कपूर का हम इस्तेमाल खास तौर पर हम पूजा और अपने सौन्दर्य के लिए करते हैं। कपूर एक उड़नशील द्रव्य होता है, जो पूजा के बाद आरती में लिया जाता है। इसकी सुंगंध से सारा वातावरण शुद्द हो जाता है। इससे हमारे मन के साथ साथ मस्तिष्क को भी बहुत ही शान्ति का एहसास होता है। वैसे ही लौंग का इस्तेमाल हम अपनी कई दवाईयों के रूप में करते हैं, यह हमें जुकाम से लेकर कैंसर तक की बीमारी से बचाती है। जब भी हमारे मुंह में छालें हो जाते हैं या दांत में दर्द होता है, तो इसे अपने दांत में रखने से दर्द खत्म हो जाता है। इसके साथ हम कपूर और लौंग का इस्तेमाल और भी तरीके से करते हैं जैसे कि… 1.यदि आप की शादी में किसी प्रकार का कोई विलम्ब हो रहा हो तो कपूर और लौंग लें। इसमे हल्दी और चावल मिलाकर माँ दुर्गा को आहुति देने से आप की अडचने दूर ही जाएंगी।2.पूजा के बाद आरती करते समय कपूर में दो लौंग डालकर आरती करने से आपका हर काम आसान हो जाएगा और आप के काम में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आएगी।3.हम देखते हैं कि कई बार व्यक्ति जो काम नहीं करना चाहता। उसे वो काम भी करना पड़ता है ऐसा करे उसे नुक्सान भी हो सकता है। अगर आप वह काम नहीं करना चाहते तो आपको कपूर और एक फुल वाले लौंग को जलाकर दिन में दो से तीन बार खा लेना चाहिए। ऐसा करने से आप अपनी इच्छा के विपरीत कोई कार्य नहीं करोगे।4.अगर आप धनवान बनाना चाहते हो तब रात को रसोई का काम खत्म करके चांदी की कटोरी में कपूर और लौंग जलाकर रखने से आपको कभी भी धन की कमी नहीं आएगी।5.हम अक्सर वास्तु में बहुत ही महत्व देते हैं। ऐसे मे अगर आप के घर में वास्तु है तो कपूर जलाकर घर में रखने से वास्तु दोष खत्म हो जाता है।6.जो लोग पितृ दोष या काल सर्प दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं। उन्हें कपूर जलाना चाहिए क्योंकि कपूर जलाने से इसका शमन होता है। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो हररोज दिन में तीन बार घी में भिगोकर कपूर में जलाएं घर के शौचालय और बाथरूम में कपूर की 2 2 टिकिया रख देनी चाहिए।7.आकस्मिक घटना का मुख्य कारण राहू, केतु और शनि होते हैं। इसके लिए रात्री को हनुमान का पाठ करके कपूर जलाना चाहिए। जिस घर में कपूर जलता है। उस घर में ऐसी दुघर्टना नहीं होती ।8.पति पत्नी के तनाव को दूर करने के लिए रात को पत्नी के तकिये के नीचे संदुर की डिबिया और पति के तकिये के नीचे दो कपूर की टिकिया रख दे। सुबह उस संदुर को किसी उचित स्थान में छोड़ दे और कपूर को जला दे। ऐसा करने से तनाव दूर हो जाता है।
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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