- नीचे दिए गए मंत्र को एक लाख बार जप कर इसे सिद्ध कर लें।
- प्रयोग के लिए हस्त नक्षत्र में बबूल की जड़ लाकर उसे 3 बार इसी मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके इया भुजा - बांध लें।
- इसके प्रभाव से सभी लोग वशीभूत हो जाते हैं और रुके हुए पूरे कार्य पूरे हो जाते हैं।मंत्र इस प्रकार है-ॐ सुदर्शनाय हुं फद स्वाहा।बबूल की जड़ लाते समय किसी से कोई बात न करे बाबुल की जड़ लाने के बाद उसके गौ मूत्र से शुद्ध कर ले अभिमंत्रित करने से पहले आप अपने आप को गंगाजल से शुद्ध कर ले मंत्र अभिमंत्रित करते समय आप कोई भी देख पाए इस बात का ध्यान अवश्य रखते हैं इस मंत्र का प्रयोग स्त्री व पुरुष दोनों कर सकते हैं इस मंत्र के द्वारा आप किसी को भी अपने वश मे कर सकते है बबूल की जड़ अभिमंत्रित करते समय मंत्र का सही उच्चारण होना चाहिए बाबुल की जड़ अभिमंत्रित के बाद शाम को अपनीवाई भुजा मे बांध लेइस मंत्र के सफल प्रयोग के लिए आप हमारे दिए गए नंबरो पर संपर्क कर सकते है ओर इस मंत्र के द्वारा लाखो लोग फारेदा उठा चुके है आप भी इस मंत्र के द्वारा अपना कार्ये पूरा कर सकते है तो जल्दी से हमसे संपर्क करे ओर जल्दी से जल्दी से लाभ लेने वालाबबूल के पेड़ द्वारा आसान वशीकरणकृपया नीचे दिए गए मंत्र को एक सौ बार जप कर सिद्ध कर लें।प्रयोग के लिए नक्षत्र नक्षत्र में बबूल की जड़ का उपयोग करें और इसे एक ही मंत्र से 3 बार अभिमंत्रित करके दाहिने हाथ में धारण करें।इसके प्रभाव से हर कोई अवशोषित हो जाता है और सभी रुके हुए काम पूरे हो जाते हैं।मंत्र इस प्रकार है:ॐ सुदर्शनाय हुं फद स्वाहा।बबूल की जड़ लाते समय किसी से बात न करें बबूल की जड़ लाने के बाद उसे गोमूत्र से साफ करें।बलि देने से पहले आप खुद को गंगाजल से साफ कर सकते हैं मन्त्र रखते समय, आपको किसी को भी न देखने के लिए सावधान रहना चाहिए।इस मंत्र का उपयोग महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैंइस मंत्र के जरिए आप किसी का भी वश में कर सकते हैंबबूल की जड़ों को महिमा देते हुए, मंत्र का सही उच्चारण होना चाहिए बबूल की जड़ को स्नान करने के बाद, शाम को अपनी दाहिनी बांह डालें
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
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