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स्त्रियों का मूलाधार असंतुलित हो तो क्या होता है

sacrum1महिलाओं के लिए विशेष 
जिस महिला में मोटापा हो अथवा अत्यधिक पतली कमजोर हो , कमजोरी के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो ,बाल कमजोर हों ,सरदर्द ,तनाव आदि की शिकायत हो ,अनिच्छा और अशांति रहती हो ,मासिक गड़बड़ी होती हो ,उचित सम्मान न मिलता हो ,हर कोई दबाने -प्रताड़ित करने का प्रयास करता हो ,चेहरे की तेज कम हो गयी हो ,औरा नकारात्मक हो गयी हो ,बार-बार डिप्रेशन की परेशानी होती हो ,कमर -जाँघों में दर्द रहता हो ,काम ऊर्जा की कमी महसूस होती हो ,बार बार शारीरिक मानसिक समस्याएं उतपन्न होती हैं ,सन्तान सम्बन्धी दिक्कतें हों ,पति की उपेक्षा से दुखी हों ,माता पिता भाई बहन अथवा ससुराल द्वारा उचित सहायता सम्मान न मिलता हो ,आलस्य-सुस्ती हो ,भय लगता हो ,बुरे सपने आते हों ,अनजाने भयों से आतंकित रहती हों ,पूर्णिमा-अमावश्या को मानसिक विचलन होता हो ,भूत प्रेत का भय लगता हो ,अनिष्ट की आशंका होती हो अथवा बार बार बुरे विचार आते हों ,खुद की और परिवार की उन्नति रूक गई हो ,कलह मतभेद का सामना करना पड़ता हो ,मानसिक रूप से अशांत रहती हो ,अपने भी परायों सा व्यवहार करते हों ,कोई रूठ गया हो ,समय पूर्व ही बुढापे के लक्षण दिख रहे हों , उन्हें काली माँ की पूजा -आराधना -साधना करनी चाहिए ,पांवों में जरुर से चांदी के पायल ,कानों में स्वर्ण और कमर में काले धागे में लोहा धारण करना चाहिए |सुबह नंगे पाँव कच्ची मिटटी या काली मिटटी में कुछ देर टहलना चाहिए |इसके साथ सिद्ध साधक से भगवती काली का यन्त्र बनवाकर अभिमंत्रित कराकर चांदी के ताबीज में गले में धारण करना चाहिए |आपकी समस्या मूलाधार से सम्बंधित है जिसके कारण शारीरिक ऊर्जा असंतुलित हो गयी हैं अतः आपका प्रभामंडल विपरीत जा रहा और समस्याएं क्रमशः बढती जा रही |इस असंतुलन के कारण .स्त्रियों में मासिक गड़बड़ी रहती है ,मूत्र रोग ,बार बार इन्फ़ेक्सन आदि यौनांग में होते हैं ,यौनेच्छा में कमी रहती है ,कभी यौनेच्छा की अति होती है ,डिम्भ आदि की समस्या आती है ,बंध्यापन हो सकता है ,रक्ताल्पता हो सकती है या अधिक रक्त बहता है ,अतिरज मासिक हो सकता है ,तनाव ,हिस्टीरिया ,पागलपन ,मानसिक बाधाएं हों सकती हैं ,फोबिया ,भूत प्रेत की बाधाएं हों सकती हैं ,चिंता ,अनहोनी की आशंका हो सकती है ,भय महसूस हो सकता है ,बेवजह प्रलाप हो ,कमर में दर्द हो ,कमर की हड्डी में आवाज आये ,जाँघों और नसों की समस्या उतपन्न हो ,कमर -पेट का हिस्सा अधिक मोटा हो जाए जबकि जांघ और पैर पतले हों ,आलस्य रहे ,पसीने की गंध तेज हो ,कभी अकेले में महसूस हो की कोई और है कमरे में या साथ में पर कुछ दिखे नहीं ।कभी सोये हुए में किसी अदृश्य की अनुभूति हो या स्पर्श लगे तो समझें कि मूलाधार विकृत है अथवा कमजोर है ।भगवती काली रुष्ट हैं ,उनकी ऊर्जा की कमी है ।कुंडली में शनि + शुक्र + बुद्ध की स्थिति अच्छी नहीं अथवा वह समस्या उतपन्न कर रहा।आज्ञा चक्र और मूलाधार पर सिन्दूर लगाएं ।भगवती काली की आराधना नियमित करें ।बाघ अथवा शेर का नाखून सिद्ध करवाकर चांदी के ताबीज में धारण करें ।मूलाधार पर चुम्बक बांधें ।अय्यासी से बचें और दिन में रति न करें ।गाय ,कुत्ता पालें अथवा गाय ,कुत्ता ,कौवा को भोजन दें ।रात सोते समय लाल बल्ब का प्रयोग करें 

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