शत्रु को पीड़ित करने का उपाय
- अश्विनी नक्षत्र में चार अंगुल लंबी किसी घोड़े की हड्डी लें, तथा ‘ऊँ हुँ हुँ फट् स्वाहा।‘ मंत्र का जाप करें| एक लाख जाप के बाद यह मंत्र सिद्ध हो जाता है| जिस दिन प्रयोग करना हो, वही हड्डी लेकर 21 बार इस मंत्र का जाप करें, फूँक मारें तथा शत्रु के घर के सामने गाड़ दें| शत्रु का विनाश निश्चित है|एक लाख बार ‘. ऊँ डं डां डिं डीं डु डू डें डैं डों डौं डं ड:। अमुकस्य हन स्वाहा। ‘ मंत्र जाप करने से सिद्ध हो जाता है| प्रयोग करते समय चार अंगुल मानव हड्डी लेकर 108 बार इस मंत्र का जाप कर इसे अभिमंत्रित करें तथा श्मशान भूमि में गाड़ दें| शत्रु नष्ट हो जाएगा|एकांत में रात के समय किसी दीवार पर अपने शत्रु का चित्र बनाएँ, श्मशान का जलता कोयला पास में रखें तथा निम्नलिखित मंत्र का जाप 1008 बार करें –ॐ नमो आदेश गुरु का। हनुमंत बलवन्ता।माता अंजनी का पूत। हल हलन्ता।आओ चढ़ चढन्ता। आओ गढ़ किला तोड्न्ता।आओ लंका जलनता बालनता भस्म क्रंता। आओ ले लागूं लंगूर।ते लिपटाये सुमिरते पटका। औ चंदी चन्द्रावली भवानी।मिल गावें मंगलाचार। जीते राम लक्ष्मण।हनुमान जी आओ। आओ जी तुम आओ।सात पान का बीड़ा चाबत। मस्तक सिंदूर चढ़ाये आओ।मंदोदरी सिंहासन डुलाते आओ। यहां आओ हनुमान।आया जागते नरसिंह। आया आगे भैरों किल्किलाय।ऊपर हनुमंत गाजै। दुर्जन को फाड़।अमुक (दुश्मन का नाम ) को मार संहार। हमारे सतगुरु।हम सतगुरु के बालक। मेरी भक्ति।गुरु की शक्ति। फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा।जाप पूर्ण होने के बाद श्मशान का कोयला शत्रु-आकृति के जिस अंग पर रखेंगे, शत्रु का वह अंग जलेगा| इस उपाय को कभी भी दुर्भावना से प्रेरित होकर न करें अन्यथा अनिष्ट की संभावना रहती है|शनिवार या मंगलवार को, चिता भस्म अथवा काजल से छोटे से कागज के टुकड़े पर अपने शत्रु का नाम लिखें और उसको मकड़ी के जाले में लपेट दें| पहले से ही किसी सुनसान जगह पर कीकर या पीपल का पेड़ ढूंढकर रखें| उस पेड़ के नीचे गड्ढा करें| अब एक छोटी सी हांडी में वह कागज, मुट्ठी भर साबुत काली उड़द, मुट्ठी भर चावल रख दें| अब एक नींबू लें, उस पर भी अपने शत्रु का नाम लिखकर उस पर उसकी सांकेतिक आकृति बना दें| शत्रु को स्मरण करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें –ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं विकट भैरवाय मम शत्रून नाशय नाशय त्रासय त्रासय ताडय ताडय ह्रीं ह्रीं ह्रीं फट।मंत्र पढ़ते हुए नींबू पर सिंदूर छिड़कते रहें| इसके बाद बारी-बारी से तीन लौंग लें| प्रत्येक लौंग लेते समय 11 बार इस मंत्र का जाप करें तथा नींबू पर निर्मित आकृति के किसी अंग पर गाड़ दें| शत्रु क आकृति के जिस अंग पर लौंग गाड़ा जाएगा, उसका वह अंग पीड़ित होगा| इस विधि के बाद सभी वस्तु हांडी में डालकर गड्ढे में दबा दें| ऊपर से मिट्टी भी भर दें तथा बिना पीछे मुड़े चुचाप लौट जाएँ|
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