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मई, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अघोर तंत्र में मारन क्रिया

अघोर तंत्र में मारन क्रिया :- अघोर तंत्र की सबसे खतरनाक क्रियाओ में से एक क्रिया है मारन क्रिया। इस क्रिया में अघोर तंत्र के द्वार किसी भी व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त कर सकते है।इस क्रिया का उपयोग कुछ लोगो द्वारा अपने दुश्मनो को खत्म करने के लिए किया जाता है।और इसमें उनका साथ देते है वो लोग जो कुछ पैसे या अन्य लालच में आकर बेक़सूर लोगो पर बेवजह मारन क्रिया का उपयोग करके किसी व्यक्ति को बिना बात के मौत के घाट उतार देते ह।ऐसे लोग जो इस तंत्र की शिक्षा लेकर इस तंयर का उपयोग गलत तरीको में करते है वो तंत्र के नाम पर एक गन्दा धब्बा है।   मारन क्रिया की प्रमुख 4 क्रियाएँ होती है : 1.कृकल मारन क्रिया : इस मारन क्रिया में व्यक्ति क्रिया के कुछ घंटो के अंदर ही मर जाता है जिसके मुख्या कारण वाहन दुर्घटना,अचानक कोई गंभीर स्वस्थ्य बीमारी ,या अचानक कोई दुर्घटना में मरना।   2.घूरन मारन क्रिया : इस प्रकार की मारण क्रिया के करने पर व्यक्ति की मिरित्यु 3माह,6माह या 1वर्ष में हो जाती है ये मारन क्रिया करते वक़्त निर्भर सामग्री पर निर्भर करती है।   3. रंभत मारन क्रिया : इस प्रक

स्तम्भन क्रिया की सिद्धियाँ और क्रियाएं -बगलामुखी सिद्धि

स्तम्भन को माया स्तम्भन भी कहते है। माया शरीर के सम्पूर्ण चक्र को कहा जाता है। स्तम्भन यानी जड़ता और इसमें माया अर्थात सम्पूर्ण अस्तित्त्व की क्रियाओं का स्तम्भन होता है। इसकी आवश्यकता तन्त्र साधना में दुष्ट गतिविधियों के स्तम्भन हेतु की जाती है; ताकि साधना कार्य में वे विघ्न न डालें। स्तम्भन की क्रिया के लिए भी किसी देवी-देवता की एक सिद्धि होनी आवश्यक है। यहाँ हम बगलामुखी की सिद्धि बलता रहे है –मन्त्र – ॐ ह्रीं श्रीं बगला मुखी श्रीं ह्रीं ॐ स्वाहा । यंत्र – अष्टदल कमल की कर्णिका में षट्कोण के मध्य अधोमुखी त्रिकोण में बिंदु।समय – ब्रह्म मुहूर्त , प्रातःकाल सूर्योदय के समय, रात्रि में महाकाल रात्रि दीपक – घी का दीपक, कपास की बाती वस्त्र-आसन  – पीला रेशमी या सूतीजप संख्या – एक लाख (दिनों में बाँटकर)हवन – कटहल, गूलर, गम्भार या गाय के कंडे की समिधा में घृत, जौ, पीले चवल, पीले फूल, हल्दी, मधु, दूध, धी, आदि से; दस हजार मन्त्रों से । ध्यानरूप – तीन नेत्रों वाली यह देवी, गंभीर, रोबीली, सौन्दर्य और यौवन से भरी, नेत्रों में मादकता, सोने के समान पीली चमकती कायावाली है और ये कमल पर आसीन है। इनक

बंगाल मोहिनी महाविद्या -प्रत्यक्षिकरण साधना

जीवन मे आकर्षण है तो सब कुछ है जीवन मे सौन्दर्य है तो सब कुछ है जीवन मे सम्मोहन है तो सब कुछ हैजीवन मे वशीकरण है तो सब कुछ है इसलिये महत्व है इस विशेष विद्या का जिसे कहा गया है मोहिनी माहाविद्या".मोहिनी जो पत्थर को भी मोहित करने मे समर्थ हो,वह है "बंगाल मोहिनी" जिसे प्रत्यक्ष करना संभव है.जिसके प्रत्यक्षीकरण से तीन वचन प्राप्त किये जा सकते है.मोहिनी भगवान विष्नु जी का एक सुंदर एवं मोहित करने वाला रुप है जो समुद्र मंथन के समय मे उन्होने धारण किया था.मोहिनी ने भगवान शिव जी को इस तराहा से मोहित कर दिया था की उन्हे मोहिनी से प्रेम हो गया.शाबर मंत्रो मे "बंगाल मोहिनी" मंत्र का बडा महत्व है और मोहिनी को प्रत्यक्ष करके जो लाभ मिलते है वह सिर्फ साधना करने से नही मिलते.मोहिनी सिद्धी से किसी को भी वश किया जा सकता है और इसके लिये कुछ खाने-पीने मे मंत्र अभीमंत्रीत करने की आवश्यकता नही है.जब साधक की मोहिनी सिद्ध हो जाये तो वह बैठे जगहा से ही व्यक्ती विशेष को अपने वश मे कर सकता है.मोहिनी को प्रत्यक्ष करने से वह जीवन भर साथ देती है और प्रत्येक कार्य को स्ययं संभव कर देती है

शत्रु स्तंभन प्रयोग.

तंत्र क्षेत्र मे सभी समस्यायों को कैसे निपटा जाये यह भली भांति जानना जरुरी  हैं पर जानने और करने मे कोसो की दुरी होती हैं ,षट्कर्म मे से एक कर्म स्तम्भंन्न भी हैं और स्तम्भनं की प्रमुख देवी भगवती बल्गामुखी के स्वरुप से कौन नही परिचित होगा , जिसे कोई भी उपाय ना सूझे तो विधिवत ज्ञान ले कर इस विद्या का प्रयोग अपने रक्षार्थ करें निश्चय ही उसे लाभ होगा . पर न तो इस विद्या का ज्ञान देने वाले और न ही उचित प्रकार से प्रयोग करने वाले आज प्राप्त हैं और् सबसे बड़ी समस्या यह हैं की इन प्रयोगों को करने के लिए कैसे समय निकाला जाए .आज समय की कितनी कमी हैं यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं ही . साधना क्षेत्र मे दोनों तरह के विधान हैं लंबे समय वाले और कम समय वाले भी ..साधारणतः यह कहा जाता हैं की सबसे पहले कम समय वाले विधानों की तरफ गंभीरता से देखा जाना चाहिये और जब परिणाम उतने अनुकूल ना हो जितनी आवशयकता हैं तब बृहद साधना पर ध्यान दे यह उचित भी है क्योंकि जहाँ सुई का काम हो वहां तलवार की क्या उपयोगिता .. और तंत्र मंत्र के आधारमे एक महत्वपूर्ण अंग या विज्ञानं हैं यन्त्र विज्ञानं ..अभी भी इसका एक अंश

शत्रु सताए तो मंगलवार को यह हनुमान मंत्र आजमाएं

श्रीराम दूत पवनसुत हनुमान के स्मरण मात्र से संकटों का निवारण होता है। यदि शत्रु कमजोर करना हो या दुश्मन पर विजयश्री की अभिलाषा हो तो जपें यह सिर्फ यह  मंत्र  : 'पूर्व कपि मुखाय पंचमुख हनुमते टं टं टं टं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा।।'   किस तरह करें जप... इस मंत्र का हनुमान जयंती के दिन पंचमुखी हनुमानजी के मंदिर या चित्र के समक्ष और बाद में नित्य जप करें। गुग्गुल (गुगल) की धूप दें। यदि गंभीर संकट या शत्रु से अधिक पीड़ा हो तो हनुमान जयंती से सात दिन में 27 हजार जप करके आठवें दिन रात्रि में सरसों का हवन करें। इसी मंत्र को बोलते हुए स्वाहा के साथ सरसों की आहुतियां दें। इसमें 270 आहुतियां देना आवश्यक है। असर दिखेगा। शत्रु नतमस्तक होगा।

शत्रु स्तंभन प्रयोग

शत्रु स्तंभन प्रयोग समय रात्री 10 से 2 के मध्य का रखे,मुख उत्तर की और रखे.आसन वस्त्र का कोई बंधन नही है.एक निंबू सामने रखे और निम्न मंत्र की एक माला रूद्राक्ष माला से जाप करे.ओम क्रीं हूं क्रीं सर्व शत्रु स्तंभिनी घोर कालिकायै फट एक माला करे और निंबु मै,एक लौंग गाड़ दे.ईस प्रकार ११ माला करे और एक एक करके ११ लौंग गाड़ दे.अगले दिन या रात्री मे ही निंबु भुमि मे कही गाड़ दे.और एक नारियल गाड़े हुए स्थान पर रख आये. ईससे शत्रु के सारे षड़यंत्र विफल हो जायेंगे.

स्तंभन तंत्र प्रयोग

स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है।1. ‘‘ऊँ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा। अयुतजपात् सिद्धि र्भवति। अष्टोत्तरशत जपात् प्रयोग (सिद्धिम) भवति।।’’ ‘‘ऊँ नमो इत्यादि अग्नि स्तंभन का मंत्र है। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ

विविध तंत्र प्रयोग

1. मोहन तंत्र प्रयोग: जिस कर्म के द्वारा किसी स्त्री या पुरुष को अपने प्रति मुग्ध करने का भाव निहित हो, वो ‘मोहनकर्म’ कहलाता है। मोहन अथवा सम्मोहन यह दोनों प्रायः एक ही भाव को प्रदर्शित करते हैं। मोह को ममत्व, प्रेम, अनुराग, स्नेह, माया और सामीप्य प्राप्त करने की लालसा का कृत्य माना गया है। मोहन कर्म की यही सब प्रतिक्रियाएं होती हैं। निष्ठुर, विरोधी, विरक्त, प्रतिद्वंदी अथवा अन्य किसी को भी अपने अनुकूल, प्रणयी और स्नेही बनाने के लिए मोहन कर्म का प्रयोग किया जाता है। मोहन कर्म के प्रयोगों को सिद्ध करने के लिए पहले निम्नलिखित मंत्र का दस हजार जप करना चाहिए। ऊँ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यश्च मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।’’ प्रयोग से पूर्व प्रत्येक तंत्र को पहले उपर्युक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर लेना चाहिए। मोहन कर्म के प्रयोग निम्नलिखित है:-1. तुलसी के सूखे हुए बीज के चूर्ण को सहदेवी के रस में पीसकर ललाट पर तिलक के रूप में लगाएं।2. असगंध और हरताल को केले के विविध तंत्र प्रयोग डाॅ. निर्मल कोठारी रस में अच्छी तरह से पीसकर उसमें गोरोचन मिलाएं तथा मस्तक पर तिलक लग

सहदेवी एक छोटा सा कोमल पौधा होता हैतंत्र में अतिप्रचलित कुछ वस्तुएं

इस जड़ी बूटी का दुरपयोग करने पर अल्पायु हो जाता है मनुष्य |इस जड़ी बूटी का रहस्य किसी को नहीं बताना चाहिए | केवल उपयुक्त साधको के लिए ही ये दिया गया है | बाकि लोग एस का प्रोयोग नहीं करे बिना जानकारी के नहीं तो आप संकट मैं आ सकते है || ये देवीय जड़ी है सहदेवी -  गावों में सहदेई भी कहते हैं एश कलर्ड फ़्लिबिन भी कहते हैं  सहदेवी एक छोटा सा कोमल पौधा होता है जो एक फुट से साढ़े तीन फुट तक की ऊँचाई का होता है। पौधा भले ही कोमल हो पर तंत्र शास्त्र और आयुर्वेद में ये किसी महारथी से कम नहीं है।अपने दिव्य गुणों के कारण आयुर्वेद के ग्रंथों में इसका उल्लेख्य कोई बड़ी बात नहीं है परन्तु इसमें कई दिव्य गुण हैं जिसके कारण इसे देवी पद मिला और इसका नाम सहदेवी पड़ा। विभिन्न तंत्र शास्त्र और यहाँ तक की अथर्ववेद में भी इसका उल्लेख मिलता है।आशा है इससे आप इसकी महत्ता समझेंगे।किसी रवि-पुष्य योग के दिन प्रात: सूर्योदय पूर्व शास्त्रीय विधि पूर्वक एक दिन पूर्व संध्याकाल में निमंत्रण देकर प्राप्त कर लें फिर घर लें आये और पंचामृत से स्नान कराकर उसकी विधिवत षोडशोपचार पूजा करें। पूजन मन्त्र इस प्रकार है ॐ नमो भगवती सहद

आसान नहीं शक्ति की साधना

एक बार इन्द्रासन पर नजर गड़ाए दैत्य दुर्गम ने ब्रह्माजी ककी कठोर तपस्या कर वरदान में उनसे सारे वेद माँग लिए। वह जानता था कि वेदों के न रहने से उसके माध्यम से होने वाले यज्ञादि बंद हो जाएँगे। तब देवताओं को हवन का भाग मिलना बंद हो जाएगा और वे शक्तिहीन हो जाएँगे। तब वह आसानी से देवलोक पर कब्जा कर लेगा। ऐसा ही हुआ भी।  पराजित देवता भागकर गुफाओं में छिप गए। इधर वैदिक क्रियाएँ बंद होने से संसार में अनावृष्टि और अकाल की स्थिति पैदा हो गई। तब मानव और देवों ने मिलकर भगवती की उपासना की। प्रसन्न देवी ने सैकड़ों नेत्रों वाले दिव्य रूप में प्रकट होकर नौ रात्रियों तक अपने नेत्रों की जलधाराओं से वर्षा की। इससे धरती फिर हरी-भरी हो गई।  उन्होंने भक्तों को खाने के लिए फल और शाक भी दिए। इस कारण उन्हें शाकम्भरी कहा जाने लगा। सैकड़ों नेत्रों के कारण वे शताक्षी कहलाईं। उन्होंने भक्तों को यह भी आश्वासन दिया कि वे दुर्गम से वेद वापस लेकर उन्हें दे देंगी।  यह जानकर क्रोधित हुआ दुर्गम विशाल सेना के साथ देवी से युद्ध करने चल पड़ा। उसे आता देख देवी सभी भक्तों को एक तेजोमय चक्र के अंदर सुरक्षित खड़ा करके स्वयं उससे यु

महाकाली शाबर मंत्र सिद्धि | इस शाबर मंत्र से माँ काली को शीघ्र प्रसन्न करें

महाकाली , माँ दुर्गा का ही प्रचंड रूप है जिनका जन्म धर्म की रक्षा करने के लिए और पापियों और दुष्टों का नाश करने के लिए हुआ है | महाकाली – महा और काली जिसका अर्थ है काल और समय भी इसके अधीन है | माँ काली को माँ दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक माना गया है | दिखाई देने में जिस प्रकार माँ काली जितनी प्रचंड दिखती है अपने भक्तों पर उतनी ही जल्दी कृपा भी करती है | हनुमान जी , भैरव जी और महाकाली इन तीनों शक्तियों को कलियुग में जागृत माना गया है | अर्थात थोड़े से भक्ति भाव से ये प्रसन्न होकर अपने भक्तो  का उद्धार करते है |  महाकाली की उपासना करने से जीवन में सुख -शांति , शक्ति व बुद्धि का विकास होता है | इसके साथ -साथ सभी प्रकार के भय आदि से मुक्ति भी मिलती है | माँ काली की उपसना करने वाले व्यक्ति को उनकी पूजा विधिवत करनी चाहिए और यदि किसी भी प्रकार का आपने यदि संकल्प लिया हुआ है तो कार्य पूर्ण होने पर उसे पूरा अवश्य करें अन्यथा माँ काली रुष्ट भी जो जाती है और उनका प्रकोप भी झेलना पड़ सकता है | महाकाली शाबर मंत्र :- आज हम आपको एक ऐसे शाबर मंत्र के विषय में बता रहे है जिसके प्रयोग से महाकाली

तांत्रिक क्रिया के शिकार तो नहीं जाने, यदि ब्लैक मैजिक, वशीकरण, बंधन तथा मारण का प्रयोग आप पर हुआ है तो यह उपाय करें

आज के वैज्ञानिक युग में तंत्र-मंत्र को अंधविश्वास भले ही माना जा रहा है, मगर यह भी सत्य है कि इन तंत्र-मंत्र के प्रयोगों से व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो जाता है । तंत्र शास्त्र में छह अभिचार कर्म है, शांति कर्म, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन और मारन यह 6 कर्म 10 महाविद्या की कार्यप्रणाली का हिस्सा है इनमें सबसे खतरनाक क्रिया षटकर्म है।शास्त्रों में शांति कर्म को छोड़कर अन्य सभी को वर्जित किया गया है ।तंत्र शास्त्र का निर्माण इसलिए हुआ था कि व्यक्ति अपनी साधना और सिद्धि की सुरक्षा के लिए उपयोग करेगा किंतु लोगों ने इसका प्रयोग लालच में आकर स्वार्थवश करना शुरु कर दिया। इन षटकर्म में एक कर्म है जादू टोना या इसे ऐसे समझे काला जादू जिसे ब्लैक मैजिक कहा जाता है यह व्यक्ति के जीवन को मृत्यु के समान बना देता है, दूसरा षटकर्म है वशीकरण अथार्थ किसी दूसरे व्यक्ति अथवा वस्तु को अपने वश में करना, तीसरा षटकर्म है व्यक्ति को जिंदा रहते मारना यानी मारन का प्रयोग,चौथा शर्ट कर्म है व्यक्ति पर बंधन करना ताकि वह जीवन में किसी कार्य में आगे ना बढ़ सके, पांचवा प्रयोग है उच्चाटन यह ऐसा प्रयोग है कि व्यक्ति

अब पीछे मत हटो,शत्रु की तो येसी की तैसी

प्रभु,कितने सवाल है मन मे.............. कोई बात नहीं,इस कार्य मै आपके साथ हु,कुछ भी ज्यादा सोचो मत,बात जान पे बीतने वाली है तो अब पीछे मत हटो,शत्रु की तो येसी की तैसी...................,खत्म ही कर देगे इनको,ताकि दूसरा कोई मुह उठाके हमसे शत्रुत्व ना करे....... परंतु किसी भी शत्रु पे प्रयोग करना हो तो 100 बार तो सोच लेना क्या यह कार्य करना उचित होगा या नहीं॰ मुजे आप सभी पे विश्वास है,आप गलत कदम नहीं उठाओगे इसलिये यह दुर्लभ प्रयोग दे रहा हु......सदगुरुजी मुजे क्षमा करे,यही प्रार्थना करता हु........ सामाग्री:- शमशान गुटिका-जिसे आसन के नीचे स्थापित करना है ताकि शमशान मे जाकर प्रयोग करने का काम न पड़े,सियार सिंगी-जिसे यमपाश मंत्रो से सिद्ध किया जाता है,जैसे यमराज अपना यमपाश फेकते है और प्राणी का जान ले लेते है उसी तरहा इसको भी कार्यान्वित किया जाता है,महाकाली यंत्र-इसे जागरण क्रिया से ही जगाया जाता है,ताकि माँ शत्रु को समर्पित करने के बाद स्वीकार कर सके,काली हकीक माला-ज्यो शीघ्र कार्य सिद्धि मंत्रो से चैतन्य होती है,शमशान पत्थर-ज्यो इतर योनि मंत्रो से जागरण हो॰ साधना विधि- साधक सर्व

कैसे पता करें कि तांत्रिक प्रयोग हुआ है या नहीं-जानिए निपटने के उपाय

तांत्रिक प्रयोगजिस तरह हवा आपको दिखाई नही देती उसी प्रकार तांत्रिक प्रयोग  दिखाई नही देंगे । हाँ महसूस किया जा सकता है । जब आप पर या आपके किसी भी रिश्तेदार पर ये प्रयोग होता हैं तो डॉक्टर इलाज मे  सारी रिपोर्ट नार्मल आती हैं । सब इलाज होता हैं लेकिन नतीजा शून्य ही रहता है ।आइये जानते है कि आप पर तांत्रिक प्रयोग हुआ है या नहीं, क्या है इससे निपटने के उपाय.                      तान्त्रिक प्रयोग को ऐसे पता करें                                  रात को जो बीमार है, या आपको जिस पर शक है कि इस पर तांत्रिक प्रयोग हो सकता है, उसके सिरहाने एक लोटे मैं पानी भर कर रखे और इस पानी को गमले मैं लगे या बगीचे मैं लगे किसी छोटे पौधे मैं सुबह डाले । एक सप्ताह मैं वो पौधा कुम्हला जायगा । कभी कभी 3 दिन मैं भी सूख जाता है ।रात्रि को सोते समय एक हरा नीम्बू तकिये के नीचे रखे और प्रार्थना करे कि जो भी नेगेटिव क्रिया हूई इस नीम्बू मे समाहित हो जाये । सुबह उठने पर यदि नीम्बू मुरझाया या रंग काला पाया जाता है तो आप पर तांत्रिक क्रिया हुई है.  यदि बार बार घबराहट होने लगती है, पसीना सा आने लगता हैं, हाथ पैर शून्य

तांत्रिक क्रियाओं के प्रकार एवं प्रभाव

क्या आपने सुना है की एक महिला किसी अज्ञात से बाते कर रही है, जो हमे नही दिखाई देता। एक इंसान को चारों और सांप ही सांप दिखाई देते है, किसी को रोज सपनो मै कोई सफेद कपड़े मै दिखाई पढ़ता, कोई व्यक्ति जब तक घर से बाहर रहता खुश रहता है,लेकिन घर मे आते ही गुस्सा करने लगता है। ये बातें अजीब लगती है,आप क्या हर कोई जब तक इन हादसों का शिकार नही हो जाता तब तक इन सबको मानता नहीं है।अक्सर ये सब हमारे कुछ पूर्व जन्म के दोष, आपकी कुंडली मै काल सर्प, श्रापित दोष, आदि के कारण होते हैं किन्तु कुछ तांत्रिक क्रिया द्वारा भी कराया जाता है । जन्म के समय जब राहू और केतु के साथ शनि की भी नकारात्मक भूमिका हो जाती है, शुभ ग्रहो के साथ जब ये ग्रह युति बना लेते है तब जिंदगी को उथल पुथल कर देते हैं। इन इंसानो पर बाहरी क्रियाओ का असर जल्दी होता है।विद्वेषण जैसी खतरनाक तांत्रिक क्रियाओं द्वारा पति-पत्नि में झगडे करवा दिए जाते हैं फिर वे ही एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। ताडन जैसी भयानक तांत्रिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति को बीमार कर दिया जाता हैं। फिर बीमारी ही पकड में नहीं आती है अथवा इलाज करवा-करवा कर थक जाते हैं फिर

वीरभद्र तीव्र साधना मंत्र

वीरभद्र साधना- वीरभद्र, भगवान शिव के परम आज्ञाकारी हैं. उनका रूप भयंकर है, देखने में वे प्रलयाग्नि के समान, हजार भुजाओं से युक्त और मेघ के समान श्यामवर्ण हैं. सूर्य के तीन जलते हुए बड़े-बड़े नेत्र एवं विकराल दाढ़ें हैं. शिव ने उन्हें अपनी जटा से प्रकट किया था. इसलिए उनकी जटाएं साक्षात ज्वालामुखी के लावा के समान हैं. गले में नरमुंड माला वाले वीरभद्र सभी अस्त्र-शस्त्र धारण करते हैं. उनका रूप भले ही भयंकर है पर शिवस्वरूप होने के कारण वे परम कल्याणकारी हैं. शिवजी की तरह शीघ्र प्रसन्न होने वाले है.वीरभद्र उपासना तंत्र में वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना मंत्र आता है. यह एक स्वयं सिद्ध चमत्कारिक तथा तत्काल फल देने वाला मंत्र है. स्वयंसिद्ध मंत्र होने के कारण इसे सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती. अचानक कोई बाधा आ जाए, दुर्घटना का भय हो, कोई समस्या बार-बार प्रकट होकर कष्ट देती हो, कार्यों में बाधाएं आती हों, हिंसक पशुओं का भय हो या कोई अज्ञात भय परेशान करता है तो वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना से उससे तत्काल राहत मिलती है.यह तत्काल फल देने वाला मंत्र कहा गया है.    वीरभद्र मंत्र 1- ॐ हं ठ: ठ: ठ: सैं चां

तांत्रिक मारण क्रिया करने के आवश्यक नियम व सावधानी

हम जो दुनिया को देते हैं वो हमें एक न एक दिन बापस जरूर मिलता है, दुसरो के साथ जैंसा कर्म करेंगे वैसा एक दिन हमारे पास लौटकर आता है। यह प्रकृति का नियम है। इसलिए हमेशा अच्छा कर्म करें ताकि लौटकर जो आये वो अच्छा ही आये। तांत्रिक मारण क्रिया करते समय ये बात अवश्य ध्यान रखना चाहिए। 1. छोटे मोटे वाद विवाद, छोटी बातों के कारण शत्रु पर मारण प्रयोग कभी नही करना चाहिए।2. किसी भी व्यक्ति का नाम लेकर कभी मारण क्रिया नहीं करना चाहिए। क्योंकि हमारी जिंदगी CID के सीरियल की तरह होती है कभी कभी शक किसी पर करते हैं और आरोपी कोई और निकलता है। शक के आधार पर कभी किसी पर मारण प्रयोग न करें।3. अमुक की जगह “मम सर्व शत्रु” का प्रयोग करें। मारण मंत्र से उत्तपन्न हुई ऊर्जा/दैवीय शक्ति स्वयं ही आपके सभी शत्रुओं एवं विरोधियों को खोजकर समाप्त करती जाएगी।4. जब कोई हमारा बारे मे अच्छा सोचता है तो उसके अंदर से सकारात्मक तरंगे निकलकर लगातार हमसे टकराती रहती हैं। जो हमे फायदा पहुंचाती रहती हैं, और जब कोई हमारे बारे मे बुरा सोचता है तो उसके अंदर से नकारात्मक तरंगे निकलकर हमसे टकराती रहती हैं। जो हमे लगातार हानि पहुंचा

पुष्प के द्वारा आसान वशीकरण मंत्र

निम्नवत मंत्र को 1०8 बार जप कर किसी पुष्प को अभिमंत्रित करके जिस स्त्री पर फेंका जाएगा, वह मोहित हो जाएगी। मंत्र इस प्रकार है- ॐ नमो आदेश गुरु को, कामरूप देश कामाक्षा देवी तहां ठैठैइस्माइल जोगी, जोगी के गन फूल-क्यारी, फल चुन-चुन लावै लोना चमारी, फूल चल फूल-फूल बिगसे, फूल पर बीर नरसिंह बसे, जो नहीं फूल का विष, कबहुं न छोड़े मेरी आस। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा । मंत्र जप के लिए स्फटिक मनी की माल का प्रयोग करना अधिक लाभकारी है  चमेली के पुष्प का प्रयोग करने से स्त्री तुरंत आप के वश मे हो जाएगी  पुष्प को अभिमंत्रित से पहले गंगाजल से शुद्ध कर ले 41 दिन लगातार जाप के बाद ही मंत्र सिद्ध होगा  पुष्प अभिमंत्रित करते समय आप को कोई देख न ले इस बात के अवश्य ध्यान रखे अन्यथा वशीकरण विफल हो जाएगा स्त्री पर पुष्प फंक्ते समय आप ने लाल रंग के वस्त्र पहने होने चाहिए इस मंत्र का बुधवार को प्रयोग करने से स्त्री तुरंत आप के वश मे हो जाती है

महिला वशीकरण मंत्र इन हिंदी

महिला वशीकरण मंत्र से जानिए विवाहित महिला को वश में करने का उपाए  महिला वशीकरण मंत्र का उपयोग सिर्फ विवाहित महिला पर ही करें !यह बहुत हे खतरनाक और शक्तिशाली विधि है ! इसका इस्तेमाल बहुत ही ध्यान से करें अगर आप चाहते है की कोई औरत खुद आपके पास आये तो यह विधि आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण कर सकती है!मई आपको सुचेत करना चाहता हूँ की यह महिला वशीकरण का सर १६० दिन तक रहता है!महिला वशीकरण मंत्र का उपयोग बहुत ही सोच समझ कर करें!वश में आने के बाद जैसा आप चाहते है वैसा ही होगा इस लिए इसे गलत भावना यह निजी स्वार्थ के लिए ना करें! अन्यथा आप मुसीबत में आ सकते है! कैसे कर सकते है औरत को वश में ? नीचे दिए गए उपाए अपनाये ! सबसे पहला उस औरत की फोटो !लाल सिंदूर और चार कपूर की टिक्की और आपके खुद का पहना हुआ कपडा एवं ७ दाने साबुत चावल ,चीनी वाला पानी (चीनी का घोल),चाहिए होगा उसके बाद अगर आप औरत के बाल ले सकते हो तो वह सबसे अच्छी  बात है! उसका असर  महिला पे जल्दी आएगा!विधि इस प्रकार है की इसे किसी भी शुक्रवार को शुरू किया जा सकता है !रात्रि के समय औरत की फोटो ले कर  उस पर लाल सिंधुर अच्छे से लगा ले ! आप अपना

स्त्री वशीकरण करने का तरीका

शुभ मुहूर्त में निम्नवत मंत्र को 1०8 बार जप कर पूजा वाली एक सुपारी अभिमंत्रित कर लें। फिर यह सुपारी जिस स्त्री को खिला देंगे, वह आपके वश में हो जाएगी। ‘ अमुक ‘ के स्थान पर इच्छित स्त्री का नाम बोलें। मंत्र इस प्रकार है- ॐ क्तीं स: ‘ अमुक ‘ वश कुरू कुरू स्वाहा।इस मंत्र के प्रयोग के द्वारा किसी वशीकरण स्त्री को मुक्त भी करा सकते है ओर वश मे भी किया जा सकता है प्रयोग से पहले अपने आप को स्नान आधी से शुद्ध कर लीजिये सुपारी साबुत होनी चाहिए ओर जो पूजा मे प्रयोग की जाती है उसे ही अभिमंत्रित करें तभी यह मंत्र का सफल प्रयोग किया जा सकता है इस मंत्र को लाखो लोग आजमा चुके है ओर फ़ायदा उठा चुके है आप भी इस मंत्र के द्वारा फायदा उठा सकते है पूजा की सामग्री 1एक साबुत सुपारी2जाप के लिए एक रुद्राक्ष माला3एक साबुत पान का पत्ता स्त्री वशीकरण के कुछ और सफल उपाय कई बार ऐसा होता है कि आप किसी स्त्री की और आकर्शित हो जाते है| और उसे चाहते है पर ऐसा जरुरी नहीं होता की अगर आप किसी भी व्यक्ति को चाहे तो बदले में वो भी आपको चाहे, पर आप उसके बिना रह भी नहीं पाते है और किसी भी हालत में उसे पाना चाहते है, जो की

बबूल पेड़ के द्वारा वशीकरण का सबसे आसान तरीका

नीचे दिए गए मंत्र को एक लाख बार जप कर इसे सिद्ध कर लें। प्रयोग के लिए हस्त नक्षत्र में बबूल की जड़ लाकर उसे 3 बार इसी मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके इया भुजा - बांध लें। इसके प्रभाव से सभी लोग वशीभूत हो जाते हैं और रुके हुए पूरे कार्य पूरे हो जाते हैं। मंत्र इस प्रकार है- ॐ सुदर्शनाय हुं फद स्वाहा । बबूल की जड़ लाते समय किसी से कोई बात न करे बाबुल की जड़ लाने के बाद उसके गौ मूत्र से शुद्ध कर ले अभिमंत्रित करने से पहले आप अपने आप को गंगाजल से शुद्ध कर ले मंत्र अभिमंत्रित करते समय आप कोई भी देख पाए इस बात का ध्यान अवश्य रखते हैं इस मंत्र का प्रयोग स्त्री व पुरुष दोनों कर सकते हैं इस मंत्र के द्वारा आप किसी को भी अपने वश मे कर सकते है बबूल की जड़ अभिमंत्रित करते समय मंत्र का सही उच्चारण होना चाहिए बाबुल की जड़ अभिमंत्रित के बाद शाम को अपनीवाई भुजा मे बांध ले इस मंत्र के सफल प्रयोग के लिए आप हमारे दिए गए नंबरो पर संपर्क कर सकते है ओर इस मंत्र के द्वारा लाखो लोग फारेदा उठा चुके है आप भी इस मंत्र के द्वारा अपना कार्ये पूरा कर सकते है तो जल्दी से हमसे संपर्क करे ओर जल्दी से जल्दी से लाभ लेन

अचूक स्त्री वशीकरण मंत्र

अमावस्या की रात में अग्रवत मंत्र को 1144 बार पढ़ने से यह सिद्ध हो जाता है। इसके बाद देशी पान के 3 बीड़े को 31 बार इसी मंत्र से अभिमंत्रित करके रख लें इच्छित स्त्री को पहला बीड़ा पान खिलाने पर वह आपसे मिलने-जुलने लगेगी। दूसरा पीड़ा पान खिलाने पर अपने अंगों का दर्शन करा देगी। तीसरा बीड़ा पान खिलाने पर आपके साथ लिपटने-चिपकने को आतुर हो जाएगी। ‘ अमुकी ‘ के स्थान पर इच्छित स्त्री का नाम बोलें। मंत्र इस प्रकार है- कामरूदेश कामख्या देवी जहां बसे इस्माइल जोगी इस्माइल जोगी ने दिया पान बीड़ा, पहला बीड़ा आती जाती, दूजा बीड़ा दिखावे छाती, तीजा बीड़ा अंग लिपटाई ‘ अमुकी ‘ खायपास चली आई, दुहाई गुरु गोरखनाथ की। इस मंत्र को अभिमंत्रित केवल अमावस्या की रात मे ही किया जा सकता है आप जिस स्त्री को वश मे करना चाहते हो आप को पान के तीनों बीड़ो को 24 घंटो के अंदर उसे खिलाने होंगे पान का पत्ता साबुत ले ओर पान का बीड़ा मीठा होना चाहिए पान के तीनों बीड़ो को अभिमंत्रित करने से पहले गंगाजल या शुद्ध जल से शुद्ध कर ले शुद्ध जल न मिले तो गौ मूत्र से भी कर सकते

स्त्री के कपड़े से वशीकरण इन हिंदी – वस्त्र वशीकरण

स्त्री के अंडर गारमेंट कपड़ों से वशीकरण, स्त्री के वस्त्र से वशीकरण, कपड़े से अचूक वशीकरण  से वशीकरण करना बहुत ही आसान है क्या आप अपने प्यार को अपने वश में करना चाहते हो, क्या आप किसी के ऊपर वशीकरण करना चाहते हो और उस से अपना काम करवाना चाहते तो कपड़े दुवारा इस काम को बड़े ही आसानी से कर सकते हो, कपड़े से वशीकरण मात्र दो मिनट मेंवशीकरण करने की रीत हमारे यहाँ प्राचीन काल से चली आ रही हैं। बहुत पुराने ज़माने से ही अगर कोई किसी को वश में करना चाहता था तो वह कोई अभिचार करता था, यह ज़माना था वैदिक काल का और उसके बाद में पौराणिक काल का आगमन हुआ जब यह प्रथा बौद्धिक काल तक बदलती गयी और तंत्र विद्याओं में प्रचलित हो चली। आधुनिक काल में टोटके और भी बदल गए और आज कल के उपाय और प्रयोग प्राचीन काल से और भी ज़्यादा बदल गए हैं। यह होना स्वभाविक भी है क्यूंकि समय के साथ मानव जीवन में और जीवन शैली में बहुत अंतर आ जाता है। लोग पाते हैं की सब तरह की व्यवस्थाएं बदल रही हैं और वशीकरण और तंत्र मंत्र यन्त्र को भी समय के साथ बदलना ही होता है अन्यथा वे पीछे रह जाएँगी। सामग्री: सबसे पहले जिसको आपको अपने वश में करना ह