शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती।बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है-(१) “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और जाप का समय रखें मध्य रात्रि का। इस वक्त पीले रंग के वस्त्र को धारण करें और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें वह भी दिन में एक बार। इन दिनों अपने केश भी ना कटवाए।(२) “ओम मलयाचल बगुला भगवती महाकुरी महाकाली, राज मुख बंधनम्, ग्राम मुख बंधनम्, काल मुख बंधनम्, चोर मुख बंधनम्, व्याघ्र मुख बंधनम्, सर्व दुष्ट बंधनम्, सर्व मुख बंधनम्, वशीकुरण ओम् फट स्वाहा।” मां बगलामुखी का यह मंत्र शत्रु नाश के लिए बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है, जिसकी साधना नवरात्रि के नौ दिनों में ही की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन मंत्र पाठ करने का संकल्प लें देवी की स्थापना करने के बाद। आपको इस मंत्र का ग्यारह हजार जाप करना है इन दिनों के अंदर। आप अपनी सुविधा अनुसार प्रतिदिन के लिए जप की संख्या विभाजित कर सकते हैं लेकिन बस ध्यान रहे कि जाप संख्या पूर्व के दिन से कम ना हो। जाप समाप्त होने के बाद आप इसका दशांश हवन करें। हवन में नीम की लकड़ी का प्रयोग करें। हवन कुंड में हल्दी से रंगे हुए पीले अक्षत, हल्दी की गांठ, पीले सरसों का तेल, नीम का तेल, पीला हरताल, काला तिल इत्यादि का उपयोग करें। इस प्रयोग की समाप्ति के बाद आप पाएंगे कि आपका दुश्मन अचानक से शांत हो गया है और आपके कहे अनुसार काम भी करने लगा है।बगलामुखी शत्रु विनाशक कवच(३) ओम् बगलामुखी देव्यो ह्लीं ह्वीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु।” जाप प्रारंभ करने के पहले नहा कर शुद्ध होने के बाद एक आसन बिछाकर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अपने सामने एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां बगुला का एक चित्र अथवा मूर्ति की स्थापना करें। अब धूप- दीप से पूजन कर गूग्गल की धूनी दें। फिर काले रंग के एक कोरे कपड़े में एक नारियल बांधकर देवी को अर्पित करें। तत्पश्चात बगलामुखी माला से ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें, प्रतिदिन जाप की संख्या रखें तीन माला की। इस क्रिया को तीन दिनों तक दोहराएं।(४) ओम् ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ओम् नमः” इस मंत्र का जाप करें प्रतिदिन १०८ बार। जाप करने के पश्चात हवन करें और हवन में तिल, मधु तथा घी से आहुति दें, शत्रु आपके वश में हो जाएगा। यह मन्त्र-पाठ आप सात दिनों तक करें।शत्रु स्तंभन के लिए भी इस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है। बस आपको होम के वक्त नमक, हरिताल तथा हल्दी से आहुति देनी पड़ेगी।बगलामुखी शत्रु नाश मंत्र(५) पीला आसन, पीला वस्त्र पहनने के लिए, हल्दी की सत्ताइस गांठ, दो सुपारी, लाल कुमकुम, हल्दी से रंगे हुए पीले रंग के चावल, कनेर के कुछ फूल, एक नारियल, धूप मिट्टी का दीपक, घी, रक्षा सूत्र इत्यादि समान एकत्रित करने के बाद आप नवरात्रा के दिनों में आसन बिछाकर उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं। अपने सामने चौकी पर चावल डालकर मां बगलामुखी के चित्र की स्थापना करें। मां को कुमकुम का टीका लगाए। बगल में सुपारी और एक लोटा पानी रखें। मां को पुष्प अर्पित कर नारियल अर्पित करें। मिट्टी के दीपक में घी डालकर दीपक जलाएं। मां से प्रार्थना कर हाथ में रक्षा सूत्र बांधें। गणेश जी की पूजा करें और गुरु की अर्चना करें। हल्दी की गांठ को पंचामृत से शुद्ध करें और इसे लोटे में डाल कर गए मंत्र का सत्ताइस बार जाप करें। २१ दिनों तक इस साधना को करे। साधनाकालीन समय में ब्रह्मचर्य का पालन करें, सात्विक भोजन ग्रहण करें। दिन में एक बार दही अवश्य लें। साधना की समाप्ति के बाद नारियल को तोड़कर बली दें। लोटे वाला जल हल्दी की गांठ सहित के केले के पेड़ की जड़ डाल दें। मंत्र है– “ओम् पीत पितेश्वरी पीताम्बरा बगला परमेश्वरी एें जिव्हा स्तंभनी ह्लीं शत्रु मर्दनी महाविद्या श्री कनकेश्वरी सनातनी क्रीं घोरा महामाया काल विनाशिनी पर विद्या भक्षणि क्लीं महा मोह दायनी जगत वशिकरणी एे एें ह्लूं ह्लीं श्रां श्रीं क्रां क्रीं क्लां क्लीं पीतेश्वरी भटनेर काली स्वाहा।-बगलामुखी शत्रु मारण मंत्र(६) नमस्ते बगला देवी जिह्वां स्तंभनकारिणीम। भजेहं शत्रु नाशार्थ मदिरा सक्त मानसम्। बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र के इस मंत्र का जाप आप बृहस्पतिवार को अर्धरात्रि में आरंभ करें। इसके लिए सबसे पहले चौकी पर मां की स्थापना कर करें व साथ में एक बगलामुखी यंत्र जो ताम्रपत्र में बना हुआ हो, को स्थापित करें। जल लेकर वातावरण को शुद्ध करें। अब देवी और यंत्र की चंदन से तिलक कर विधि विधान से पूजन अर्चन करें। देवी को अर्पण करने वाली सारी सामग्री पीले रंग की ही रखें अर्थात देवी के वस्त्र, फूल, भोग की मिठाई, स्वयं का वस्त्र, आसन सब पीले रंग के ही हो। अब दीपक कर बगलामुखी कवच का पाठ करें। तत्पश्चात ऊपर दिए गए मंत्र का ३६०० बार जाप करें, आपकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी और फिर शत्रु आपके पास भी नहीं फटक पाएंगे।
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1.
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