वशीकरण या सम्मोहन को खत्म करने का उपाय ,” वशीकरण अथवा सम्मोहन विद्या ऐसा हथियार है जिसका सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिणाम इस्तेमाल करने वाले की नीयत पर निर्भर करता है| तंत्र-मंत्र विज्ञान में वर्णित सम्मोहन अथवा वशीकरण विद्या भी लोक कल्याण हेतु ही विकसित किया गया था परंतु इसके गलत इस्तेमाल के कारण लोग वशीकरण ही नहीं तंत्र-मंत्र को भी गलत समझने लगे हैं| छोटी-छोटी समस्याओं के हल के लिए भी लोग वशीकरण का इस्तेमाल कर बैठते हैं जिसका सही उपयोग नहीं है| यदि बहुत ही जरुरी हो तभी वशीकरण मंत्र का प्रयोग करना चाइए| यदि किसी ने आपको वशीभूत कर रखा है और वो आपकी बात नहीं सुन रहा है तो हो सकता है की प्रभावशाली वशीकरण का प्रयोग उस पर हो रखा हो | यदि कोई भी साधक वशीकरण या सम्मोहन को खत्म करना चाहता है तो हमसे सलाह करे और अपने जीवन को सुखद बनाये |एक वशीभूत व्यक्ति क्या सोचता है यह बताना तो कठिन है तथापि कुछ लोगों के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि इस अवस्था में मनुष्य को पता होता है कि वह अपनी मर्जी के विरुद्ध कार्य कर रहा है, परंतु उस पर उसका ज़ोर नहीं है| वशीभूत व्यक्ति को कुछ लक्षणो के आधार पर पहचाना जा सकता है| यदि आपको लगता है कि आपके साथ भी कुछ ऐसा हो रहा है अथवा आपके मित्र, रिश्तेदार या परिवार के किसी सदस्य का व्यवहार एकदम से बदल सा गया है तो सतर्क हो जाएँ, तथा कुछ विशिष्ट लक्षणो को पहचानकर तदनुसार निम्नलिखित निदान करें –
- यदि बात-बात पर क्रोध आता हो(और वह सामान्य स्वभाव में न हो) तो शनिवार के दिन लोबान, राई, काली मिर्च तथा गंधक लेकर हनुमानजी के ऊपर से 7 बार उसार लें, पुनः पीड़ित व्यक्ति के पास कुछ दिन के लिए रख दें तथा बाद में घर से बाहर गाय का उपला जलाकर उसमें उसे जला दें|
- यदि मानसिक अवस्था अस्थिर प्रतीत हो तो गायत्री, जावित्री, केसर तथा गुग्गल का धूप प्रातः काल व संध्या काल निरंतर 21 दिन तक पीड़ित व्यक्ति के घर में जलाएँ तथा धूप के समक्ष उसे बैठाएँ|
- बार-बार बीमार पड़ना भी वशीकरण के प्रभाव में होने का संकेत है| निदानस्वरूप सफ़ेद आक(आंकड़ा) का पौधा पीड़ित के घर में लगाएँ, अथवा इसकी जड़ पीड़ित के गले में ताबीज बनाकर पहना दें|
- वशीकरण के प्रभाव में आने के बाद अक्सर डरावने सपने आते हैं| ऐसी स्थिति में गोरोचन तथा तगर नए लाल कपड़े में बांध लें तथा पीड़ित व्यक्ति के घर में स्थिति पूजा स्थल पर रख दें| प्रतिदिन उसे धूप-दीप दिखाते रहें| इसका आशातीत परिणाम प्राप्त होता है|
वशीकरण का प्रभाव:
- वशीकरण के प्रभाव में आने के पश्चात मनुष्य जिससे वशीभूत होता है उस पर आँख मूँद कर भरोसा करने लगता है क्योंकि उसकी बुद्धि का हरण हो जाता है| यदि ऐसा लक्षण प्रगट हो रहा हो तो एक नींबू पर सिंदूर लगाकर देवी भुवनेश्वरी का ध्यान करें- ॐ ह्रीं ॐ मंत्र की एक माला जाप करें| नींबू पूरे घर में घूमा कर छत पर जाए तथा उसे चार फांक में काट कर चारो फांक चारो दिशा में फेंक दें|
- प्रायः देखा गया है कि वशीभूत व्यक्ति अमास्या तथा पूर्णिमा को बेचैन हो उठता है| यह लक्षण समझ में आते ही घाय का घी, लोबान, गुग्गल तथा पीले सरसो को मिलाकर धूप बनाएँ तथा सूर्यास्त के पश्चात गाय के गोबर से बने उपले की सहायता से पीड़ित व्यक्ति के घर में उसके सम्मुख धूप दें| इसके अतिरिक्त पीड़ित व्यक्ति के घर में अमास्या तथा पूर्णिमा के दिन गंगाजल सिक्त करें|
- किसी परिजन मित्र, रिश्तेदार अथवा पति-पत्नी के बीच अचानक मतभेद होने लगे, तो यह वशीकरण का दुष्प्रभाव हो सकता है, ऐसे में नींबू लेकर उसके ऊपर से 21 बार उसार दें तथा नींबू को चौराहे पर रख दें| पुनः पलटकर उस नींबू को न देखें|
- यदि अचानक बर्ताव बदल जाए अर्थात ऐसा व्यवहार करने लगे लगे जो उसके स्वाभाव में न हो तो चार गोमती चक्र किसी भी बुधवार को उसके ऊपर से 7 बार उसारकर चारो दिशा में फेंक दें|
- रात दिन किसी के ख्यालों में डूबे रहना निसंदेह प्रेम का लक्षण है लेकिन ऐसा ही लक्षण वशीभूत व्यक्ति में भी देखने को मिलता है| दोनों स्थिति में बारीक सा अंतर होता है जो बहुत करीबी ही जान सकता है| इस अंतर को कई दिनों की जांच पड़ताल के बाद समझा जा सकता है| उदाहरण के लिए कोई लड़का निरंतर किसी लड़की को प्रेम प्रस्ताव दे रहा हो और वह ठुकरा रही हो| निकट सहेली को अच्छी तरह पता होता है कि वह उसे क्यों नहीं पसंद कर रही| उस लड़के की कौन सी बात उसे बुरी लगती है अथवा उसके हृदय में उसके लिए प्रेम है ही नहीं| और अचानक अगली सुबह वह उसके गुलामों की तरह बर्ताव करने लगे| दिन रात उसी के बारे मे सोचती रहे| यह संकेत उसके वशीभूत होने का है क्योंकि किसी के बारे में बिना किसी ठोस कारण इस तरह विचार नहीं बदलते| ऐसा ही लड़कों के मामलों में भी हो सकता है| यदि ऐसा कुछ दिखे तो महाकली को 7 गुलाब के फूल अर्पित करें तथा ‘ऋं ह्रीं’ मंत्र का 108 जाप करें| तदुपरान्त किसी एक गुलाब से 7 पत्तियाँ तोड़कर पीड़ित/पीड़िता को खिला दें|
- यदि ऐसे लक्षण स्वयं में नजर आ रहा हो तो नियमित रूप से स्नान के पश्चात 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें|एक वशीभूत व्यक्ति क्या सोचता है यह बताना तो कठिन है तथापि कुछ लोगों के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि इस अवस्था में मनुष्य को पता होता है कि वह अपनी मर्जी के विरुद्ध कार्य कर रहा है, परंतु उस पर उसका ज़ोर नहीं है| वशीभूत व्यक्ति को कुछ लक्षणो के आधार पर पहचाना जा सकता है| यदि आपको लगता है कि आपके साथ भी कुछ ऐसा हो रहा है अथवा आपके मित्र, रिश्तेदार या परिवार के किसी सदस्य का व्यवहार एकदम से बदल सा गया है तो सतर्क हो जाएँ, तथा कुछ विशिष्ट लक्षणो को पहचानकर तदनुसार निम्नलिखित निदान करें –
- यदि बात-बात पर क्रोध आता हो(और वह सामान्य स्वभाव में न हो) तो शनिवार के दिन लोबान, राई, काली मिर्च तथा गंधक लेकर हनुमानजी के ऊपर से 7 बार उसार लें, पुनः पीड़ित व्यक्ति के पास कुछ दिन के लिए रख दें तथा बाद में घर से बाहर गाय का उपला जलाकर उसमें उसे जला दें|
- यदि मानसिक अवस्था अस्थिर प्रतीत हो तो गायत्री, जावित्री, केसर तथा गुग्गल का धूप प्रातः काल व संध्या काल निरंतर 21 दिन तक पीड़ित व्यक्ति के घर में जलाएँ तथा धूप के समक्ष उसे बैठाएँ|
- बार-बार बीमार पड़ना भी वशीकरण के प्रभाव में होने का संकेत है| निदानस्वरूप सफ़ेद आक(आंकड़ा) का पौधा पीड़ित के घर में लगाएँ, अथवा इसकी जड़ पीड़ित के गले में ताबीज बनाकर पहना दें|
- वशीकरण के प्रभाव में आने के बाद अक्सर डरावने सपने आते हैं| ऐसी स्थिति में गोरोचन तथा तगर नए लाल कपड़े में बांध लें तथा पीड़ित व्यक्ति के घर में स्थिति पूजा स्थल पर रख दें| प्रतिदिन उसे धूप-दीप दिखाते रहें| इसका आशातीत परिणाम प्राप्त होता है|
वशीकरण का प्रभाव:- वशीकरण के प्रभाव में आने के पश्चात मनुष्य जिससे वशीभूत होता है उस पर आँख मूँद कर भरोसा करने लगता है क्योंकि उसकी बुद्धि का हरण हो जाता है| यदि ऐसा लक्षण प्रगट हो रहा हो तो एक नींबू पर सिंदूर लगाकर देवी भुवनेश्वरी का ध्यान करें- ॐ ह्रीं ॐ मंत्र की एक माला जाप करें| नींबू पूरे घर में घूमा कर छत पर जाए तथा उसे चार फांक में काट कर चारो फांक चारो दिशा में फेंक दें|
- प्रायः देखा गया है कि वशीभूत व्यक्ति अमास्या तथा पूर्णिमा को बेचैन हो उठता है| यह लक्षण समझ में आते ही घाय का घी, लोबान, गुग्गल तथा पीले सरसो को मिलाकर धूप बनाएँ तथा सूर्यास्त के पश्चात गाय के गोबर से बने उपले की सहायता से पीड़ित व्यक्ति के घर में उसके सम्मुख धूप दें| इसके अतिरिक्त पीड़ित व्यक्ति के घर में अमास्या तथा पूर्णिमा के दिन गंगाजल सिक्त करें|
- किसी परिजन मित्र, रिश्तेदार अथवा पति-पत्नी के बीच अचानक मतभेद होने लगे, तो यह वशीकरण का दुष्प्रभाव हो सकता है, ऐसे में नींबू लेकर उसके ऊपर से 21 बार उसार दें तथा नींबू को चौराहे पर रख दें| पुनः पलटकर उस नींबू को न देखें|
- यदि अचानक बर्ताव बदल जाए अर्थात ऐसा व्यवहार करने लगे लगे जो उसके स्वाभाव में न हो तो चार गोमती चक्र किसी भी बुधवार को उसके ऊपर से 7 बार उसारकर चारो दिशा में फेंक दें|
- रात दिन किसी के ख्यालों में डूबे रहना निसंदेह प्रेम का लक्षण है लेकिन ऐसा ही लक्षण वशीभूत व्यक्ति में भी देखने को मिलता है| दोनों स्थिति में बारीक सा अंतर होता है जो बहुत करीबी ही जान सकता है| इस अंतर को कई दिनों की जांच पड़ताल के बाद समझा जा सकता है| उदाहरण के लिए कोई लड़का निरंतर किसी लड़की को प्रेम प्रस्ताव दे रहा हो और वह ठुकरा रही हो| निकट सहेली को अच्छी तरह पता होता है कि वह उसे क्यों नहीं पसंद कर रही| उस लड़के की कौन सी बात उसे बुरी लगती है अथवा उसके हृदय में उसके लिए प्रेम है ही नहीं| और अचानक अगली सुबह वह उसके गुलामों की तरह बर्ताव करने लगे| दिन रात उसी के बारे मे सोचती रहे| यह संकेत उसके वशीभूत होने का है क्योंकि किसी के बारे में बिना किसी ठोस कारण इस तरह विचार नहीं बदलते| ऐसा ही लड़कों के मामलों में भी हो सकता है| यदि ऐसा कुछ दिखे तो महाकली को 7 गुलाब के फूल अर्पित करें तथा ‘ऋं ह्रीं’ मंत्र का 108 जाप करें| तदुपरान्त किसी एक गुलाब से 7 पत्तियाँ तोड़कर पीड़ित/पीड़िता को खिला दें|
- यदि ऐसे लक्षण स्वयं में नजर आ रहा हो तो नियमित रूप से स्नान के पश्चात 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें|
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