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प्रेत बाधा से मुक्ति के उपाय

प्रेत बाधा से मुक्ति के उपाय

क्या आप भूत प्रेत बाधा से मुक्ति के उपाय पाना चाहते हो ? प्रेत-पिशाच या भूत-प्रेत को एक बड़ा शिक्षित और संभ्रात वर्ग माने-न-माने, लेकिन अधिकतर लोगों की नजर में यह ऊपरी बाधा बहुत ही नुकसान पहुंचाने और मुसीबतों में झोंक देने वाली होती है। विभिन्न धारणाओं व मान्यताओं के अनुसार मृतात्माएं भूत-प्रेत योनि में शामिल एक अदृश्य ताकतवर शक्ति की तरह हैं। प्रेत का होना मनुष्य की अकाल मृत्यु माना गया है। वैसी आत्माओं के प्रभाव को ही भूत के रूप में अनुभव किया जाता है, जो सामान्यतः नकारात्मकता लिए हुए भयभीत करने जैसा होता है।
अस्वाभाविक या आकस्मिक होने वाली मृत्यु से मनुष्य की आत्मा भटकती रहती है। ये प्रेत-यानि में चली जाती हैं, हालांकि विभिन्न ग्रंथों में इनका पृथ्वी पर निवास स्थान श्मशान, कब्रिस्तान, बंद पड़े पुराने घर, तालाब या नदी के तट, निर्जन स्थान, पुराने बट या पीपल के पेड़, जंगल आदि होते हैं। कई बार सामान्य मनुष्य इनकी चपेट में आ जाता है और वह बुरी तरह से परेशान हो जाता है। तरह-तरह की हरकतें करने लगता है या उसकी तबीयत खराब हो जाती है। चिकित्सीय इलाज और दवाइयां बअसर हो जाती हैं। उसपर होने वाले दूसरे नकारात्मक प्रभावों में बने-बनाए काम का बिगड़ना, अनावश्यक चैंकाने वाली घटनाएं घटित होना, स्वभाव में बदलाव आ जाना भी है।इसके लक्षण और उपायों के बारे मं चरक संहिता में विस्तार से वर्णन किया गया है, तो ज्योतिष के दूसरे ग्रंथों में इसका कारण ज्योतिषीय योग और ग्र्रहों की बिगड़ी चाल व दशा-दिशा बताई गई है। इसी के साथ अथर्ववेद में भूतों या दुष्ट प्रेतात्माओं के भगाने के कई उपाए दिए गए हैं। उन्हीं में से कुछ इस प्रकार महत्वपूर्ण उपाय इस प्रकार हैंः-
नजर उतारनाः भूत-प्रेत की बाधा को दूर करने के लिए शनिवार के दिन नजर उतारने का एक टोटका बहुत ही सरल उपाय है, जिसके करने से समुचित लाभ तुरंत मिलता है। उसके लिए दोपहर में सवा किलो बाजरे का दलिया पका लें। उसमें थोड़ा गुड़ मिला दें। उसे एक मिट्टी की हांडी में रखकर उससे सूर्यास्त के बाद प्रेत से प्रभावित व्यक्ति के पूरे शरीर पर घड़ी की विपरीत दिशा में अर्थात बाएं से दाएं सात बार घुमाते हुए नजर उतारें। लोगों की नजर बचाकर हांडी को किसी सुनसान चैराहे पर रख दें और वापस घर लाटते  समय न तो पीछे मुड़कर देखें और न ही किसी के रास्ते में कोई बात करें।
अभिमंत्रित लाॅकेटः जिस किसी व्यक्ति पर प्रेत की साया हो उसके गले में ओम या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लाॅकेट पहनाएं। इसी के साथ उसके सिर पर चंदन, केसर या भभूत का तिलक लगाएं और हाथ में घर के पूजास्थल या हनुमान मंदिर से लेकर मौली बांध दें। शनिवार और मंगलवार को हनुमान चालिसा का पाठ अवश्य करें।
अभिमंत्रित अंजनः मायावी शक्ति को दूर करने का एक और सरल उपाय अभिमंत्रित अंजन यानि काजल का उपयोग है। ग्रहण काल या होली, दीपावली की रात्री में ‘‘मंत्र ओम नमः श्मशानवासिने भूतादिनां पलायन कुरु कुरु स्वाहा।’’ का 11 माला का जापकर सिद्ध कर लें। उसके बाद इसी मंत्र को 108 बार जाप के साथ लहसुन और हींग को अभिमंत्रित कर लें। उसे पीसकर बनाए गए अर्क का प्रेत-ग्रस्त व्यक्ति की नाक और आंख में सावधानी से लगाएं। इसका प्रभाव तुरंत और अचूक होता है। दुष्ट से दुष्ट प्रेतात्मा शरीर को छोड़कर तुरंत चला जाता है।
सिद्ध ताबीजः अभिमंत्रित ताबीज से भी प्रेत-बाधा को खत्म किया जा सकता है। बहेड़े का साबुत पत्ता या उसकी जड़ लाएं। धूप, दीप और नवैद्य के साथ उसकी विधिवत पूजा करें। उसके बाद 108 बार निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। इस तरह का अनुष्ठान कुल 21 दिनों तक सूर्यादय से पहले करें। जाप किया जाने वाला मंत्र हैः– ओम नमः सर्वभूतधिपत्ये ग्रसग्रस शोषय भैरवी चाजायति स्वाहा।।
जाप की पूर्णाहुति के बाद अभिमंत्रित हो चुके पत्ते या जड़ से प्रेतबाधा दूर करने की एक ताबीज बनाएं। उसे गले में पहनाने से जादूटोना और प्रतबाधा का असर नहीं होता है। यह उपाय विशेषकर बच्चों के लिए किया जाता है।
घर की प्रेत-बाधाः कई बार पूरा घर ही प्रेतात्मा की चपेट में आ जाता है और इससे घर के कई सदस्य अज्ञात परेशानियों से घिर जाते हैं। उसे दूर करने के लिए जलते हुए गोबर के उपले के साथ गुग्गल की धूनी जलाने से प्रेत-बाधा खत्म हो जाती है। परिवार के सभी सदस्य इसके भभूत का तिलक लगाएं। घर को प्रेत-बाधा से मुक्त करने के लिए ओम के प्रतीक का त्रिशूल दरवाजे पर लगाना भी एक अचूक उपाय है।
हनुमत मंत्रः प्रेतात्माओं से छुटकारा पाने या उनसे बचाव के लिए हिंदू शास्त्र में बहुत ही कारगर साबित होने वाला हनुमत मंत्र बताया गया है, जिसका प्रतिदिन कम से कम पांच और अधिक से अधिक 11 या 21 बार जाप करने का अचूक लाभ मिलता है। वह मंत्र हैः-
ओम ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रंू ह्रैं ओम नमो भगवते महाबल पराक्रमाय
भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षिणी-पूतना मारी-महामारी,
यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम् क्षणेन
हन हन भंजय भंजय मारय मारय
शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतारहुं फट् स्वाहा।
इसी के साथ हनुमान चालिसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए। मंगलवार या शनिवार के दिन डर और भय को खत्म करने वाला बजरंग वाण पाठ करंें।
देह-रक्षा मंत्रः ओम नमः वज्र का कोठाजिसमें पिंड हमारा बैठा।
ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला, मेरे आठों धाम का यती हुनुमंत रखवाला।
इसे प्रयोग में लाने से पहले होली, दीपावली या ग्रहण काल में सि़द्ध किया जाता है। उसके बाद प्रेत से ग्रसित व्यक्ति के शरीर पर मंत्र पढ़कर फूंक मारने से उसे प्रेतात्मा से मुक्ति मिल जाती है। इसकी सिद्धि के लिए श्मशान में भौरव की विधि-विधान से पूजा किसी तांत्रिक की देखरेख में की जाती है। पूजा, भोग और बलि जैसे अनुष्ठान के बाद मंत्र का सवा लाख जाप किया जाता है।
प्रेतबाधा निवारण उपाय/मंत्र : भूत-प्रेत बाधा से बचने का एक बहुत ही सरल उपाय की साधना है, जिसे रविपुष्य योग या शनिवार को किया जाता है। इस शुभ घड़ी में उल्लू की दाईं ओर के डैने के कुछ पंख की जरूरत होती है। सूर्योदय से पहले किए जाने वाले अनुष्ठान की शुरूआत से पहले स्नान आदि के बाद पंख को गंगाजल में धोकर पवित्र बना लिया जाता है। पूजन एवं मंत्र जाप के लिए कंबल के आसन पर इस प्रकार से बैठा जाता है ताकि मुंह पूरब की दिशा में हो। दिए गए मंत्र का जाप कर पंख पर फूंक मारा जाता है। इस प्रक्रिया को 2100 बार जाप के साथ किया जाता है। अनुष्ठान की पूर्णहुति के बाद पंख को जलाकर राख को सुरक्षित रख लिया जाता है। उसके बाद आवश्यकता के अनुसार प्रेत बधा से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर 108 बार उसी मंत्र को पढ़कर झाड़ दिया जाता है। इससे भी बात बनती नहीं दिखे तो राख की ताबीज बनाकर वाहं में बांध देने से दुष्ट प्रेतात्मा से मुक्ति सुनिश्चित है। ध्यान रहे ताबीज पुरुष की दाहिनी और स्त्री की बाईं वाहं पर बांधा जाए।
मंत्रः ओम नमः रुद्रायनमः कालिकाये नमः चंचलायै नमः कामाक्ष्यै नमः पक्षिराजाय, नमः लक्ष्मीवाहनाय, भूत-प्रेतादीनां निवारणं कुरु करु ठं ठं ठं स्वाहा।

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