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मसान सिद्धि (हलदिया) साधना

मसान सिद्धि (हलदिया) साधना प्रथम--यह साधना रात्रिकालीन 12 बजे से कृष्णपक्ष की अमावस्या या मंगली,शनि अमावस्या को सिद्ध की जाती है।
यह सिद्धि श्मशान भूमि में बैठकर सिद्ध की जाती है।
यह सिद्धि एक रात की होती है जिसके अन्तर्गत 3 घण्टे का समय  लगता है।
मसान सिद्धि होने के बाद साधक सभी कर्म कर सकता है।
यहाँ साधको की जानकारी हेतु हलदिया मसान सिद्धि का वर्णन कर रहा हूँ जो कलयुग में सिद्ध है और योग्य पात्र को सिद्ध भी करायी जाती है।
सिद्धि की जरूरत वाली सामग्री--
आटे का चौमुखा दिया,इसमे रुई की चार बत्ती अलग अलग बनानी है ,कुछ मूर्ख साधक अल्प ज्ञान के कारण 2 बत्ती को बनाकर उनको क्रॉस में रखकर 4 बत्ती बना देते है,ऐसा नही करना है।
दिए में कड़वा तेल अर्थात सरसो का तेल भर दे या चमेली के तेल भी प्रयोग कर सकते है।।
लोबान की अगरबत्ती जलाये, या पीसे हुये लोबान की धूनी रमाय किसी कुंड में या मिट्टी के बर्तन में।
अब ऐसे चिता की जगह तलाश करे जो दिन में जलाई गई हो,उसका सिर और पैरो का ध्यान रखे।
साधक नहा धोकर श्मशान को प्रणाम करके मन को एकाग्रचित्त करके चिता के पैरों की तरफ सफेद वस्त्र धारण करके कुशासन रखकर उस पर बैठ जाये और चिता के मुख की तरफ दूसरा कुशा सन रखकर बीच मे दिया चौमुखा जलाए। उसके पास तांबे के लोटे में जल रखे,चमेली के फूल या मोगरे के फूल रखे,चमेली या मोगरे का इत्र रखे।
इसके पास एक शराब की बोतल,लौंग, कपूर,कचरी, असगंध,छाड़ छबीली सामग्री भी रखे।
माथे पर हनुमान जी का तिलक लगाएं
सबसे पहले उत्तर दिशा की और मुख करके शरीर पवित्रीकरण, सामग्री पवित्रीकरण करे,उसके बाद वास्तु दोष पूजन करे।दिया,धूप शुरू में ही जला देना है।
अगर चिता की कोई अस्थि हो तो उसके सामने रखे।
मिट्टी के कसोरे में मदिरा भर दे।
फिर गुरुमन्त्र एक माला करे।आंखे बंद करके,फिर भगवान शिव का मन्त्र 1 माला करे।अपना सुरक्षा चक्र खींचे,आसन कीलन मन्त्र बोले,शरीर सुरक्षा मन्त्र बोले।संकल्प ले सिद्धि करके जन कल्याण करेंगे।
फिर मन्त्र जाप बन्द आँखो से शुरू कर दे।एक माला पूरी होने पर तुरुन्त दोनों हाथो से चिता मुख के ऊपर या हड्डी पर एक घूंट दारू गिराय, फूल गिराए, इतर का छीटा भी दे,यह कार्य आंखे खोलकर करना होगा और मन्त्र जाप भी चलता रहेगा,उसके बाद आंखे बंद करके मन्त्र जाप करते रहे।
यह क्रिया आपकी चलती रहेगा हर माला पर।
जब मन्त्र जाप शुरू करेंगे तो श्मसान की सभी भटकती आत्माए आपको दिखाई देंगी,कुछ आत्माए आपसे मालूम करेंगी क्यो आय हो क्या चाहिये,उनको मानसिक रूप से कहना सिद्धि प्राप्त कर मनुष्यों की भलाई करूँगा,,इसी बीच आपको अनेक कंकाल आदि दिखेंगे,किन्तु डरे नही धैर्य रखें मन्त्र जाप करते रहे,और एक बात नोट करें कि पूरे मन्त्र जाप में एक लंबा चौड़ा आदमी आपको दिखाई देगा हाथ मे लकड़ी होगी,और एक मोटा से व्यक्ति।।
जब मन्त्र सिद्ध होगा तब मसान में बंद आँखो में आपको एक प्रकाश पुंज सूर्य की तरह प्रतीत होगा और वहां से आवाज आएगी जाओ इनके साथ,तब हलदिया मसान जाग जाएगा और आपके सामने खड़ा हो जाएगा,उस समय साधक को निर्भय होकर उससे बात करनी चाहिये और वचन लेने चाहिये।
सभी सामग्री चिता को अर्पण करके साधक घर आ जाये।
इस तरह हलदिया मसान सिद्ध हो जाता है।
लेकिन यह सिद्धि उनको ही प्राप्त होगी जो मन के साफ है और किसी का बुरा नही चाहते,
कपटी लालची साधको को सिद्धियां नही मिलती ।
हलदिया मसान से षट कर्म कराने का विधान--जब भी किसी पुरुष अथवा स्त्री का वशीकरण,मोहन,उच्चाटन,झगड़ा,स्तम्भन करना होता है तो बन्द कमरे में मन्त्र जाप करेंगे तो मसान प्रकट होगा और आपसे आपका कार्य मालूम करेगा,उसको आप जितने कार्य है सब बता दो,वह हर कार्य का कुछ भोग लेता है जैसे किसी का वशीकरण करना है तो मदिरा एक कुल्हड़,2 अंडे,2 सिगरेट आदि।
यह सभी सामग्री साधक श्मसान में निर्भय होकर किसी भी जलती चिता पर अर्पण कर सकता है,यह भोग मसान ग्रहण करके आपका कार्य करता है।
मारण नही करना चाहिये साधक को कभी भी किसी का।
कुछ मूर्ख साधक श्मसान में ऐसे ही जाकर मसान जगा देते है,जिससे मसान जाग तो जाता है किंतु चिल्लाहट ,चीखे सुनाई पड़ती हैं,, इसमे साधक की जान को खतरा हो जाता है,उसको कंट्रोल करना भारी पड़ जाता है।
डरपोक साधक यह साधना न करे किसी लालच के वशीभूत होकर।
योग्य गुरु के निर्देशन में ही करे।
यह हलदिया मसान साधना है।
दुरुपयोग न हो साधना का इसलिये मन्त्र विधान नही दिया गया। 

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