उल्लू वैसे तो बहुत कम ही दिखाई देता है लेकिन इससे जुड़ी हुई कई एैसी मान्यताएं हैं जो आपको धनवान बना सकती है। साथ ही साथ आपके जीवन में चल रही कई परेशानियों का भी अंत कर देती हैं।एैसी मान्यता है कि जिस इंसान की नजर उल्लू से मिल जाती है उस इंसान के पैर जमीन पर नहीं टिकते हैं। धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है उल्लू यदि रात के समय में उल्लू आपकी चारपाई में बैठ जाए तो समझ लें उस इंसान की शादी जल्दी होने वाली है। पूर्व की दिशा में सुबह के समय उल्लू दिखाई दे या फिर उसकी आवाज सुनाई दे तो समझें कि आपको धन मिलने वाला है। या फिर आपको अचानक से धन प्राप्त हो सकता है।किसी रोगी को छूते हुए यदि उल्लू गुजर जाए या उसके उपर से ही उड़ता हुआ चला जाए तो समझ लें कि वह इंसान भंयकर से भंयकररोग से भी ठीक हो जाएगा। प्राचीन मान्यता के अनुसार यदि उल्लू किसी की छत पर बैठकर आवाज करता है तो इससे घर के किसी सदस्य की मौत हो सकती है।एक बात और ध्यान देने की है कि वह है उल्लू से जुड़ी कुछ अंधविश्वास की बातें। इन पर आप ध्यान ना दें जैसेउल्लू के पंजे, हड्डियां, मांस और पंख से उसकी तावीज बनाई जाती हैउल्लू का दाहिनी तरफ देखना या बोलना अशुभ होता है। और उल्लू का बांई ओर देखना शुभ रहता है।उल्लू यदि किसी की चैखट या दरवाजे पर लगातार रोता है। या तीन दिन तक लगातार रोता है तो उस घर में सामान चोरी होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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