सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वशीकरण होने पर मिलते हैं ये संकेत, यूं तोड़े इसकी काट

ज्योतिष की दृष्टि से वशीकरण में मुहूर्त का सर्वाधिक महत्व है। मुहूर्त के बिना वशीकरण अभिचार कर्म सफल नहीं होता। शस्त्रनुसार सभी षटकर्मों के देवता, दिशा, वार, पात्र, ऋतु, दिशा, नक्षत्र, मण्डल, वर्ण, आसान, माला, न्यास, विनियोग, यंत्र, स्थान, समय और वस्त्र भी अलग अलग हैं। जैसे वशीकरण हेतु उपयुक्त देवता हैं कृष्ण, कामाख्या, तारा, कामदेव, रति आदि। देवता का चयन कार्य पर निर्भर करता है। जैसे के व्यक्ति किसे अपने वश में करना चाहता है किसी प्रेमी को अथवा किसी अधिकारी को। आमतौर पर वशीकरण में स्त्री-पुरूषों अथवा लड़के-लड़कियों को वश में कर लिया जाता है अर्थात् उनकी बुद्धि बांध दी जाती है जिससे वे वही करते हैं जो उन्हे वश में करने वाला कहता है। वश में किया हुआ व्यक्ति अपना भला-बुरा कुछ भी नहीं समझ पाता हैं। वह व्यक्ति समाज और परिवार की मान-मर्यादा को त्याग कर कई गलत कदम उठा लेता हैं।
जानें, किन परिस्थितियों में होता है वशीकरण  
* उत्तर दिशा श्रेष्ठ है। 

* प्रयोग हेतु सोमवार व बुधवार को उपयुक्त बताया गया है। 

* चांदी का पात्र प्रयोग किया जाता है। 

* ग्रीष्म ऋतु का चुनाव करना चाहिए। 

* जल मंडल श्रेष्ठ माना गया है। 

* मंत्र एवं वर्ण बीज जल ही श्रेष्ठ माने गए हैं।

* नक्षत्र निर्भर करता है किस प्रकार का वशीकरण है और किस पर यह प्रयोग किया जा रहा है। न्यास व विनियोग प्रयोग में लिए गए देवता पर निर्भर करता है। 

* ऊनी कंबल आसन श्रेष्ठ है। 

* कमलनाल की माला का प्रयोग होता है।

* यंत्र लेखन में गोरोचन की स्याही का प्रयोग होता है। 

* श्रेष्ठ स्थान है नदी का किनारा।

* उपयुक्त समय महाकाल रात्रि 9 से 1:30 बजे श्रेष्ठ है। 

* गुलाबी या लाल वस्त्र वशीकरण हेतु श्रेष्ठ माने गए हैं। 

इस लेख का उद्देश मात्र पाठकों को शास्त्र अनुसार जानकारी देना है। कोई भी साधना बिना गुरू दीक्षा के पूर्ण नहीं होती। साधना व सिद्धि हेतु गुरु का मार्गदर्शन परम आवश्यक है। 
लक्षण
* दिल और दिमाग पर एक व्यक्ति हावी रहना। हमेशा उसके बारे में सोचते रहना।

* किसी पर विश्वास नहीं अंधविश्वास करना।

* हर समय क्रोध में रहना। बात-बात पर भड़क जाना।

* भय युक्त सपने आना, डर से उठ जाना।

*  आचरण में परिवर्तन आना।

*  अमावस्या अथवा पूर्णिमा के दिन अशांति, तड़प और अधीरता रहना।

यूं तोड़े इसकी काट
* साफ-सुथरा पीला नींबू लेकर सिर से 21 बार वारकर चौराहे पर रख आएं, पीछे मुड़कर न देखें और न मार्ग में किसी से बात करें, सीधे घर आएं।

* आंकड़े का पौधा घर में रोपित करें अथवा उसकी जड़ को गले में बांध लें।

* शुक्ल पक्ष के किसी भी बुधवार को 4 गोमती चक्र अपने सिर के ऊपर से वारकर चारों दिशाओं में फेंक दें। आंखे नीचे करके वापिस आ जाएं, दिशाओं की ओर ध्यान न दें।

* प्रतिदिन घर के बाहर गाय के उपलों को जलाएं। 

* सूर्यास्त के वक्त घर में गुगल का धुआं दें।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बगलामुखी शत्रु विनाशक मारण मंत्र

शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १)  “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और ...

स्तंभन तंत्र प्रयोग:

स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....

मसान सिद्धि साधना

  मसान सिद्धि साधना कोई भी अघोरी तांत्रिक साधक मसान सिद्धि साधना कर प्रयोग कर मसान को जागृत किया जा सकता है|मसान जगाकर कोई साधक तांत्रिक शक्तियों को अर्जित कर सकता है और उसकी सहायता से कई चमत्कार कर सकता है, मसान या श्मशान विधि बहुत ही खतरनाक होती है| यहाँ दी गयी मसान सिद्धि साधना के प्रयोग से आप काले जादू और तांत्रिक साधना में दक्ष हो सकते हैं, अगर आपके अन्दर साहस की कमी है या आपका संकल्प कमज़ोर है तो इस मसान सिद्धि साधना को नही करना चाहिए| मसान जगाने की विधि/मंत्र करने के लिए करने के लिए आपको ये वस्तुएं इकठ्ठा करनी होगी – सरसों का तेल, मिट्टी का तेल, लोभान, 1 बोतल शराब, एक इस्त्र की शीशी और कुछ लौंग, अब आप श्मशान में चले जाएँ और वहां पर दिया जला दें| अब लौभान कपूर आदि जला दें, अब दीये के सम्मुख बैठकर इस मन्त्र का 11 बार माला जाप करें  – ओम नमो आठ खाट की लाकड़ी, मुंज बनी का कावा, मुवा मुर्दा बोले, न बोले तो महावीर की आन, शब्द सांचा, पिंड कांचा, पिंड कांचा, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा|| आप अपने आस पास इस्त्र और शराब छिड़क दें, अगर इस दौरान आपको ...