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यक्षिणी साधना क्या है ? यक्षिणी साधना के प्रकार व मंत्र

यक्षिणी साधना भी देव साधना के समान ही सकारात्मक शक्ति प्रदान करने वाली है | आज के समय में बहुत ले लोग यक्षिणी साधना को किसी चुड़ैल साधना या दैत्य प्रकर्ति की साधना के रूप में देखते है | किन्तु यह पूर्णरूप रूप से असत्य है | जिस प्रकार हमारे शास्त्रों में 33 देवता होते है उसी प्रकार 8 यक्ष और यक्षिणीयाँ भी होते है | गन्धर्व और यक्ष जाति को देवताओं के समान ही माना गया है जबकि राक्षस और दानव को दैत्य कहा गया है | इसलिए जब कभी भी आप किसी यक्ष या यक्षिणी की साधना करते है तो ये देवताओं की तरह ही प्रसन्न होकर आपको फल प्रदान करती है |यक्षिणी साधना के समय, यक्षिणी साधक के समक्ष एक सुंदर, सौम्य स्त्री के रूप में प्रकट होती है | जिस रूप में व जिस भाव से साधक यक्षिणी की उपासना करता है, उसी रूप में यक्षिणी उसे दर्शन देती है | एक स्त्री के रूप में यक्षिणी साधना – एक माँ के रूप में , प्रेमिका के रूप में , बहन के रूप में  और पुत्री के रूप में की जाती है | उच्च कोटि के बड़े साधक यक्षिणी साधनाको एक माँ के रूप में या पुत्री के रूप में करने की सलाह देते है |

यक्षिणी साधना के प्रकार :-

शास्त्रों में मुख्य रूप से आठ प्रकार की यक्षिणीयों का विवरण मिलता है | जिन्हें अष्ट यक्षिणी साधना भी कहा गया है | जो कि इस प्रकार से है :
1. सुर सुन्दरी यक्षिणी, 2. मनोहारिणी यक्षिणी, 3. कनकावती यक्षिणी, 4. कामेश्वरी यक्षिणी, 5. रतिप्रिया यक्षिणी, 6. पद्मिनी यक्षिणी, 7. नटी यक्षिणी और 8. अनुरागिणी यक्षिणी।

सुर सुन्दरी यक्षिणी  :-

कल्पना के आधार पर सुर सुन्दरी यक्षिणी को सुबसे सुंदर यक्षिणी कहा गया है | इस साधना में सिद्ध प्राप्त होने पर साधक धन-सम्पत्ति और एश्वर्य को प्राप्त करता है | इस यक्षिणी साधना में साधक जिस भाव से और जिस रूप में यक्षिणी की आराधना करता है वह उसे उसी रूप में स्वप्न में आकार दर्शन देती है | जैसे : माँ के रूप में, प्रेमिका के रूप में , पुत्री के रूप में , इनमें से जिस भी रूप में आराधना की जाये, उसी रूप में साधक को यक्षिणी के दर्शन प्राप्त होते है | इस साधना के लिए साधक को इस मंत्र द्वारा साधना करनी चाहिए : ॐ ऐं ह्रीं आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा ||

मनोहारिणी यक्षिणी :-

इस यक्षिणी साधना में साधक को सम्मोहन शक्ति की प्राप्ति होती है | इस साधना में सफलता प्राप्त करने पर साधक में ऐसी शक्तियां आती है जिसके बल पर वह किसी को भी अपने वश में कर सकता है | इसके साथ ही साधक धन आदि से परिपूर्ण होता है | मनोहारिणी यक्षिणी साधना मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारी स्वाहा  ||

कनकावती यक्षिणी :-

कनकावती यक्षिणी साधना/Yakshini Sadhana में सफल होने पर साधक इनता तेजस्वी हो जाता है कि वह अपने विरोधी को भी अपने वश में कर सकता है | इसमें सफल होने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है | कनकावती यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं हूं रक्ष कर्मणि आगच्छ कनकावती स्वाहा ||

कामेश्वरी यक्षिणी : –

इस साधना में साधक को पौरुष शक्ति प्राप्त होती है | पत्नी सुख की कामना करने पर यक्षिणी साक्षात् पत्नीवत रूप में उपस्थित होकर साधक की इच्छा पूर्ण करती है | इस यक्षिणी की विशेषता यह भी है कि हर वस्तु को प्राप्त करने में यह साधक की सहायता करती है | कामेश्वरी मंत्र : ॐ क्रीं कामेश्वरी वश्य प्रियाय क्रीं ॐ  || 

रति प्रिया यक्षिणी :-

इस साधना में साधक को सौंदर्य की प्राप्ति होती है | साधक को हर समय प्रसन्नता रहती है | रति प्रिया यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ रति प्रिया स्वाहा ॥

पदमिनी यक्षिणी :-

इस साधना में साधक को आत्मविश्वास और आत्मबल की प्राप्ति होती है | ऐसा साधक मानसिक रूप से प्रबल बनता है | हर परिस्थितियों में साधक को डटकर खड़े रहने में उसकी सहायता करती है | पदमिनी यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ रति प्रिया स्वाहा ॥

नटी यक्षिणी :-

इस साधना में सफल होने पर यक्षिणी साधक की हर विकट परिस्थिति में सहायता करती है | हर प्रकार की दुर्घटना से उसकी रक्षा करती है | नटी यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ नटी स्वाहा ॥

अनुरागिनी यक्षिणी :-

इस साधना में सफल होने पर यह यक्षिणी हर प्रकार से साधक को संतुष्ट करती है | धन, मान-सम्मान व अन्य सभी सुखों से साधक को लाभान्वित करती है | साधक की कामना पर यह उसके साथ रास-उल्लास भी करती है | अनुरागिनी यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं अनुरागिणी आगच्छ स्वाहा ॥

यक्षिणी साधना करते समय ध्यान देने योग्य : –

यक्षिणी साधना अन्य सभी तंत्र साधनाओं की अपेक्षा थोड़ी कठिन है | इसमें साधक को शारीरिक व मानसिक रूप से क्षति पहुँच सकती है | साधना के दौरान साधक को भोग और वासना के माध्यम से भटकाने के प्रयास किये जा सकते है | कुछ डरावनी अनुभूति भी हो सकती है | इसलिए यक्षिणी साधना के लिए सबसे जरुरी नियम है कि इसे किसी योग्य गुरु की देख-रेख में संपन्न किया जाये | बिना गुरु के सिर्फ किताबों के सहारे इस साधना को करना, आपको किसी बड़ी मुशीबत में डाल सकता है |

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