ज्योतिष शास्त्र में गृह के दोषों और उनके उपाय हेतु नवरत्न और उनके उपरत्नो का बड़ा महत्व माना गया है | इनके साथ ही एक लोहे धातु से बनने वाली साधारण सी दिखाई देने वाली Ring भी इसी श्रेणी में आती है | यद्यपि रत्नों की भांति यह थोड़ी सस्ती वस्तु दिखाई देती है किन्तु शनि की साढ़े साती व ढैय्या में पूर्ण रूप से प्रभावी है | आज हम आपको काले घोड़े की नालव जीर्ण-शीर्ण नौका की कील दोनों के मिश्रण से बनी रिंग के विषय में जानकारी देने वाले है |
आपने देखा होगा कुछ व्यक्ति अपनी ऊँगली में साधारण से दिखाई देने वाले लोहे से बनी रिंग पहने होते है | वास्तव में यह काले घोड़े की नाल से बनी रिंग होती है जो शनि की साढ़े साती व ढैय्या में पूर्ण रूप से लाभदायक सिद्ध होती है |
इस काले घोड़े की नाल से बनी रिंग को केवल एक ही प्रकार से तैयार किया जाना चाहिए : इसे बनाने के लिए 2 प्रकार के लोहे की आवश्यकता होती है जिसमें पहला लोहा काले घोड़े की नाल से प्राप्त किया जाता है व दूसरा लोहा जीर्ण-शीर्ण नौका की कील से प्राप्त किया जाता है | यदि उपरोक्त दो प्रकार के लोहे से इसे निर्मित नहीं किया जाता है तो इस रिंग के धारण करने से कोई विशेष लाभ की स्थिति शायद ही बन पाती है | काले घोड़े की नाल क्या है ? :-घोड़े के लगातार चलते रहने से उसके खुरों के घिसने का भय रहता है | इस समस्या के निवारण के लिए उसके खुरों के नीचे अर्धचन्द्र आकार की लोहे की प्लेट ठोक दी जाती है | लगातार घोड़े के दौड़ते रहने से यह प्लेट भी घिस जाती है तो इसे बदल दिया जाता है | इस घिसी हुई प्लेट को ही काले घोड़े की नाल कहा जाता है | लेकिन इसे काले घोड़े की नाल तभी कहा जायेगा जबकि यह किसी काले घोड़े के खुर से निकाली गयी हो | इस लोहे के द्वारा ही एक गोलाकार साधारण अँगूठी बनाई जाती है | इस अँगूठी को बनाने में कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए | जैसे : –
- इस लोहे या नाल को शनिवार के दिन ही प्राप्त करना चाहिए |
- इस विशेष लोहे से अँगूठी बनाने का दिन भी शनिवार ही होना चाहिए |
- अँगूठी को तैयार करते समय ध्यान रखे कि इसको अग्नि में गर्म नहीं करें | इस लोहे को हमेशा शीतल रखकर ही रिंग का आकार दिया जाना चाहिए | यह बहुत आवश्यक है |
- इस रिंग को धारण करने का दिन भी शनिवार ही होना चाहिए |
- इस अँगूठी को दायें हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए |
- कुछ विद्वानों के मतों अनुसार इस काले घोड़े की नाल से बनी अँगूठी को उस स्थिति में ही धारण करना चाहिए जबकि आपको गोचर के शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या हो | विंशोत्तरी दशा में इसे प्रायः नहीं धारण किया जाता है |काले घोड़े की नाल का प्रयोग केवल शनि गृह की दशा दूर करने में ही नहीं अपितु और भी बहुत से छोटे-छोटे सरल उपाय को सिद्ध करने में भी किया जाता है :-
- घर के सदस्यों में एक से अधिक पर शनि की दशा होने पर घर के मुख्य द्वार के बाहर घोड़े की नाल को शनिवार के दिन गाड़ देना चाहिए |
- व्यापार अथवा दुकान में वृद्धि के लिए घोड़े की नाल को मुख्य दरवाजे के बहार U आकार में लगाना चाहिए |
- बीमारी में सुधार लाने के लिए घोड़े की नाल से चार कील बनवाकर, सवा किलों उड़द की दाल एवं एक सूखे नारियल के साथ रखकर बहते हुए पानी में बहा देना चाहिए | यह प्रयोग रोगी द्वार स्वयं किया जाना चाहिए |
- घोड़े की नाल को तिजोरी में रखने से धन में वृद्धि होने लगती है |
- घोड़े की नाल द्वारा चार कील बनवाकर पीड़ित व्यक्ति के पलंग में गाड़ देने से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है |
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