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अघोर तंत्र में मारन क्रिया

अघोर तंत्र में मारन क्रिया :-
अघोर तंत्र की सबसे खतरनाक क्रियाओ में से एक क्रिया है मारन क्रिया। इस क्रिया में अघोर तंत्र के द्वार किसी भी व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त कर सकते है।इस क्रिया का उपयोग कुछ लोगो द्वारा अपने दुश्मनो को खत्म करने के लिए किया जाता है।और इसमें उनका साथ देते है वो लोग जो कुछ पैसे या अन्य लालच में आकर बेक़सूर लोगो पर बेवजह मारन क्रिया का उपयोग करके किसी व्यक्ति को बिना बात के मौत के घाट उतार देते ह।ऐसे लोग जो इस तंत्र की शिक्षा लेकर इस तंयर का उपयोग गलत तरीको में करते है वो तंत्र के नाम पर एक गन्दा धब्बा है।
 मारन क्रिया की प्रमुख 4 क्रियाएँ होती है :
1.कृकल मारन क्रिया :
इस मारन क्रिया में व्यक्ति क्रिया के कुछ घंटो के अंदर ही मर जाता है जिसके मुख्या कारण वाहन दुर्घटना,अचानक कोई गंभीर स्वस्थ्य बीमारी ,या अचानक कोई दुर्घटना में मरना।
 2.घूरन मारन क्रिया :
इस प्रकार की मारण क्रिया के करने पर व्यक्ति की मिरित्यु 3माह,6माह या 1वर्ष में हो जाती है ये मारन क्रिया करते वक़्त निर्भर सामग्री पर निर्भर करती है।
 3. रंभत मारन क्रिया :
इस प्रकार की मारन क्रिया में व्यक्ति मारन क्रिया का शिकार होने के बाद गंभीर रूप से बीमार हो जाता है ।उस व्यक्ति का कितना भी डॉक्टरी इलाज करवाओ मगर कोई भी बीमारी पकड़ में नहीं आती है।और व्यक्ति धीरे धीरे रोज मोत के पास जाता रहता है।
 4.गुड़िया मारन क्रिया :
इस प्रकार की मारन क्रिया में व्यक्ति को तड़पा तड़पा कर मार जाता है।उस व्यक्ति के कपड़ो और अन्य सामग्री से एक गुड़िया बनाकर उसमे जिस अंग को बेकार करना हो उसमें सुईया चुभोई जाती है और व्यक्ति उसी अंग में भयंकर दर्द मेहसूस करता है ।अंत में सुई को उसके दिल या सर में घुसकर उसको मोत की नींद सुला दिया जाता है।
 मरण क्रिया का तोड संभव है।मगर सही समय पर तंत्र क्रिया का तोड़ होना चाहिए। क्योकि एक समय के बाद इन क्रियाओ का तोड़ सम्भव नही है।

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