सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

दुश्मन से छुटकारा पाने के उपाय

दुश्मन से छुटकारा पाने के उपाय

शत्रु नाश टोटका, दुश्मन से बचने के उपाय, शत्रु को परेशान/पीडित करने के टोटके- इस सृष्टि का निर्माण शुभ-अशुभ, अच्छा-बुरा, प्रेम-घृणा जैसे दो विपरीत भावों के योग से हुआ है| इन्हें नियंत्रित कर सृष्टि व्यवस्था में संतुलन स्थापित करने के लिए भी सृष्टि के अपने नियम हैं| समस्या तब आती है जब इंसान व्यक्तिगत स्वार्थ, क्रूर स्वभाव अथवा अकारण किसी को परेशान करने के लिए दूसरों की ज़िंदगी नर्क बना देता है| ऐसा कर के संभवतः उन्हें असीम आनंद की अनुभूति होती है, क्योंऐसे शत्रुओं से निपटने के लिए भारतीय ज्योतिष विद्या व तंत्र विद्या में अनेक उपाय दिये गए हैं| इन उपायों को आजमाने से पूर्व शत्रु की पहचान आवश्यक है| ऐसा न हो कि किसी मासूम पर आप प्रयोग कर बैठें| यदि आपका शत्रु आपको परेशान करने के लिए तंत्र विद्या का सहारा ले रहा है तो वह आप पर मारण, मोहन, उच्चाटन इन तीन विधियों का प्रयोग कर सकता है| तंत्र शक्ति द्वारा मारण का उपयोग जान लेने के लिए, मोहन का उपयोग वशीकरण के लिए तथा उच्चाटन का उपयोग आपस में लड़ाई-झगड़ा करवाने के लिए किया जाता है| इसलिए इन स्थितियों के प्रति सुनिश्चित होते हुए सबसे पहले उससे बचाव का उपाय करना चाहिए, उसके बाद प्रहार की नीति अपनाते हुए उस पर कोई प्रयोग करना उचित होगा|
दुश्मन से बचने के उपाय
  • सबसे पहले नजर उतारने का उपाय करना श्रेयस्कर है, इसके लिए प्याज का सूखा हुआ छिलका, नमक राई और लहसून लेकर जला दें तथा उसके धुएं को शत्रु पीड़ित के सिर पर सात बार घुमा दें| इससे छोटी-मोटी समस्या दूर हो जाएगी|
  • 40 चावल के दानें, 38 सबूत काली उड़द के दानें लेकर एक गड्ढा खोदें तथा और उसमें चावल और उड़द के दानें डालकर गड्ढा भर दें| तत्पश्चात उसके ऊपर नींबू निचोड़ दें| नींबू निचोड़ते समय अपने दुश्मन का नाम लेते रहें| इस उपाय को करने से वह आपको तंग करना बंद कर देगा|
  • जब शौचलय में बैठे हों, वहीं के पानी से भूमि पर शत्रु का नाम लिखें तथा बाहर निकलते समय उसे अपने पैर से तीन बार ठोकर मार दें| यह उपाय तभी करना चाहिए जब कोई अन्य रास्ता न हो|
  • मंगलवार के दिन एक मयूर पंख लें तथा हनुमान मंदिर में हनुमान प्रतिमा से सिंदूर लेकर उस मयूरपंख पर अपने शत्रु का नाम लिखें तथा उसे अपने घर के पूजा स्थल में रात भर रखें| अगले दिन सुबह बिना स्नान किए उस पंख को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें| शत्रु शत्रुता त्याग देगा|
  • बिना किसी कारण परेशान करने वाले शत्रु से निजात पाने के लिए किसी शनिवार की रात सात लौंग लेकर 21 बार शत्रु का नाम लेते हुए उस पर फूँक मारें| अगले दिन उस लौंग को जला दें| यह उपाय निरंतर 7 शनिवार करना जरूरी है|
  • अपने शर्ट की सामने वाली जेब में हनुमान चालीसा रखें| नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करें तथा हनुमान जी को गुड़ अथवा बूंदी का लड्डू प्रसाद में चढ़ाएँ|
  • एक छोटे से कागज के टुकड़े पर अपने शत्रु का नाम लिखें, नाम लिखते समय भैरव मंत्र ‘ओम क्षौं क्षौं भैरवाय स्वाहा! का जाप करते रहें| पुनः उस कागज को शहद की शीशी में डुबाकर ढक्कन बंद कर दें तथा भैरव मंदिर अथवा शनि मंदिर में जाकर गाड़ दें| इससे शत्रु को भरी क्षति का सामना करना पड़ता है|
शत्रु को पीड़ित करने का उपाय
  • अश्विनी नक्षत्र में चार अंगुल लंबी किसी घोड़े की हड्डी लें, तथा ‘ऊँ हुँ हुँ फट्‍ स्वाहा।‘ मंत्र का जाप करें| एक लाख जाप के बाद यह मंत्र सिद्ध हो जाता है| जिस दिन प्रयोग करना हो, वही हड्डी लेकर 21 बार इस मंत्र का जाप करें, फूँक मारें तथा शत्रु के घर के सामने गाड़ दें| शत्रु का विनाश निश्चित है|
  • एक लाख बार ‘. ऊँ डं डां डिं डीं डु डू डें डैं डों डौं डं ड:। अमुकस्य हन स्वाहा। ‘ मंत्र जाप करने से सिद्ध हो जाता है| प्रयोग करते समय चार अंगुल मानव हड्डी लेकर 108 बार इस मंत्र का जाप कर इसे अभिमंत्रित करें तथा श्मशान भूमि में गाड़ दें| शत्रु नष्ट हो जाएगा|
  • एकांत में रात के समय किसी दीवार पर अपने शत्रु का चित्र बनाएँ, श्मशान का जलता कोयला पास में रखें तथा निम्नलिखित मंत्र का जाप 1008 बार करें –
ॐ नमो आदेश गुरु का। हनुमंत बलवन्ता।
माता अंजनी का पूत। हल हलन्ता।
आओ चढ़ चढन्ता। आओ गढ़ किला तोड्न्ता।
आओ लंका जलनता बालनता भस्म क्रंता। आओ ले लागूं लंगूर।
ते लिपटाये सुमिरते पटका। औ चंदी चन्द्रावली भवानी।
मिल गावें मंगलाचार। जीते राम लक्ष्मण।
हनुमान जी आओ। आओ जी तुम आओ।
सात पान का बीड़ा चाबत। मस्तक सिंदूर चढ़ाये आओ।
मंदोदरी सिंहासन डुलाते आओ। यहां आओ हनुमान।
आया जागते नरसिंह। आया आगे भैरों किल्किलाय।
ऊपर हनुमंत गाजै। दुर्जन को फाड़।
अमुक (दुश्मन का नाम ) को मार संहार। हमारे सतगुरु।
हम सतगुरु के बालक। मेरी भक्ति।
गुरु की शक्ति। फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा।

जाप पूर्ण होने के बाद श्मशान का कोयला शत्रु-आकृति के जिस अंग पर रखेंगे, शत्रु का वह अंग जलेगा| इस उपाय को कभी भी दुर्भावना से प्रेरित होकर न करें अन्यथा अनिष्ट की संभावना रहती है|
  • शनिवार या मंगलवार को, चिता भस्म अथवा काजल से छोटे से कागज के टुकड़े पर अपने शत्रु का नाम लिखें और उसको मकड़ी के जाले में लपेट दें| पहले से ही किसी सुनसान जगह पर कीकर या पीपल का पेड़ ढूंढकर रखें| उस पेड़ के नीचे गड्ढा करें| अब एक छोटी सी हांडी में वह कागज, मुट्ठी भर साबुत काली उड़द, मुट्ठी भर चावल रख दें| अब एक नींबू लें, उस पर भी अपने शत्रु का नाम लिखकर उस पर उसकी सांकेतिक आकृति बना दें| शत्रु को स्मरण करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें –
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं विकट भैरवाय मम शत्रून
नाशय नाशय त्रासय त्रासय ताडय ताडय ह्रीं ह्रीं ह्रीं फट।
मंत्र पढ़ते हुए नींबू पर सिंदूर छिड़कते रहें| इसके बाद बारी-बारी से तीन लौंग लें| प्रत्येक लौंग लेते समय 11 बार इस  मंत्र का जाप करें तथा नींबू पर निर्मित आकृति के किसी अंग पर गाड़ दें| शत्रु क आकृति के जिस अंग पर लौंग गाड़ा जाएगा, उसका वह अंग पीड़ित होगा| इस विधि के बाद सभी वस्तु हांडी में डालकर गड्ढे में दबा दें| ऊपर से मिट्टी भी भर दें तथा बिना पीछे मुड़े चुचाप लौट जाएँ|कि दूसरों को दुख देना उनके स्वभाव में होता है|

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बगलामुखी शत्रु विनाशक मारण मंत्र

शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १)  “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और ...

स्तंभन तंत्र प्रयोग:

स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....

मसान सिद्धि साधना

  मसान सिद्धि साधना कोई भी अघोरी तांत्रिक साधक मसान सिद्धि साधना कर प्रयोग कर मसान को जागृत किया जा सकता है|मसान जगाकर कोई साधक तांत्रिक शक्तियों को अर्जित कर सकता है और उसकी सहायता से कई चमत्कार कर सकता है, मसान या श्मशान विधि बहुत ही खतरनाक होती है| यहाँ दी गयी मसान सिद्धि साधना के प्रयोग से आप काले जादू और तांत्रिक साधना में दक्ष हो सकते हैं, अगर आपके अन्दर साहस की कमी है या आपका संकल्प कमज़ोर है तो इस मसान सिद्धि साधना को नही करना चाहिए| मसान जगाने की विधि/मंत्र करने के लिए करने के लिए आपको ये वस्तुएं इकठ्ठा करनी होगी – सरसों का तेल, मिट्टी का तेल, लोभान, 1 बोतल शराब, एक इस्त्र की शीशी और कुछ लौंग, अब आप श्मशान में चले जाएँ और वहां पर दिया जला दें| अब लौभान कपूर आदि जला दें, अब दीये के सम्मुख बैठकर इस मन्त्र का 11 बार माला जाप करें  – ओम नमो आठ खाट की लाकड़ी, मुंज बनी का कावा, मुवा मुर्दा बोले, न बोले तो महावीर की आन, शब्द सांचा, पिंड कांचा, पिंड कांचा, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा|| आप अपने आस पास इस्त्र और शराब छिड़क दें, अगर इस दौरान आपको ...