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मंत्र-तंत्र-यंत्र में छुपी हैं अलौकिक शक्तियां, घर बैठे करें हर समस्या का समाधान

मंत्र-तंत्र-यंत्र में असीम अलौकिक शक्तियां निहित हैं। इसके द्वारा नर से नारायण बना जा सकता है। आवश्यकता है सविधि साधना के साथ-साथ श्रद्धा एवं विश्वास की। मंत्र शब्दों या वाक्यों का वह वर्ण समूह है, जिसके निरंतर मनन से विशेष शक्ति प्राप्त की जाती है। मंत्र शास्त्र हमारे दिव्य दृष्टि युक्त ऋषि-महर्षियों की देन हैं। मंत्र का सीधा संबंध मानव के मन से है, मन की एकाग्रता एवं तन्मयता मंत्र सिद्धि की मंजिल तक पहुंचाती है और मन को एकाग्र करके किसी भी देवी-देवता की सिद्धि प्राप्त की जा सकती है।मन की चंचलता हमें सामान्य रूप से किसी भी क्षेत्र में या कार्य में सफलता नहीं दिलवा सकती है। जब हम अपने को भौतिक जगत में असफल पाते हैं तो मंत्रों के रहस्यपूर्ण अलौकिक जगत में कैसे सफल हो सकते हैं?हम दैनिक जीवन में आने वाली बहुत-सी समस्याओं का समाधान एवं इच्छित पदार्थों की प्राप्ति मंत्र की साधना से प्राप्त कर सकते हैं। कार्य कोई भी हो, व्यक्ति विशेष के भाग्य के अनुसार ही पूरा होता है। उसी प्रकार मंत्र-यंत्र-तंत्र की साधना का फल भी भाग्य के अनुसार ही मिलता है। किसी को कम किसी को ज्यादा। सोये हुए भाग्य को जगाने में भगवत आराधना, तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना, अति सहायक सिद्ध होती है। मंत्र शास्त्र के अंतर्गत विविध कार्यों के लिए विविध मंत्र मिलते हैं जो मानव के विभिन्न कार्यों के अनुसार निश्चित हैं।मूल रूप से वैदिक, साबर एवं तांत्रिक मंत्र हैं। वैदिक एवं साबर ये दोनों मंत्र एक साथ नहीं जपे जाते। साबर मंत्र अपने आप में स्वयं सिद्ध है। गुरु गोरखनाथ एवं भगवान दत्तात्रेय कृत ये मंत्र अत्यंत चमत्कारिक एवं प्रभावशाली हैं।किसी मंत्र विशेष का निरंतर मनन या जाप मंत्र सिद्धि का सुलभ मार्ग है। ग्रह जनित पीड़ा, दोष, अनिष्ठ निवारण शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भगवत आराधना एवं मंत्र साधना अत्यंत कारगर सिद्ध होती है। इससे आत्मिक शक्ति जगा कर घातक रोगों से भी मुक्ति पाई जा सकती है। मंत्र साधना से हम जीवन को सुखमय, शांतिमय साथ ही साथ आनंदमय बनने में सफल हो सकते हैं।
रोजी के लिए
आज के युग में नौकरी प्राप्त करना या अपने व्यवसाय में लगना एक मुश्किल कार्य है। निरंतर बढ़ रही बेरोजगारी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस समस्या के निवारण में श्रीमद् भगवदगीता के नौवें अध्याय के बाईसवें श्लोक का जाप अत्यंत सहायक है।
अनन्याशिंचतयंतो मां ये जनां पर्युपासते।
तेषां निथ्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम।।
भगवान श्री कृष्ण की आकर्षक छवि के सम्मुख या मंदिर में नित्य प्रतिदिन शुद्धतापूर्वक सात माला जप करने पर 41 दिन के अंदर चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिलेगा। अद्भुत प्रयोग है।
स्तोत्र मंत्र
अनिष्ट निवारण एवं आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए 
ऊं आपदाम अपहतारम दातारम सर्व संपदाम।
लोकभिरामम् श्री रामम् भूयो-भूयो नमाम्हम्।।
इस मंत्र का नियमित जाप लाभदायक है। भगवान राम की आकर्षक छवि के सम्मुख या श्री राम पंचायतन की छवि के सम्मुख या भगवान श्री राम के मंदिर में नित्य प्रतिदिन तीन पांच, सात या नौ माला का जप करना चाहिए।                                                                            लक्ष्मी प्राप्ति:
श्री सूक्त का सोलह पाठ नित्य प्रतिदिन करें या करवाएं। 
गीता के बारहवें अध्याय का पाठ करें।
श्री कनक धारा स्तोत्र का 11 पाठ नित्य प्रतिदिन करें।
श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नियमित करें। 
जहां विष्णु रहते हैं वहीं लक्ष्मी जी रहती हैं। लक्ष्मी जी विष्णु जी को छोड़कर अन्यत्र कहीं नहीं रहतीं। अत: विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अत्यंत उपयोगी है।
शत्रु से मुक्ति :
बजरंग बली हनुमान जी की उपासना करें। श्री बजरंग बाण का 108 पाठ नियमित रूप से हनुमान जी की आकर्षक छवि के सम्मुख करें। मंगलवार का व्रत भी करें।
बच्चों की नजर उतारने के लिए
बच्चों की कुदृष्टि से बचाव के लिए प्रभु का स्मरण करें और 21 बार निम्र मंत्र का जाप करके भस्म फूंककर बच्चों को लगाएं।
ॐ नमो हनुमांता ब्रज का कोठा, जिसमें पिंड हमारा बैठा।
ईश्वर कुंजी ब्रह्मा ताला, इस घर पिंड का यही हनुमत रखवाला।
ऋण मुक्ति 
ऋण मोचन भंग स्तोत्र के 11 पाठ नियमित करें। मंगल ग्रह की वस्तुओं का दान करें। मंगल का व्रत करें। हर शनिवार को किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।                                      बाधा निवारण
बाधा समाधान के लिए दुर्गा सप्तशती के निम्र श्लोक का पाठ लाभप्रद रहेगा। विशेष रूप से धन एवं पुत्र प्राप्ति में सहायक हैं-
सर्वाबाधाविॄनमुक्तो धन धान्य सुतान्वित।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।                                                                           
रूठे पति को मनाने के लिए
तांत्रिक क्रिया : अपने बाएं पैर की चरण पादुका (जूती: के वजन के बराबर आटे की रोटी रविवार के दिन अपने पतिदेव को खिलवाएं। कहीं प्रचार न करें। 

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