बीर कंकड़
जय माँ......
तंत्र मात्र वो नही है जो हम देख रहे है। साधना,प्रयोग,उपाय आदि से भी कहि ऊपर है तंत्र। वास्तव में तंत्र बहुत दूर की कौड़ी है। इसमे शक्ति चलती है। काम होता है और कौतुक दर्शन होता है।
हमेशा से मैं एक शब्द कहता हु.......ऊर्जा
हर प्रयोग,साधना के पीछे एक ऊर्जा होती है जो कार्य करती है। ज़्यादातर हम प्रयोग या साधना के बारे में बात करते है किन्तु उसके पीछे की ऊर्जा की और किसी का ध्यान नही जाता। आज हम एक ऐसी ही उर्जा की बात करेगे।
" वशीकरण" ये शब्द कितना अच्छा लगता है ना
पर इसका मतलब सभी के लिए अलग अलग होता है।
जब मैंने ग्रुप में लिखना शुरू किया तो बार बार यही देखने को मिला की लोग वशीकरण का अर्थ सिर्फ अपनी वासना पूर्ति के लिए ले रहे है। आज भी अनेको के सन्देश प्राप्त होते है की अमुक का वशीकरण करना है, विधि बता दो। तब मैंने यही सोचा था की अपने ग्रुप को इस शब्द से हमेशा दूर रखूँगा और मैंने रखा भी है। ये बात अलग है की किसी के घरेलू मामलो में जैसे की सास -बहु में, पिता पुत्र में आदि रिश्तो में यदि कभी वशीकरण की आवश्यकता पड़ी तो ऐसे उपाय अवश्य दूंगा जो की दिए भी है। परंतु, अकारण कभी नही
आज की पोस्ट तंत्र के चमत्कार से परिपूर्ण है। "बीर कंकड़" एक ऐसी शक्ति है जो किसी का भी वशीकरण कर सकती है। तो जानिये की क्या होता है इस साधना में
जो लोग तंत्र को ठीक तरह से जानते है उन्होंने वीर का नाम अवश्य सुना होगा। 64 जोगिनी की तरह ही 52 वीर होते है।कुछ साधक इन्हे अपने अधीन करके कार्य सिद्ध करते है। वीर एक शमशान की शक्ति है,जो बड़ी उग्र एवम् ताकतवर होती है। अन्य भाषा में आप इसे श्मसान का मुर्दा कह सकते है,जिसमे प्राण फुक कर अपने अधीन किया जाता है और फिर आजीवन ये आपके लिए एक दास की तरह कार्य करता है जो भी आप इसे बोलो। इसी तरह से कुछ दिनों की जटिल श्मशानी क्रिया के बाद एक वीर को एक कंकड़ में स्थापित कर दिया जाता है। या यूँ कहे की क़ैद कर दिया जाता है। इसके बाद ये वीर मात्र छोटी सी क्रिया के बाद आपके लिए किसी का भी वशीकरण कर सकता है। और इसके द्वारा किये गए वशीकरण को सिर्फ गुरु पद पर आसीन उच्च कोटि के साधक ही तोड़ सकते है,सामान्य की तो बात ही क्या है।
ये जानकारी पूर्ण होती है वीर कंकड़ की। अब कुछ लोग सोचेगे की साधना बता देते तो अच्छा होता। तो इसके लिए में अपना एक अनुभव बता रहा हु।
लगभग 3 साल पहले मेरे एक परिचित ने किसी से कोई साधना करवाई जो की कुछ कुछ ईसी तरह की थी। कर्ता ने कुछ चूक कर दी जो की होती ही है। न उन्होंने स्वयं की सुरक्षा की और न परिचित से पूर्ण मार्गदर्शन लिया।
बैठ गए साधना करने, कुछ समय बाद जब शक्ति का आगमन हुआ तो व्ही हुआ जो नव साधको के साथ होता है। श्रीमान अपना आसान छोड़ कर भाग छुटे और उनके प्राणों पर संकट आ गया। स्थिती यहाँ तक आ गयी की उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा और कुछ दिनों के उपरांत वे मृत्यु को प्राप्त हुए। इनके घर वालो ने पुलिस को बयान दिया की मेरे परिचित के कहने पर उन्होंने प्रयोग किया, नतीजन उन्हें जेल जाना पड़ा। मुझे सारी बातो का पता 1 माह बाद पता चला। तब पुरे मामले में ह्क्तक्षेप किया और वे छुट पाये।
तब से मैंने यही सोचा की किसी अनाड़ी को कभी कोई ऐसे प्रयोग आदि नही दूंगा। ऐसे प्रयोग हर किसी को देना बन्दर के हाथ में उस्तरा थमाने जैसा है।
इसके पीछे मेरी भावना स्वयं के डर को लेकर नही है। मेरे गुरु और भगवती के आशिर्वाद से मैं "निर्भय" हु। किन्तु मुझे चिंता होती है उन साधको की जो अपनी स्थ्ति को न समझ कर अपने प्राणों पर संकट उत्पन्न कर लेते है और उनके कारण उनके परिवारजनो को भी कष्ठ होता है।
वीर कंकड़ में एक गोपनीय सूत्र ये भी है की ये सारी क्रिया के मध्य "वज्र कड़ा" पहने रहना आवश्यक है। अन्यथा वीर पलट कर हमला कर देता है। आप ही सोचिये की एक स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाली शक्ति को आप एक छोटे से कंकड़ में कैद कर रहे है तो प्रतिकार का अधिकारी तो वीर भी है।
आज के लेख के पीछे मेरा कारण आपको तंत्र के इस मार्ग से भी परिचित करवाना था। साथ ही ये बताना की किसी योग्य साधक के निर्देशन में ही बड़ी क्रियाएँ करे।
यदि किसी को ये वीर चाहिए तो मुझसे सम्पर्क कर सकता है। सदपात्र, को भगवती आज्ञानुसार वीर दे दिया जायेगा।
सभी सुखी रहे।
एक विलक्षण पोस्ट के साथ शीघ्र मिलेगे,अभी के लिए आज्ञा
कृपया ध्यान देवे:
किसी को भी ये बीर साधना नही दी जायेगी, क्यों की मेरे पास इतना समय है नही की सभी को अलग अलग जगह पर बीर सिद्ध करवा सकु।
हा, समय आने पर कंकड़ जरूर मुझसे प्राप्त किया जा सकता है जिसमे बीर सिद्ध है,क़ैद है। कंकड़ प्राप्ति के बाद मात्र आपको घर पर छोटी सी क्रिया करनी होती है जिससे आप किसी का भी वशीकरण कर पायेगे।
अतः मुझसे कंकड़ के लिए सम्पर्क करे, साधना के लिए। साधना के मध्य वैसा कुछ हो सकता है जैसा मैंने ऊपर लिखा
इसलिए साधना पर जोर न देवे। 7737934285
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें