अभी तक हम कई ऐसी साधनाओ के बारे में पढ़ चुके है जो शैतानी और सात्विक दोनों रूप में की जा सकती है। इंद्रजाल में अगिया बेताल का जिक्र किया गया है जो बेहद प्रभावी है। वीर बेताल साधना तंत्र साधना के अंदर आती है इसलिए किसी योग्य गुरु के निर्देशन में ही की जानी चाहिए।वीरों के विषय में सर्वप्रथम पृथ्वीराज रासो में उल्लेख है। वहां इनकी संख्या 52 बताई गई है। इन्हें भैरवी के अनुयायी या भैरव का गण कहा गया है। इन्हें देव और धर्मरक्षक भी कहा गया है। मूलत: ये सभी कालिका माता के दूत हैं। उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब आदि प्रांतों में कई वीरों की मंदिरों में अन्य देवी और देवताओं के साथ प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। राजस्थान में जाहर वीर, नाहर वीर, वीर तेजाजी महाराज आदि के नाम प्रसिद्ध हैं।
शाबर मंत्र शाबर मंत्रो की रचना नवनाथ द्वारा की गई। इसके पहले रचियता भगवन गोरखनाथ थे इसके बाद आने वाले नाथ सम्प्रदाय के गुरु ने इनका विस्तार किया। शाबर मंत्र जप में सरल और जल्दी फल देने वाले होते है। वैदिक मंत्रो का जाप और विधान जितना कठिन है शाबर मन्त्र उतने ही सरल इसीलिए आज के समय में शाबर मन्त्र को ज्यादा महत्व दिया जाने लगा है क्यों की एक और जहा वैदिक मंत्र बिना गुरु के फलित नहीं होते कोई भी सिद्ध कर सकता है। वीर वैताल एक ऐसी साधना है जो साधक को सभी रूप से बलशाली बनाती है। वेताल का साधक कभी किसी चीज से वंचित नहीं रहता हैक्या सही हवास्तव में वैताल साधना अत्यन्त सौम्य और सरल साधना है, जो भगवान शिव की साधना करता है वह वैताल साधना भी सम्पन्न कर सकता है। जिस प्रकार से भगवान शिव का सौम्य स्वरूप है, उसी प्रकार से वैताल का भी आकर्षक और सौम्य स्वरूप है। इस साधना को पुरुष या स्त्री सभी सम्पन्न कर सकते हैं। यद्यपि यह तांत्रिक साधना है, परन्तु इसमें किसी प्रकार का दोष या वर्जना नहीं है। गायत्री उपासक या देव उपासक, किसी भी वर्ण का कोई भी व्यक्ति इस साधना को सम्पन्न कर अपने जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकता है। सबसे बड़ी बात यह है, कि इस साधना में भयभीत होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, घर में बैठकर के भी यह साधना सम्पन्न की जा सकती है।
साधना सम्पन्न करने के बाद भी साधक के जीवन में किसी प्रकार अन्तर नहीं आता, अपितु उसमें साहस और चेहरे पर तेजस्विता आ जाती है, फलस्वरूप वह जीवन में स्वयं ही अपने अभावों, कष्टों और बाधाओं को दूर कर सकता है। आज के युग में वैताल साधना अत्यन्त आवश्यक और महत्वपूर्ण हो गई है, दुर्भाग्य की बात यह है कि अभी तक इस साधना का प्रामाणिक ज्ञान बहुत ही कम लोगों को था, दूसरे साधक ‘वैताल’ शब्द से ही घबराते थे, परन्तु ऐसी कोई बात नहीं है। जिस प्रकार से साधक लक्ष्मी, विष्णु या शिव आदि की साधना सम्पन्न कर लेते हैं, ठीक उसी प्रकार के सहज भाव से वे वैताल साधना भी सम्पन्न कर सकते हैं।
मंत्र को जाग्रत रखना बेहद जरुरी :
आज सभी साधना में सबसे पहले ये देखते है की ये साधना कितने दिन में सिद्ध होगी, ये नहीं देखते की इसे जाग्रत रखने के लिए समय समय पर इसे दोहराना बेहद जरुरी है। त्राटक, ध्यान या फिर कोई भी तंत्र मंत्र से जुडी साधना एक बार जाग्रत करने के बाद एक समय तक ही पुष्ट रहती है। खास मौको पर इन साधनाओ को दोहराना इन्हे जाग्रत रखता है।एक साधक चाहे जो भी साधना करता हो समय समय पर उन साधना से जुड़ी वस्तुओ को प्राण प्रतष्ठित करना जरुरी है जिससे उनमे ऊर्जा बनी रहती है।
लाभ
वीर वेताल साधना तंत्र की अन्य साधनाओ जैसी ही है जिनसे साधक को अद्भुत अनुभव होते है। वीर बेताल की साधना के बाद साधक को निम्न लाभ मिलते है।
- वीर वेताल साधना सरल और सौम्य है इसलिए भयभीत होने की जरुरत नहीं है। इस साधना से मनुष्य की सरल और सौम्य प्रकृति के रूप में वैताल की उत्पति होती है जो एक सेवक की तरह साधक के साथ जुड़ा रहता है।
- अगर साधक को सिद्ध कर लेता है तो किसी भी तरह के अस्त्र शस्त्र या अकाल मृत्यु से साधक को कोई भय नहीं रहता है क्यों की पल पल एक परछाई की तरह वीर आपके साथ रहता है और आपकी रक्षा करता है।
- ऐसा साधक हमेशा निर्भय विचरण करता है ओर उसे किसी का भी भय नहीं रहता।
- माना जाता है की वैताल भविष्य देख सकता है और जो व्यक्ति वैताल सम्पन होता है वो सही मायने में भविष्य देख सकता है।
- वैताल कुछ शक्तियों में जिन्नात की तरह ही है जैसे की पल भर में समय की दुरी तय करना, किसी को भी अपने पास बुलाना और कुछ भी हासिल कर लेना।
- जो व्यक्ति संपन होता है उसमे कई लोगो के जितना बल होता है और उसके लिए कोई भी काम मुश्किल या असंभव नहीं रहता है।
साधना के बाद बेताल की शर्त को महत्व देना चाहिए या नहीं ये निर्भर करता है की आप किस तरह के बेताल की साधना कर रहे है। इसलिए जब साधना करे तो पूर्ण जानकारी जुटा ले।
भैरव वीर और वैताल है एक :
भगवान महादेव ने सती के वियोग में दक्ष के संहार के लिए जिस वीर-भद्र का आवाहन किया था वो भी एक वीर या वैताल ही था। ये एक मानसिक साधना होती है जिसमे साधक की ऊर्जा का अंश एक रूप लेता है। कुल 52 भैरव का जिक्र है जो 52 शक्तिपीठ के रक्षक है। इनमे महाकाल के भैरव सबसे ज्यादा फेमस है और इनका प्रमाण आप देख भी सकते है।
किसे करनी चाहिए
जो व्यक्ति तंत्र मंत्र की जानकारी रखता है और शमसान साधना को कर सकता है या फिर जिसने मसान जगाया हो इस साधना को आसानी से कर सकता है। चूँकि शाबर तंत्र भी तंत्र का ही एक हिस्सा है इसलिए आपको साधना करने से पहले तंत्र की बेसिक जानकारी और गूढ़ सांकेतिक शब्दों का रहस्य पता होना चाहिए।
वीर वेताल साधना की शर्ते
इस साधना को हालाँकि आसानी से किया जा सकता है लेकिन इसकी कुछ शर्ते है इसलिए अगर आप इस साधना को करना चाहते है तो इन बातो का ध्यान रखे और खुद की जाँच जरूर कर ले।
- साधक को निर्भय होना चाहिए क्यों की तंत्र में कई ऐसी घटना और अनुभव साधना के सम्पन होने से पहले होते है जो साधक को भयभीत कर सकते है।
- आपको साधना में सुरक्षा कवच बनाना आना चाहिए क्यों की बाहरी ताकतो से हमें सिर्फ सुरक्षा कवच ही बचा सकता है।
- तंत्र की बेसिक जानकारी और इसके गूढ़ शब्दों के रहस्य आपको पता होना चाहिए क्यों की कई बार ऐसी साधना इन्ही शब्दों से पूरी होती है और बैताल जो शर्ते रखते है वो गूढ़ शब्दों में होती है अगर आपको सही ज्ञान नहीं होगा तो आप उनके जाल में फंस सकते है।
तंत्र विधान सम्पन होने के बाद भी समय समय पर आपको इन्हे जाग्रत रखने की आवश्यकता होती है इसलिए साधना से जुड़ी सभी चीजों को टाइम पर जाग्रत करते रहे ताकि शक्ति बनी रहे।
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