कुछ बाते इस से पहले भी तंत्र पर लिख चुका हूँ ! आज फिर से मन मे आया कि कुछ और जानकारी जो है आपसे साझा करूँ और उस पर आप लोगो के विचार जान सकूँ ! तंत्र क्या है ? तंत्र से क्या किया जाना चाहिए ! एक तांत्रिक को कैसा होना चाहिए ! इस विषय पर पहले ही लिख चुका हूँ तो नया क्या लिखने जा रहा हूँ ?
जैसा कि पहले ही बताया था कि किसी किसी सिद्ध पुरुष में ही यह काबलियत होती है , वरना सभी अपने नाम के आगे इस तरह का , जिस से उनके सिद्ध पुरुष होने का अंदाज़ा लगे , या भ्रम हो , उस तरह का सम्बोधन लगा कर , भोली भाली जनता को गुमराह कर रहे हैं ! पुराने समय में चलते फिरते सिद्ध पुरुष किसी को कुछ भी दे देते दे तो काम हो जाता था ! हमारे पुराण इस तरह की कथायो से भरे पड़े हैं ! राजा महाराजा को जब भी कोई मुश्किल आई , तुरंत उनके गुरुदेव ने कुछ ऐसा किया कि समस्या का समाधान हो गया , वो कोई यज्ञ भी हो सकता था, या कुछ ऐसा उनको दिया गया कि समस्या या परेशानी का निधान हो गया !
दरअसल जिन बातों (आभा मण्डल ) को हम नंगी आंखो से नहीं देख पाते , उन्ही को नंगी आंखो से देख लेना ही एक सिद्ध पुरुष के लिए आसान सा बल्कि मामूली सा काम है ! बल्कि उस आभा मण्डल मे जिस ग्रह की ऊर्जा कम है , उस ग्रह की कमी को दूर करना , और वो भी बिलकुल आसान विधि से , इस तरह की महारत होती है एक सिद्ध पुरुष में ! और जिस ग्रह की ऊर्जा ज़्यादा हो उसको कम कैसे किया जाए इस में भी उन्हे महारत होती है ! इस विधि में पूर्ण महारत थी हमारे ऋषि मुनियो में !
इसका सब से बड़ा उदाहरण आपको भगवान कृष्ण के नामकरण संस्कार के समय पर महातपस्वी गर्गाचर्याजी द्वारा गौशाला का चुनाव किया जाना है ! गर्गाचर्याजी ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा और यह भी जाना कि आगे चल कर इस बालक ने गोपियों के संग रास रचाना हैं ! यह बालक शिंगार रस का शौकीन या रसिक होगा ! जो लोग ज्योतिष जानते हैं , उनको मालूम होगा कि रसिक प्रिय लोगो का शुक्र ग्रह अच्छा होना ज़रूरी है ! अर्थात ऐसे लोगो को शुक्र की ऊर्जा , की अवशकता होती है ! तब गर्गाचर्याजी निर्णय लेते हैं कि इस बालक को उस जगह पर लेकर जाया जाए , जहां शुक्र की ऊर्जा आसानी से उपलब्ध हो जाए ! और शुक्र की ऊर्जा वहाँ पर ही ज़्यादा होगी जहां पर गाय हो और जहां एक से ज़्यादा गाय हों , वहाँ पर तो कहना ही क्या , तो गौशाला का चुनाव भगवान कृष्ण मे शुक्र की ऊर्जा बड़ाने के लिए किया गया ! जो बात गर्गाचर्याजी ने जानी क्या भगवान कृष्ण खुद उस बात को नहीं जानते होंगे ? निश्चय ही जानते थे कि आगे चल कर उन्हे क्या करना है , और जो करना है उसके लिए उन्हे शुक्र की ऊर्जा की अवश्यकता है ! इसीलिए उन्होने गौपालन तथा गाय की सेवा को प्रमुखता दी तथा अपना बचपन गायों की सेवा तथा उन्हे जंगल में चराने में बिताया ताकि शुक्र की , ऊर्जा की कमी न हो !
आज भी ज्योतिषी लोग , विध्वान लोग , तांत्रिक लोग जब शुक्र ग्रह परेशानी का कारण बने तो गाय सेवा की सलाह देते हैं ! कहने का भाव यह कि ज्योतिष में और वो भी लाल किताब में ऐसे छोटे छोटे उपाय हैं जिन से ग्रहो से सही फल लेने कि विधि बताई गयी है और वो भी बिलकुल आसान ! आपको शुक्र ग्रह के लिए कोई हीरा धारण करने की जरूरत नहीं बस गाय सेवा ही काफी है ! ऐसे ही दूसरे ग्रहो के लिए भी आपको क्या करना है , बताया गया है ! रत्न भी धारण करें , पुजा पाठ / हवन यज्ञ आदि भी करवाए , लेकिन बेवकूफ न बने !
आज कुछ तथाकथित तांत्रिक या कुछ लोग ज्योतिष के नाम पर लोगो को पुजा / हवन / यज्ञ के नाम पर लाखों का खर्च बता कर , उनसे रकम ऐंठ लेते हैं ! तो क्या इस तरह की पुजा पाठ / हवन / यज्ञ नहीं करवाना चाहिए ? अवश्य करवाए , लेकिन पहले यह तो निश्चय कर लें कि जो व्यक्ति इसको कर रहा है या किसी दूसरे से करवा रहा है , वास्तव में योग्य है या नहीं ! इसमे आपको दोनों का चरित्र देखना होगा , वेश भूषा का महत्व भी होगा , उसके ज्ञान का भी महत्व होगा ! कहने का भाव यह है कि आपको हर तरह से सचेत रहना होगा कि कहीं आपको बेवकूफ तो नहीं बनाया जा रहा !
आपको दुश्मन परेशान कर रहें हैं ! बनते / चलते काम में रुकावटे आ रही हैं ! पैसे फस गए हैं ! सरकार से परेशानी आ रही है ! ज़मीन जायदाद का झगड़ा या कोई और मुश्किल सब का एक ही उपाय ..... हवन या यज्ञ के नाम पर लूटना ! क्या ज्योतिष मे इसके लिए कोई और विधान नहीं है , जिस से समस्या का समाधान हो जाए और लूट से भी बचा जा सके ! बिलकुल समाधान है , आपको किसी अच्छे ज्योतिषी से मिलना होगा या किसी अच्छे कर्म कांडी पंडित विध्वान से ! आपके ज्योतिषी / तांत्रिक ने आपको जो सुझाया , उसके बारे जानकारी अवश्य लें, तुरंत ही ज्योतिषी / तांत्रिक को इस बारे वादा न करके किसी और विध्वान से भी अपनी समस्या का ज़िक्र करके , उसका हल जाने , हो सकता है कि आपकी समस्या का हल आपको सही मिल जाए और आप लूट से बच जाए !
तंत्र में बड़ी ताकत है , यंत्र में बड़ी ताकत है , रत्न में बड़ी ताकत है , पुजा पाठ हवन यज्ञ मे बड़ी ताकत है , शक्ति है , लेकिन आपको इनके नाम पर बेवकूफ बना कर लूटा जा रहा है क्यूंकि हमारे संस्कार ही ऐसे हैं कि हम इन बातों को नकारते नहीं , मानते हैं और हमारी इसी कमजोरी का यह लोग फायदा उठाते हैं ! किसी अच्छे ज्योतिषी / विध्वान का चुनाव करें , ऐसे लोगो से सावधान रहें जिन्हों ने अपने नाम के आगे / पीछे बड़ी बड़ी पदवी या नाम ऐसे रखे हैं जो उनकी विधता को परदर्शित करते हों , दिखावा मात्र करते हों ! क्योंकि ऐसे ऐसे नाम तो हमारे ऋषि मुनियो ने भी नहीं रखे थे , जो यह लोग रख रहे हैं !
ऐसे लोगो को राय ऋषि मुनियो के नाम , या उन जैसे नाम रखने मात्र से उन जैसे गुण नहीं आ जाते , बल्कि उन जैसा चरित्र रखना ज़्यादा अवशयक है , नाम आपका अपने आप बन जाएगा !
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