चमत्कारी यक्षिणी साधना
यक्षिणी साधना की शुरुआत भगवान शिव जी की साधना से की जाती हैं. यक्षिणी साधना को करने से साधक की मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण हो जाती हैं तथा इस साधना को करने से साधक को दुसरे के मन की बातों को जानने की शक्ति भी प्राप्त होती हैं, साधक की बुद्धि तेज होती हैं. यक्षिणी साधना को करने से कठिन से कठिन कार्यों की सिद्धि जल्द ही हो जाती हैं.
यक्षिणी साधना के प्रकार
यक्षिणी साधना 14 प्रकार की होती हैं जिनकी जानकारी निम्नलिखित दी गई हैं –
1. महायक्षिणी
2. सुन्दरी
3. मनोहरी
4. कनक यक्षिणी
5. कामेश्वरी
6. रतिप्रिया
7. पद्मिनी
8. नटी
9. रागिनी
10. विशाला
11. चन्द्रिका
12. लक्ष्मी
13. शोभना
14. मर्दना यक्षिणी साधना को करने का शुभ दिन –
ज्योतिषों के अनुसार यदि आषाढ़ माह में शुक्रवार के दिन पूर्णिमा हैं तो यक्षिणी साधना को करने का सबसे शुभ दिन अगले सप्ताह में आने वाला गुरुवार हैंइसके अलावा यक्षिणी साधना को करने की शुभ तिथि श्रावण मास की कृष्ण पक्ष प्रतिपदा हैं. यह यक्षिणी साधना को करने का शुभ दिन इसलिए माना जाता हैं. क्योंकि इस दिन चंद्रमा में शक्ति अधिक होती हैं. जिससे साधक को उत्तम फल की प्राप्ति होती हैं. यक्षिणी साधना की विधि –
1यक्षिणी साधना को करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और पूजा की सारी सामग्री को इकट्ठा कर लें.
यक्षिणी साधना का आरम्भ करने के लिए सबसे पहले शिव जी की पूजा सामान्य विधि से करें.
3इसके बाद एक केले के पेड़ या बेलगिरी के पेड़ के नीचे यक्षिणी की साधना करें.
4यक्षिणी साधना को करने से आपका मन स्थिर और एकाग्र हो जायेगा.इसके बाद निम्नलिखित मन्त्रों का जाप पांच हजार बार करें.
5.जाप करने के बाद घर पहुंच कर कुंवारी कन्याओं को खीर का भोजन करायें.
यक्षिणी साधना की दूसरी विधि –
यक्षिणी साधना को करने का एक और तरीका हैं. इस विधि के अनुसार यक्षिणी साधना करने के लिए वट के या पीपल के पेड़ नीचे शिवजी की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना कर लें. अब निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण पांच हजार बार करते हुए पेड़ की जड में जल चढाएं
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