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दत्तात्रेय मंत्र साधना

दत्तात्रेय मंत्र साधना

क्या दत्तात्रेय मंत्र साधना और दत्तात्रेय वशीकरण मंत्र/शाबर मंत्र का प्रयोग कर किसी कार्य को सफल करना चाहते है? तो उपयोग करे दत्तात्रेय तंत्र साधना का| दत्तात्रेय शिवभक्तों यानि शैवपंथियों के लिए भगवान शिव के अवतार हैं, जबकि वैष्णव समुदाय के लोगों के लिए भगवान विष्णु के अंशावतार माने गए हैं। हालांकि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के स्वरूप हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वे महान ऋषि अत्रि और अनुसूया की संतान हैं, जिनकी उपासान और उनके मंत्रो की साधना से अनेकानेक लाभ और सुख-सौभाग्य की कामना की जा सकती है।                                                                                        
मान्यता और अटूट विश्वास है कि उनकी साधना अत्यंत ही सफल और शीघ्र फलदायी है। वे संकट में पड़े अपने भक्तों की पीड़ा पहचान लेते हैं, उनकी तुरंत सुध लेते हैं और उनको सही मार्ग-दर्शन के साथ समुचित मदद करते हैं। यदि सच्चे मन से, कर्म की प्रधानता को अपनाते हुए और मधुर वाणी के साथ दत्तात्रेय की साधना की जाए तो उन्हें निश्चित तौर पर प्रसन्न किया जा सकता है। वे गुरु वंश के पहले गुरु, साधक और विशिष्ट विद्याओं के ज्ञानवान रहे हैं। यही कारण है कि वे एक महागुरु या महायोगी रूप में भी पूज्य हैं। भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष यानि अगहन माह की चतुर्दशी है। इनके अनुयायिओं के लिए यह दिन शुभ और महत्वपूर्ण होता है वे तीन विशेष मंत्रों से उनकी आराधना करते हैं।
दत्तात्रेय मंत्र-साधनाः भगवान दत्तात्रेय की उपासन के लिए कुछ विशेष मंत्र और स्तोत्र दिए गए हैं। उनके गायत्री और तांत्रोत्क मुख्य हैं, जिनके नियमित जाप पूरे विधि-विधान से करने के तरीके बताए गए हैं। उन मंत्रों को ध्यान लगाकर प्रतिदिन स्फटिक की माला से जाप करना चाहिए, जिससे मानसिक विकास होता है, बौद्धिकता आती है, शत्रु भय दूर होता है, संघर्ष करने का बल मिलता है, समस्याएं दूर कर मनोवांछित लक्ष्य तक पहुंचने की शक्ति व क्षमता हासिल होती है। यह कहें यह अगर संकटनाशक है तो कामनापूर्तिकारक भी। मंत्र हैंः-
  • ऊँ दिगंबराय विद्य्हे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दतः प्रचोदयात!!
  • ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय नमः!!
इनके अलावा ध्यान लगाने के इस का जाप किया जाना चाहिए।
जटाधाराम पाण्डुरंग शूलहस्तं कृपानिधिम,
सर्व रोग हरं देवदत्तात्रेयमहं भज!!
दत्तात्रेय उपासना-साधना विधिः दत्तत्रेय की साधना सरल जरूर है, लेकिन इसके लिए एकाग्रता और सस्वर मंत्र जाप आवश्यक है। उन्हें विनियोग विधि से आवाहन किया जाता है। इसके लिए उनकी प्रतीमा, मूर्ति या फिर यंत्र को एक लाल कपड़े स्थापित कर  असान के निकट एक बर्तन में पानी का बर्तन रखा जाता है। बाएं हाथ में फूल और चावल के कुछ दाने लेकर विनियोग की प्रक्रिया इस मंत्र के साथ शुरू की जाती है।  वह मंत्र हैः-
ऊँ अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषिः अनुष्टुप छंदः,
श्री दत्त परमात्मा देवताःश्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोगः!
इसके जाप के साथ दत्तात्रेय की स्थापित की गई प्रतिमा या मूर्ति पर फूल और चावल सिर झुकाकर अर्पित कर दिया जाता है। उसके बाद दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए जाप के लिए स्तुति की जाती है और पूजा समाप्ति के बाद प्रभावकारी निम्नलिखित स्तोत्र का पाठ किया जाता हैः-
 दत्तात्रेय स्तोत्रः
 दत्तात्रेय स्तोत्र
दत्तात्रेय स्तोत्र

इस स्तोत्र पाठ के बाद ऊँ द्रां का जाप 108 बार करना चाहिए।
दत्तात्रेय वशीकरण प्रयोगः भगवान दत्तात्रेय एक अवतारी हैं, इसलिए उपासना या उनके मंत्रों की साधना तंत्रिक कामन पूर्ति के लिए की जाती है। इसे मोहन प्रयोग आर्थात वशीकरण या सम्मोहन के लिए किया जा सकता है, जो काफी सरल और सहज अचूक है। इससे संबंधित उपाय इस तरह बताए गए हैंः-
तुलसी-बीजचूर्ण तू सहदेव्य रसेन सह,
रवौ यस्तिलकं कुर्यान्मोहयेत् सकलं जगत।
अर्थातः तुलसी के बीज को सहदेवी के रस के साथ पीसकर मिश्रण बनाएं। उसे तिलक कें रूप में ललाट पर लगाएं और वश में किए जाने व्यक्ति के सामने जाएं। ऐसा करने पर वह सम्मोहित हो जाता है। यह प्रयोग कार्यक्षेत्र में वरिष्ठ अधिकारी, जीवनसाथी या प्रिय को वश में करने के लिए किया जा सकता है।
हरितालं चाश्वगंधा पेषयेत् कदलीरसे,
गोरोचनेन संयुक्तं तिलके लोकमाहनम्।
अर्थातः हरताल के साथ असगंध को केले के रस में पीसकर उसमें गोरोचन मिलाकर बनाए गए मिश्रण का तिलक भी सम्मोहन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इससे समूहिक तौर पर सभी में भाषण या देते समय सम्मोहन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस तिलक के प्रभाव से अपनी बात को स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ रखने में मदद मिलती है। इसके साथ ही सिंदूर, केशर और गारोचन के मिश्रण में आंवले के रस के साथ मिलाकर तिलक लगाने से सामने वाले को सम्मोहित किया जा सकता है।
अनामिकाया रक्तेन लिखेन्मंत्र च भूर्जके,
यस्य नाम लिखन्मध्ये मधुमध्ये च निक्षिपेत्।
तेन स्यादाकर्षणं च सिद्धयोग उदाहृतःयस्मै कस्मै न दातव्यं नान्यथा मम भषितम्।
अर्थातः यदि अनामिका के रक्त से भोजपत्र पर मंत्र लिखा जाए ओर शहद में वश में किए जाने वाले व्यक्ति के नाम को लिखकर डूबो दिया जाए, और मंत्र का 108 बार जाप किया जाए तब वह वशीभूत हो जाता है।
दत्तात्रेय शाबर मंत्रः मनोकामना सिद्धी के लिए शबर मंत्रों के उपायोग का खास महत्व है। दत्तात्रेय शाबर मंत्र इन्हीं में से एक है, जो ब्रह्मा, विष्णु समेत दत्तात्रेय का समर्पित है। इसे प्रतिदिन 108 बार जाप करने से मनोवांछित सिद्धि मिलती है तथा आत्मविश्वास में प्रबलता आती है। कार्य करने की क्षमता बढ़ती है इसे अति गोपनीय मंत्र माना गया है, लेकिन इसका कोई भी जाप कर सकता है। वह मंत्र हैः-
ऊँ नमो परमब्रह्म परमात्मने नमः उत्पत्तिस्थिति प्रलयंकराये,
ब्रह्म हरिहराये त्रिगुणात्मने सर्व कौतुकानी दर्शया दर्शय दत्तात्रेय नमः!
मनोकामना सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा!!
दत्तात्रेय सुरक्षा कवचः किसी भी तरह का भय, दुर्घटना की आशंका या असुरक्षा की अज्ञात भावना को दत्तात्रेय कवच के जरिए दूर किया जा सकता है। यह एक तरह की तांत्रिक साधना है, जिसके विधिवत अनुष्ठान करने से एक अद्भुत शक्ति प्राप्त होती है। जाप किया जाने वाला मंत्र हैः-ऊँ द्रां द्रां वज्र कवचाये हुं।।  

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