सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नहीं मिल रही मनचाही नौकरी, तो राशि अनुसार करें ये उपाय

धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ, कोई मांगलिक कार्य हो या देवों की आराधना, सभी शुभ कार्यों में पहले कुंडली और राशि का मिलना बेहद जरूरी माना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी राशि और ग्रह आपकी नौकरी लगवा भी सकती है और आपसे छीन भी सकती है. आखिर ऐसा क्यों होता हैं? इसकी वजह क्या है? आइए जानते हैं आपकी राशियों का हाल और उससे जुड़ी नौकरी के बारे में.मेष राशि=मेष राशि के जातकों की नौकरी आम तौर पर बुध से नियंत्रित होती है.अक्सर नौकरी के चुनाव में समस्या और दुविधा होने के कारण नौकरी मिलने में बाधा आती है.इस समस्या को दूर करने के लिए प्रातः गणेश जी को दूब अर्पित करें.वृष राशि=वृष राशि में शुक्र का सम्बन्ध नौकरी पाने से होता है.अक्सर इनको नौकरी पाने में काफी संघर्ष करना पड़ता है और अपनी योग्यता के अनुसार इनको शुरुआत में नौकरी नहीं मिल पाती. इस समस्या को दूर करने के लिए शिव जी को सुगंध अर्पित करना चाहिए.मिथुन राशि=मिथुन राशि में मंगल ही नौकरी पाने के लिए जिम्मेदार होता है. अक्सर इनका क्रोध और जल्दबाजी इनको नौकरी पाने में समस्या पैदा करती है.इसके लिए इनका नित्य प्रातः हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ रहेगा.कर्क राशि=कर्क राशि वाले लोग के लिए शनि ही नौकरी के लिए जिम्मेदार होता है.इनको नौकरी मिलने में समस्या नहीं आती. इनको समस्या होती है नौकरी करने में, और इसी कारण ये नौकरी पाते ही नहीं और अगर पा भी जाएं तो करते नहीं.इस समस्या से निपटने के लिए इनको लम्बे समय तक शनिवार को दीपक जलाना चाहिए.सिंह राशि=सिंह राशि वाले लोगों की नौकरी आम तौर पर चन्द्रमा से निर्धारित होती है.इनको नौकरी पाने में काफी संघर्ष करना पड़ता है और नौकरी मिल जाने पर आगे बढ़ने में भी काफी मुश्किलें आती हैं.शीघ्र नौकरी पाने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए.कन्या राशि=कन्या राशि के वाले लोगों को नौकरी देता है सूर्य.आम तौर पर ये नौकरी करने में बहुत ज्यादा विचार नहीं करते , इनको हमेशा व्यवसाय करने का शौक होता है.अगर नौकरी पाने में बाधा आ रही हो तो सूर्य के सामने गायत्री मंत्र का जाप करें.तुला राशि=तुला राशि वाले लोगों को बृहस्पति की कृपा से नौकरी मिलती है.आम तौर पर इनको अपनी स्थिति से कभी संतोष नहीं होता, इसलिए ये नौकरी छोड़ते रहते हैं.कई बार इन्हें नौकरी भी नहीं मिलती है. अगर आप की भी तुला राशि है और नौकरी मिलने में बाधा आ रही हो तो लगातार केले का दान करें.वृश्चिक राशि=इस राशि से जुड़े लोगों को शुक्र की कृपा से नौकरी मिलती है.ये लोग ज्यादा जोड़ तोड़ में रहते हैं और इसी कारण से इनकी नौकरी छूटती रहती है. नौकरी पाने के लिए इनको नौ दिनों तक सांयकाल सफेद वस्तु का दान करना चाहिए.धनु राशि=धनु राशि से ताल्लुक रखने वालों को मंगल की वजह से नौकरी मिलती है.ये लोग अपनी मनमर्जी से नौकरी पाना और करना चाहते हैं, इसी वजह से इन्हें नौकरी मिलेनें में दिक्कत होती है. नौकरी पाने के लिए इनको प्रातः हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.                                     मकर राशि=इस राशि के लिए नौकरी देता है बुध.मुख्य रूप से इस राशि के लोग नौकरी से ज्यादा अपने खुद के व्यवसाय की तरफ झुकाव रखते हैं.अगर आपको भी नौकरी पाने में कोई भी बाधा आ रही हो तो प्रातः गणेश जी को एक लड्डू अर्पित करें.कुम्भ राशि=इस राशि से जुड़े लोगो को नौकरी चन्द्रमा की कृपा से मिलती है .इस राशि के लोग आमतौर पर किसी बंधन में बंधना नहीं चाहते इसलिए ये गंभीरता से नौकरी की तलाश नहीं करते. नौकरी पाने के लिए इनको शिवलिंग पर चन्दन चढ़ाना चाहिए.मीन राशि=इस राशि को नौकरी मिलती है शनि देव की कृपा से. इससे जुड़े लोगों को शीघ्र नौकरी मिल जाती है.फिर भी कभी-कभी लापरवाही के कारण इनको नौकरी मिलने का समय बीत जाता है.नौकरी शीघ्र पाने के लिए इनको लगातार 9 दिन पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.कई बार ऐसा भी होता है कि आम लोग सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं और इसी चक्कर में कई तरह की परीक्षाएं भी देते हैं . किसी को सरकारी नौकरी मिल जाती है लेकिन कुछ लोगों को ज्यादा मेहनत करने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिलती.सरकारी नौकरी के योग=नौकरी का मुख्य कारक शनि ग्रह होता है. नौकरी पाने में अन्य पाप ग्रहों की भी भूमिका होती है. कुंडली का छठवां और ग्यारहवां भाव नौकरी से सीधे सम्बंधित होते हैं, इनके स्वामी भी नौकरी पाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. कुंडली में अग्नि और पृथ्वी राशियां नौकरी पाने में खूब सहायता करती हैं.कब मिलती है सरकारी नौकरी=जब आपकी कुंडली में सूर्य या चन्द्रमा में से कोई एक मजबूत हो. जब कुंडली में पञ्च महापुरुष योग में से एक या ज्यादा योग हों. जब शनि की स्थिति मजबूत हो और शनि की साढे साती या ढैया चल रही हो. हाथ में सूर्य की दोहरी रेखा हो और बृहस्पति के पर्वत पर क्रास हो.                                        सरकारी नौकरी पाने के उपाय =रोज सुबह उठकर अपने माता-पिता के पैर छुएं. फिर उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करें. सुबह और शाम 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें. सलाह लेकर एक माणिक्य अथवा नीलम धारण करें और हल्के लाल रंग का ज्यादा प्रयोग करें.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

देवी महाकली के खतरनाक मौत के मंत्र - काली का खारनाकक मारन प्रार्थना

देवी महाकली के खतरनाक मौत के मंत्र    - काली का खारनाकक मारन प्रार्थना यह देवी महाकाली से संबंधित मौत मंत्र का खतरनाक रूप है  देवी महाकली इस चरण में वांछित काम करते हैं।  इस मंत्र के परिणामस्वरूप देवी इस मारन प्रार्थना को पूरा करेंगे। देवी महाकाली के खतरनाक मौत के मंत्र - ओम चाँदलीनी कामखन वासनी वैन डरगे क्लिन क्लिन था: गु: स्वाहा: खतरनाक मृत्यु मंत्र देवी महाकाली के अनुष्ठान - सबसे पहले हमें 11000 बार मंत्र जप से मंत्र की इस शक्ति को सक्रिय करने की आवश्यकता है  फिर जब गोवर्चन और कुम कुम के साथ भोजपतराह पर नीचे बखूबी रेखा लिखने का उपयोग करने की आवश्यकता होती है।  रेखा है - 'स्वाहा मेर्य्य हुन अमुक्कन (शत्रु का नाम यहाँ) ह्रीम फाट स्वाहा |  अब इसके बाद के मंत्र के साथ बाहर निकलते हैं और गर्दन में पहनते हैं, कुछ दिनों में दुश्मन की समय सीमा समाप्त हो जाएगी और देर हो जाएगी देवी महाकाली के खतरनाक मौत की घंटी हिन्दि संस्करण में - काली का  खारनाकक  मारन  प्रैयोग  -  खतरनाक  मारन  प्रयोग   ।  मंत्र  ।   चाण्डालिनी   कामाख्या  वासिनी  वन  दुर्गे  क्

स्तंभन तंत्र प्रयोग:

स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1.

बगलामुखी शत्रु विनाशक मारण मंत्र

शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १)  “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और जाप