त पर इस सिद्धि को कर कर आप इस शक्ति को एक दिन में भी सिद्ध कर सकते है इसका विधान अलग है आप मेरे से संपर्क करें में आपको इस साधना की सम्पूर्ण जानकारी दूँगा आप जबतक संतुष्ठ नहीं होते हैं अपने सवालों का जबाब में बड़ी संतुष्टी से दूंगा आप जुड़े हमारे साथ इसका कोई चार्ज नहीं है इस साधना में आपके गुरु और गुरु मन्त्र  का होना अत्यंत आवश्यक है| सुरक्षा घेरा होना आवश्यक है| कुछ लोग होते है| जिनको साधना मिलने से मतलव होता है उसके आगे पीछे के विधि विधान से उनको कोई मतलव नहीं होता इस वजह से कुछ बाते इसमें गुप्त रखी गयी हैं | जो गंभीर साधक हैं और जो साधना के क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहते  है| वो मेरे से बात करें और अपनी साधना पूर्ण करें | हम जो आपके लिए साबर मन्त्र और साबर विद्या लेकर आते उनको बड़ी आसानी से 1 दिन या 31 दिन में सिद्ध कराएँगे इनके विधि विधान

प्राण क्या है

 क्या है जिस अन्न को हम खाते है वह पेट मे चला जाता है वहाँ पर नाभि में रहने वाली जठराग्नि उसे पत्ती है और चन्द घण्टों के अन्दर उस अन्न कि स्थल भाग मल मुत्र पसीने इत्यादि के द्वारा बाहर चला जाता है । और उसका वास्तविक तत्व भीतर ही रह जाता है उसी जठराग्नि के द्वारा शक्ति के रूप मे बदल जाता है । और प्राण वही स्रोतों द्वारा शरीर के सारे अंगो मे प्रवाहित होता रहता है । साधारण लोग प्राण को वायु कहते है क्योंकि हवा हमारे जीवन के लिए सबसे आवश्यक है इसलिए अगर हम उसे प्राण के नाम से पुकारने लगे तो भी कोई  बुराई नही है । परन्तु प्राण  उस शक्ति का नाम है जो हमे जीवन देती है इसी को हम जीवन शक्ति कहते है । जीवन शक्ति का बहुत बडा भण्डार इस ब्रह्माण्ड की चोटी पर है वहाँ से सीधी ब्रहारंध्र के शरीर मे प्रवेश हो अपने अपने केन्द्र पर इकट्ठा होती है । इसको सुरति,कुण्डलिनीशक्ति और आघाशक्ति इत्यादि कहते है । मुख्य प्राण शक्ति इसी का नाम है। यह जीवन शक्ति ब्रह्माण्ड से जब शरीर मे उतरती है तो वह चोटी के स्थान से प्रवेश हो उसके एक इंच नीचे अपना एक केन्द्र बनाती है। फिर वहाँ से चलकर मस्तिष्क मे कई स्थानों पर ठहरत