सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कुण्डलिनी जागरण साधना तरीका

कुण्डलिनी जागरण साधना  तरीका

कोई भी साधक कुण्डलिनी जागरण साधना करना चाहता है तो इसके लिए आवयश्क मंत्र तरीका विधि कुण्डलिनी कैसे जगाये और इसके क्या लक्षण होते के बारे पर्याप्त मार्गदर्शन के बाद ही प्रयोग करे| मनुष्य की कुण्डलिनी उसके मूलाधार चक्र में साढ़े 3 फेरे लेकर उपस्थित रहती है. ये जब जागृत होती है तो ऊपर की तरफ गति करने लगती है| अध्यात्म और योग में कुण्डलिनी जागरण साधना थोड़ी जटिल और कष्टदायी है, आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर चलने वाले साधकों की कुंडलिनी सहज रूप से जाग्रत हो जाती है| लेकिन योग साधना और आध्यात्मिक विधियों में कुंडलिनी जागरण की विशिष्ट विधियाँ भी हैं| कुंडलिनी का जागरण बहुत ही विस्फोटक असर पैदा करता है इसलिए कुण्डलिनी जागरण साधना करने वाले व्यक्ति को विशेष सावधानी रखने की ज़रूरत होती है|कुण्डलिनी जागरण साधना करने वाले साधकों को कुंडलिनी जागरण के प्रभावों के बारे में स्पष्ट समझ होना ज़रूरी है| कुण्डलिनी आत्मा और शरीर के बीच बफ़र का काम करती है| कुण्डलिनी की वजह से शरीर को होने वाले कोई भी अनुभव आत्मा तक नही पहुँच पाते, प्रकृति ने कुण्डलिनी को एक विशेष उद्देश्य के लिए निर्मित किया है| इसलिए इसको जागते समय विशेष सावधानी और किसी सिद्ध पुरुष का सानिध्य आवश्यक है|
कुण्डलिनी जाग्रत होने पर साधक को अद्भुत अनुभव होने लगते हैं और विशेष सिद्धियाँ भी प्राप्त होने लगती हैं, कुण्डलिनी के जाग्रत होने पर साधक पानी पर चलने जैसे चमत्कार भी कर सकता है| इसके अलावा जिस व्यक्ति की कुण्डलिनी जाग्रत हो जाती है वह दूसरे के विचारों को भी पढ़ सकता है| जब साधक की कुण्डलिनी जागृत होती है तो उसके मूलाधार चक्र में कम्पन होने लगता है और वहां से सर्पिलाकार तरंगे उठने लगती हैं| साधक को एक से अधिक शरीर होने का आभास होने लगता है, कुण्डलिनी के जाग्रत होने पर अद्भुत आध्यात्मिक लाभ होने लगते हैं| जिन साधकों की कुण्डलिनी जागृत हो जाती है उन्हें अपूर्व स्वास्थ्य लाभ होने लगता है, उनके चेहरे पर अलग ही आभा दिखाई देने लगती है|
कुण्डलिनी को जागृत/जागरण कैसे करें/विधि/उपाय:-
अगर आप जानना चाहते हैं कि कुण्डलिनी को जागृत कैसे करें तो यहाँ दी गयी कुण्डलिनी जागरण की विधि का अनुसरण करें| कुण्डलिनी जागरण साधना में जोखिम होने के कारण गुरुओं से इसे गुप्त रखने का प्रयास किया है| योग क्रिया के अंतर्गत कुण्डलिनी के जागरण की सबसे सरल विधि दी गयी है| कोई भी साधक जो कुण्डलिनी का जागरण करना चाहता है उसे किसी गुरु के मार्गदर्शन में ही ऐसा करना चाहिए| गुरु या सिद्ध योगी की अनुपस्थिति में किया गया प्रयास आपके लिए हानिकारक हो सकता है| ध्यान की विधियों के अंतर्गत कुण्डलिनी का जागरण किया जा सकता है| जो साधक ध्यान की विधियों का नियमित अभ्यास करते हैं उनके लिए इस विधि से कुण्डलिनी जागरण सुगम हो जाता है|
कुंडलिनी को जाग्रत करने के लिए शरीर के चक्रों पर ध्यान केन्द्रित करना होता है, मूलाधार चक्र से लेकर सहस्रार चक्र तक ध्यान करने से कुंडलिनी का जागरण संभव हो जाता है| कुण्डलिनी जागरण साधना में सात चक्रों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, मूलाधार चक्र पर ध्यान केन्द्रित करने से यह जाग्रत हो जाता है और इस चक्र से सम्बंधित विकार शरीर से दूर होने लगते हैं| इस चक्र की जाग्रति पर साधक निर्भीक और आनंदित रहने लगता है, इस चक्र पर ध्यान करते हुए साधक को ‘लं’ इस मन्त्र का जप करना चाहिए|
मूलाधार चक्र के ऊपर स्वधिष्ठान चक्र होता है इस पर ध्यान लगाने के लिए ‘वं’ इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है, इस चक्र के जाग्रत होने पर सभी दुर्गुण समाप्त हो जाते हैं और साधक को विशेष सिद्धि प्राप्त होती है| मनुष्य की नाभि के पास मणिपुर चक्र होता है, इस चक्र पर ध्यान केंद्रित हुए मन्त्र ‘रं’ का उच्चारण करें| इस चक्र की जागृति होने पर साधक के भीतर आत्मशक्ति बढ़ जाती है|
मनुष्य के शरीर में चौथा चक्र अनाहत चक्र होता है, इस चक्र पर ध्यान करते हुए ‘यं’ इस मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए| रात्रि सोते समय इस चक्र का ध्यान करना चाहिए| ये चक्र ह्रदय के स्थान के पास होता है, यहाँ ध्यान लगाने से साधक की रचनात्मकता की वृद्धि हो जाती है| इसके बाद पांचवा चक्र विशुद्ध चक्र होता है, ये चक्र कंठ के पास स्थित होता है| इस चक्र पर माँ सरस्वती का वास होता है, इस चक्र के जागृत होने पर सोलह कलाओं का ज्ञान हो जाता है| इस चक्र को जाग्रत करने के लिए कंठ पर ध्यान केन्द्रित करते हुए ‘हं’ इस मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए|
इसके बाद मनुष्य के शरीर में छटवां चक्र होता है उसे आज्ञा चक्र कहते हैं, आज्ञा चक्र के जागने से व्यक्ति बहुत ज्ञानी हो जाता है| आज्ञा चक्र के जागने से आध्यात्मिक विकास बहुत तेज़ गति से होता है| आज्ञा चक्र को जगाने के लिए दोनों आँखों के बीच भ्रकुटी के मध्य ध्यान करते हुए ‘ॐ’ का ध्यान करना चाहिए, इस चक्र पर ध्यान करने से बहुत सारी सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं| कुंडलिनी जागरण साधना के अंतर्गत अंतिम चक्र सहस्रार चक्र होता है|
जब मनुष्य के विद्दयुत शरीर की शक्तियां मूलाधार से उठकर सुषुम्ना नाड़ी से बहती हुई सहस्रार तक पहुँच जाती है तो साधक बुद्धत्व को प्राप्त हो जाता है| सहस्रार चक्र मनुष्य के सिर के ऊपर चोटी के स्थान पर स्थित होता है, जब मनुष्य के शरीर की ऊर्जा गति करके सहस्रार तक पहुँच जाती है तो वह परम शक्ति में विलीन होने की स्थिति तक पहुँच जाता है| इस अंतिम चक्र के जागृत होने पर मनुष्य सांसारिक चक्र से मुक्त हो जाता है, ऐसे सिद्ध पुरुष के मस्तिष्क के चारों तरफ एक आभा मंडल निर्मित हो जाता है|
कुण्डलिनी जागरण साधना:-
जब कुण्डलिनी जागरण साधना से किसी साधक की कुण्डलिनी जागृत हो जाती है तो उसे बहुत ज्यादा ऊर्जा प्राप्त हो जाती है, कुण्डलिनी के जागृत होने होने वाले अनुभव कभी-कभी भयभीत कर देने वाले भी होते हैं, जैसे कभी-कभी साधक को लगता है कि उसके एक से ज्यादा शरीर हैं और उनका भी उसी की तरह अलग अस्तित्व है| कुण्डलिनी जागरण साधना के दौरान को दूसरे शरीर का बोध होता है वह मनुष्य का सूक्ष्म शरीर होता है, इस शरीर को विद्युत शरीर भी कहते हैं| यौगिक प्रक्रियाओं में कुण्डलिनी को जागृत करने के लिए कई विधियाँ है, इस कुण्डलिनी जागरण साधना में किसी भी तरह से मूलाधार चक्र पर स्थित समस्त ऊर्जा को उर्ध्वगामी करके सहस्रार चक्र तक पहुँचाना होता है| मूलाधार पर ये सुषुप्त होती है लेकिन सहस्रार पर पहुंचकर से अद्भुत प्रभाव पैदा करने लगती है|
कोई साधक हठ योग या राज रोग के प्रयोग से कुण्डलिनी को जागने का उपाय कर सकता है, लेकिन इस तरह का प्रयोग करते समय बहुत अधिक सावधानी रखना बहुत ज़रूरी है|

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बगलामुखी शत्रु विनाशक मारण मंत्र

शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १)  “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और ...

स्तंभन तंत्र प्रयोग:

स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....

मसान सिद्धि साधना

  मसान सिद्धि साधना कोई भी अघोरी तांत्रिक साधक मसान सिद्धि साधना कर प्रयोग कर मसान को जागृत किया जा सकता है|मसान जगाकर कोई साधक तांत्रिक शक्तियों को अर्जित कर सकता है और उसकी सहायता से कई चमत्कार कर सकता है, मसान या श्मशान विधि बहुत ही खतरनाक होती है| यहाँ दी गयी मसान सिद्धि साधना के प्रयोग से आप काले जादू और तांत्रिक साधना में दक्ष हो सकते हैं, अगर आपके अन्दर साहस की कमी है या आपका संकल्प कमज़ोर है तो इस मसान सिद्धि साधना को नही करना चाहिए| मसान जगाने की विधि/मंत्र करने के लिए करने के लिए आपको ये वस्तुएं इकठ्ठा करनी होगी – सरसों का तेल, मिट्टी का तेल, लोभान, 1 बोतल शराब, एक इस्त्र की शीशी और कुछ लौंग, अब आप श्मशान में चले जाएँ और वहां पर दिया जला दें| अब लौभान कपूर आदि जला दें, अब दीये के सम्मुख बैठकर इस मन्त्र का 11 बार माला जाप करें  – ओम नमो आठ खाट की लाकड़ी, मुंज बनी का कावा, मुवा मुर्दा बोले, न बोले तो महावीर की आन, शब्द सांचा, पिंड कांचा, पिंड कांचा, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा|| आप अपने आस पास इस्त्र और शराब छिड़क दें, अगर इस दौरान आपको ...